Prem ka balidan in Hindi Moral Stories by Jyoti Prakash Rai books and stories PDF | प्रेम का बलिदान

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प्रेम का बलिदान

किसी चीज का त्याग कर देना कितना कठिन होता है यह अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल होता है।

यदि अपनी भाषा में कहू तो यह असंभव है और यदि त्याग अपने प्रेम का हो तो फिर हृदय हर पीड़ा को पार कर जाता है जबकी चोट कहीं भी दिखाई नहीं पड़ती है। कुछ ऐसा ही हुआ है इस कहानी के दो पात्रों के बीच जिन्हें अपने सम्पूर्ण जीवन में एक दूसरे को उतारने की इतनी कल्पनातमक्ता नजर आने लगी थी कि बस एक ही होकर संसार से कहीं दूर बस जाना है लेकिन ईश्वर को न जाने क्या मंजूर है, कमल और प्रतिभा दो ऐसा नाम मानों प्रेम में सारा संसार स्वर्ग ही रहा हो, कहा जाए तो जहां प्यार रहेगा सारा संसार स्वर्ग ही माना जायेगा।कमल ठहरा नौकरी वाला लड़का और प्रतिभा एक कॉलेज की लड़की और दोनों में अंतर बस इतना ही है कि दोनों प्यार की अंतिम सीमाओं तक जाना चाहते हैं लेकिन एक दूसरे को समझने के लिए पूरा समय दिये हुये होते हैं। हम जब तक एक नहीं हो जाते हम अनेक कल्पनाओं से होकर बाहर आते रहेंगे और अपने परिवार और अपनी मर्यादा का पालन करेंगे। प्रेम तो अगाध सागर का प्रतीक माना गया है किन्तु प्रेम वह होना चाहिए जो अपने कुल और माता - पिता के मर्यादाओं को भी बचाये रखने में समर्थ हो। यहां भी दो दिल हमराह बनने की कसमें खाने वाले चंद्रमा के समान चमकने की और चांदनी के स्वरूप की कल्पना करने वाले कमल और प्रतिभा रोज अपने वर्तमान को जीते हैं। और अनगिनत ऐसी बातें करते हैं कि मानो प्रेम में सब कुछ खो कर एक दूसरे का बन जाना ही पूर्णतः प्रेम होता है। एक दिन की बात है प्रतिभा ने कमल से कहा कि तुम्हारी उम्र मेरी उम्र से आठ वर्ष अधिक है तो क्या तुम मेरे लायक हो ? या यह समाज तुम्हे मेरे साथ स्वीकार करेगा ? तुम अपने साथ रखोगी या समाज के कमल का सवाल था, यदि समाज के साथ तो मै आज ही समाज की सारी हदें तोड़ता हू और तुम्हे अपनाता हूं। सबकुछ तो ठीक है लेकिन क्या मेरे घर वाले मेरे माता - पिता तुम्हें अपनाएंगे ? प्रतिभा का सवाल था। कमल - यह तो अपने माता - पिता से तुम स्वयं पूछ सकती हो या कहो तो मै आकर मुलाक़ात करूं। नहीं तुम मात आओ मै अभी पढ़ाई पूरी होने तक ऐसी बाते घर में नहीं कर सकती प्रतिभा ने कहा। इधर कमल के परिवार में उसके रिश्ते की बात को लेकर चर्चाएं होने लगी थी। समय बीत रहा था और सब कुछ ठीक था प्रतिभा अपने उम्र के उस पड़ाव पर थी जहां उसे प्रेम की अत्यधिक आकांक्षा उठती थी, लेकिन कमल की बातें और परिवार की मर्यादा का भी उसे ध्यान था। जिसके कारण उसके पैर हमेशा गलत रास्ते की ओर उठते - उठते भी रुक जा या करते थे। एक दिन की बात है दोनों बात करते - करते अपनी आकांक्षाओं के साथ सभी चिंतनों से दूर एक दूसरे को गले लगाकर खामोशी से कुछ पल बिताए फिर अचानक उन्हें कुछ हुआ और बोले हम अपने प्यार को बदनाम नहीं होने देंगे। हमारे घरवालों के इजाजत के साथ ही हम एक दूसरे को अपना बनाएंगे। इस पर कमल ने कहा क्या तुम अपने घर हमारे प्रेम को लेकर बात कर पाओगी ? हा मै बात कर सकती हूं लेकिन अभी नहीं कुछ वर्षों के पश्चात अभी मेरी पढ़ाई अधूरी है। कमल ने कहा लेकिन मेरे परिवार में तो अभी से मेरे रिश्ते की बातें हो रही हैं, यदि मै उन्हें कुछ नहीं कहूंगा तो मेरा रिश्ता कहीं और तय कर दिया जाएगा फिर मै क्या जवाब दूंगा। यदि तुम कहो तो मै अभी घरवालों को तुम्हारे होने की बात कर सकता हूं। प्रतिभा ने इतना सुनकर कहा नहीं अभी नहीं अपने परिवार में कुछ हालचाल नहीं चाहती हूं। और मुझे परिवार की मर्यादा का भी सम्मान रखना है, कमल ने कहा - परिवार तो मेरा भी है और मै भी बाद में उनके बताए गए रिश्ते को काट नहीं पाऊंगा, क्योंकि तब मै उनके साथ खिलवाड़ नहीं कर पाऊंगा। प्रतिभा का कहना होता है कि मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो और तुम बस अपना देखो। ऐसे कैसे छोड़ दूं मुझे तुमसे प्रेम है और तुम्हे भटकने नहीं देना है मुझे। तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और सब ईश्वर पर छोड़ दो जो भी होगा हम साथ - साथ निर्णय लेंगे। जिस तरह श्री कृष्ण और राधा का प्रेम अमर है और आज भी वो एक दूसरे से अलग हैं उसी तरह हमारा भी प्रेम अमर रहेगा और हमारे दिलों पर सिर्फ हमारा ही अधिकार होगा तीसरा कोई नहीं। प्रेम का बलिदान भी संसार के उन कठिन कार्यों में से एक है जिन्हे संसार पूर्णतः असंभव मान लेता है। और सारी मर्यादाओं का उलंघन कर अपने प्रेम को धूल - धूसरित कर देता है लेकिन कमल - प्रतिभा ने एक दूसरे को आज भी उतना ही महत्व दिया है जितना कभी पहले दिया करते थे। और अपने परिवार की इज्जत को सदैव बनाए रखा। धैर्य की परीक्षा ही जीवन की असली परीक्षा है इसमें हर विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं होता है।