bengan aalu ki sabji in Hindi Comedy stories by Shivani Verma books and stories PDF | बैंगन आलू की सब्जी

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बैंगन आलू की सब्जी

बैंगन आलू की सब्जी

वैसे तो शेखर एक नेक दिल इंसान है और अच्छे पति है जो अपनी पत्नी रिया का बड़ा ख्याल रखते है. बस उनकी दो आदतों से रिया बड़ी परेशान रहती है. एक तो वो थोड़ा कंजूस है और भुलक्कड़ एक नंबर के है. दफ्तर से आने के बाद शाम को रिया और शेखर साथ बैठे साथ में चाय का मजा ले रहे थे तभी रिया ने पूछा रात खाने में क्या बना लूं. शेखर ने कहा बैंगन आलू की सब्जी बना लो. “अरे कल ही तो बैंगन आलू की सब्जी बनाई थी भुलक्कड़ जी , इतनी जल्दी भूल गए” रिया ने खीजते हुए कहा.

शेखर ने बड़े इत्मीनान से कहा –“ कल ‘बैंगन आलू’ की सब्जी बनाई थी तो आज ‘आलू बैंगन’ की सब्जी बना लो.” रिया सर पर हाथ रखते हुए कहा –“आप नही बदल सकते”

तभी अचानक रिया को याद आया की रात के खाने में रोटी बनाने के लिए आटा तो बिल्कुल ही खतम हो गया है. अब रात के खाने पर वो क्या बनाये, इसी दुविधा में बैठी थी कि उसके पति शेखर पूछ बैठे "कहाँ खोई हैं मैडम जी......."
नाराज़ होते हुए रिया ने भी घर का राशन खत्म होने की सूचना दे दी और बार – बार कहने के बावजूद भी राशन न आने पर दुबारा चावल ही खिलाने कि धमकी भी प्यार भरे अंदाज़ में दे डाली.
रिया की आदत सामान खत्म होने से पहले ही बाजार से ले आने की है, लेकिन अपने पति जी की यादाश्त के बारे में क्या कहे .........बार बार कहने से वो नाराज़ हो जाते है और कहने लगते हैं कि मैं कुछ भूलता नही हूँ, पर सच बात तो ये है कि वो बहुत बड़े भुलक्कड़ है, पर फिर भी रिया को उनकी भुलक्कड़ आदत पर प्यार आता।
जल्दी - जल्दी चाय खत्म कर रिया ने सामान की लिस्ट शेखर को देते हुए कहा कि बाजार जाकर आटे के साथ - साथ ये कुछ सामान भी ले आईये. आटा पूरी तरह ख़त्म हो चुका है. शेखर सामान लेने चले गए और रिया भी कप समेटते हुए किचन में रात के खाने की तैयारी करने आ गयी, सोचा कि शेखर के आने से पहले सब्जी बना ली जाए फिर बाद में रोटियां बनाती रहूंगी. आलू बैंगन टमाटर की चटपटी सब्जी सोचकर ही रिया खुश हो गयी क्योंकि उसके पति को ये सब्जी बहुत पसंद है.
बनाने को तो रिया पुलाव या खिचड़ी भी बना सकती थी, लेकिन उत्तर भारतीय होने के कारण खाने में चावल की जगह रोटी की महत्ता अधिक है और दोपहर के खाने में वो तहरी बना ही चुकी थी, सो इस वक़्त रोटी बनाना जरूरी हो जाता है. वैसे अपने शेखर की नौकरी के चलते वो लोग अब बंगाल में रहते है , जैसा देश वैसा भेष के मुताबिक अब वो चावल ज्यादा खाने लगे थे.
खैर उसने टाइम देखा तो रात के 8 बज रहे थे और शेखर भी आने वाले थे. सब्जी तैयार हो चुकी थी, सो रिया भी किचेन से आकर टीवी में मस्त हो गयी. तभी डोरबेल बजी, दरवाजा खोलते ही रिया ने पति जी को सामान और अपने एक दोस्त के साथ देखा.
सामान किचेन में रखकर वो भी उनके साथ बातों में शामिल हो गयी, जैसे ही वो चाय बनाने के लिए किचेन में जाने लगी वैसे ही इनके दोस्त भी वापस जाने को तैयार हो गए.
"अरे भाईसाहब अभी आप कहाँ जा रहे हैं चाय पीकर जाईयें" कहते हुए रिया किचेन में जाने लगी, तभी शेखर बोल पड़े "अरे मैडम जी आज ये चाय ही नहीं बल्कि खाना भी हमारे साथ ही खायेंगे, भाभी जी दो दिनों के लिए मायके गयी है."
रिया को क्या परेशानी होती खाना तो लगभग तैयार ही था, वो भी उनके साथ गपशप में शामिल हो गयी. "9:30 हो रहे हैं अब खाने की शुरुआत की जाए......" शेखर से कहते हुए रिया किचेन में आ गयी. सामान देखा तो आटा नज़र नही आया, कभी - कभी ज्यादा सामान होने पर ये कुछ सामान गाड़ी में ही छोड़ आते थे सो इशारे से रिया उन्हें किचेन में बुलाया और आटे के बारे में पूछा. शेखर हैरत में पड़ गए फिर धीरे से बोलें "लगता है आटा ही लाना भूल गया मैं......" इतना सुनते ही रिया के चेहरे का रंग उड़ गया अब उसे गुस्सा आने लगा, कि आए तो आधे सामान के साथ आये और साथ में दोस्त को भी ले आएं खाने के लिए.
अब वो क्या करे उस वक़्त तो किसी से कुछ कह भी नही सकती और पति जी बहुत आराम से कह रहे थे कि कोई बात नही खिचड़ी बना लो, हम सब वही खा लेंगे, और रिया गुस्से में कभी पति को तो कभी आलू बैंगन की सब्जी को देख रही थी.............

शिवानी वर्मा
शांतिनिकेतन