Hope is hell - 3 in Hindi Thriller by kuldeep vaghela books and stories PDF | होप इस हेल - 3

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होप इस हेल - 3

होप इस हेल
एपिसोड ३
मेरे मितवा, मेरे मीत रे, आजा तुझको पुकारे मेरे गीत रे।
मोहम्मद रफी का ये पुराना गाना डॉक्टर मेबनको आकर्षित कर रहा था। अपनी बेंज़ कार में को अपनी लेब की तरफ जा रही थी। सोच रही थी की लॉकडाउन स्टार्ट हुए 1 दिन हो गया है और अब उसकी वैक्सीन भी लगभग तैयार हो ही गई है। वो अपने देश पर गर्व करने वालोंके लिए एक बहुत अच्छा कारण बनने वाली है। लेकिन इससे कहीं ज्यादा उसने मानवता की सेवा की है, जो हमेशा से ही उसका सपना रहा था। बचपन में जब भी को अपने पापाके काम को देखती और उनसे सवाल करती, तब वो हमेशा कहते कि - अगर आप कोई अच्छा काम कर रहे हो तो चाहे उसका तरीका कितना भी बुरा हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी बात को उसने अपने जीवन में उतार लिया था।
वो अपनी इन्हीं यादों में खोई हुई थी तभी उनकी गाड़ीके साथ एक बाइक ज़ोरदार तरीके से आकर टकराई। बाइक वाला धड़ाम से जमीन पर गिर गया। डॉक्टर मेननको भी हाथ पर थोड़ी चोट आई। वैसे भी रोड पर कोई था नहीं तो डॉक्टर मेननको अकेले ही गाड़ी से उतरकर उसकी मदद करनी पड़ी। उन्होंने उसे उठाया तो देखा कि उसके हाथ से ब्लीडिंग हो रही है। शायद बाइक के हैंडलकेनीचे हाथ आ जनेले कारण उसके हाथ में छोटासा क्रेक आ गया था। इसलिए उसे दर्द भी बहुत ज्यादा हो रहा था।
"घबराओ मत, मैं खुद एक डॉक्टर हूं। मैं तुम्हे हॉस्पिटल ले जाउंगी। तुम्हारी बाइक में यहां छोड़ देती हूं। जब तुम ठीक हो जाओ तब ले जाना। चलो मेरे साथ।"
वो बिना कुछ बोले साथ चल दिया। डॉक्टर मेननने उसके हाथ पर पट्टी बांधी, ताकि ब्लीडिंग थोड़ी सी कम हो। उसने जींस-टीशर्ट और मंकी कैप पहन रखी थी। यंग और डैशिंग लग रहा था। वो लड़का अपनी बिल्डिंग से परेशान था। डॉक्टर मेननने उसे हौसला दिया। शायद अपनी ज़िंदगीमें उसने ऐसा बहुत कम देखा होगा और उसकी जिंदगी भी कितनी होगी। मुश्किल से 20 साल।
"क्या तुमने कभी ऐसी चीज़ें नहीं देखी?" डॉक्टर मेननने उसकी घबराहट दूर करने के लिए उससे बातें शुरू कर दी।
"नहीं। कम से कम इतनी तो नहीं। मेरा काम मुझे ऐसी चीज़ों से दूर ही रखता है।"
"और मेरा हमेशा इन्हीं चीज़ों से पाला पड़ता है। वेल, एस अ डॉक्टर, आपको खून और फटे हुए चमड़े देखने का आदी हो जाना चाहिए। क्योंकि जान बचाने के लिए आपको इतना कठोर तो होना ही पड़ेगा। भगवान कृष्णने भी कहा है ना कि जो धर्म की रक्षा करता है उसको बलिदान भी देना ही पड़ता है।"
"लेकिन कभी-कभी बलिदान उतना ज़्यादा होता है जितना हमने सोचा भी ना हो।" वो लड़का अपने हाथ को दबाते हुए बोला। उसकी आवाज़ में दर्द साफ झलक रहा था। पर डॉक्टर मेनन समझ नहीं पाई की ये बिल्डिंगकी वजह से ही था या कुछ और था
वो उसे हॉस्पिटल ले गई। उसका इलाज करवा कर डाक्टर मेननने अपने हिस्से का प्रायश्चित किया। लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि वो लड़का कोन है और क्या करता है। डॉक्टर मेनन अपना फॉर्मेलिटी और पेपरवर्क ख़तम करके उस लड़केको मिलने गई। पर रूममे कोई नहीं था।
नर्स ने बताया वो लड़का चला गया और उनके लिए चिट्ठी छोड़ गया है। डॉक्टर मेननने वो चिट्ठी पढ़ी। उसने लिखा था : एक जान उधार।
***
मुंबई के चोर बाज़ारमें राधिका मेनन पर्स को झुलाते हुए कोई हूर परीकी तरह जा रही थी। कुछ लड़के उसे देखके अपनी नज़र सेक रहे थे। राधिकाने बस अपनी एक नज़र अनपर दाली तो वो समझ गए की ये उनके लेवल की बात नहीं है, वैसे भी ये लड़की मुंह से ज़्यादा गोलियों से बाते करती है। तो वो इनके लिए तो आऊट ओफ़ द बॉक्स वाली बात थी।
तंग गलियों से गुज़रते हुए उसे हर वो बात याद आ रही थी। वो जिससे मिलने जा रही थी वो निहायती होशियार, उसुलोवाला और ईमानदार था, पर उसकी सनकके चर्चे भी मशहूर थे। वो आगे जाकर एक दुकानके पास रुकी। दुकानके बाहर कई गाडियां पड़ी थी। दिखने में कुछ एकदम नई और कुछ पुरानी लग रही थी। कुछ के नंबर प्लेट भी नहीं थे। ब्रेज़ा, ह्युंडई, मर्सी, बीएमडब्ल्यु और नजाने कितनी सारी। लगता था कोई शो-रूम है। तभी सामने से एक आवाज़ आई : " में तेरा इच इंतज़ार कर रेला था रे बाबा, "
"तुम वैसे ही रहोगे क्या, वहीं काले शॉर्ट्स, लाल बनियान और सफेद गमछा। "
" इस बार थोड़े बाल थोर जेसे नी लग रहे ?"
"सस्ता इंडियन थोर, जो गाडियोके नीचे धूल खा रहा है।"
" अब तुम मेरे बालो की तारीफ करने तो दिल्ली से यहां तक आती नहीं। तो बताओ जल्दी और हो जाओ कल्टी। "
राधिकने पर्समेसे फोटो निकाल के उसे दी। " इसकी हलचल और इस पर हो रहे हर इशारे का हाल।"
" चिड़िया आजकल हावाओमे बहोत ऊंचे उड़ रही है। पर बाज़ उसे नीचे ले ही आएंगे। बहॉत हाई लेवल का गेम चल रहा, तुम सोच भी नहीं सकती। " उसने हसते हुए बोला" वैसे रो को इतना इंट्रेस्ट क्यों है इसमें ? क्या मि, बक्षीकी जगह कोई नया आ गया ? या फिर ये राधिका का अपना ही मिशन है। " उसने जानबूझ कर राधिकाको गुस्सा दिलाने की कोशिश की।
"धेट्स नन ऑफ यॉर षिझनस मि, समीर सिंह। इटृस बेटर की हम बिना पर्सनल हुए अपना-अपना काम करे।"
" वो कौन है? अपुन तो करीम है।, गाडियां बनता है रोज।"
राधिका हसने लगी । "कुत्तेकी दुम और देशभक्ति, दोनों इसी चीज़ें है जो कभी नहीं बदलती। इसी बात पे एक चाय हो जाए !?"और दोनों कई सालों बाद मिले इन पलो को जीने लगे। जाते जाते करीमने कहा :
"राधिका , आई एम् जस्ट अ र्कोल अवे।"
" आई नो।" और वो एक नजर करीमको देख कर चलने लगी। करीम भी उसे जाता देख रहा था, और खुद से ही बोला " शिद्दत से ज़िन्दगी और चाहत कि मौत बाहोत नसीबवाले को मिलती है। "
***
अपनी हार्ले डेविडसन बाइक पर आदमी हवा से बातें करते हुए हाईवे पर जा रहा था। वो सोच रहा था कि कैसे वो कोलकातासे मुंबई तक इस लॉकडाउन में बाइक लेकर आ पाया। उसे इस बात का अभिमान भी था और आश्चर्य भी। वो अपनी बाइक की स्पीड 100 से ऊपर रखकर ही चला रहा था उसे इस बात का बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन उसके साथ साथ उसका दिमाग आगे के प्लान के बारे में भी सोच रहा था।
उसने पास ही के ढाबे पर बाइक रोकी और थोड़ा आराम करने के लिए चाय का आर्डर दिया। वो ये समझ गया कि कुछ लोगों की नज़र उस पर गड़ी हुई थी। ढाबे वाले से बातचीत में साफ पता लग गया था कि वो मुंबई के एरिया में आ चुका था। सालों बाद उसे इस शेहेरने बुलाया था। वो अपनी पुरानी यादें जो यहां छोड़ कर गया था सभी उसके सामने आने लगी। कभी उसकी भी लाइफ नॉर्मल थी, कभी वो भी एक आम आदमी की तरह एक मुंबईकर की तरह जीता था। उसके भी अपने सपने थे, अरमान थे। लेकिन फिर ज़िन्दगीमें एक ऐसा दिन आया जिसने उसका मकसद ही बदल दिया।
उसकी यादों में से उसे ढाबेवाले की आवाज़ने बाहर निकाला। जो उसे चाय के साथ क्या लेंगे ये पूछ रहा था। और उसे अपनी फेवरेट आइटम याद आ गई। जो मुंबईकी पहचान थी, और जो उसकी भी पहचान ही थी - वडा पाव।
***
रिया मेनन अपनी लेब में किसिसे फोन पे बात कर रही थी। " जब भी कुछ नया आविष्कार होता है, तब उसके लिए क्रेडिट और उसका फायदा उठानेके लिए हमेशा लड़ाई होती ही है। इस वैक्सीन में भी यही होगा। मुझे अपनी परवाह नहीं, पर अगर ये ग़लत हाथों से पड गई तो हम सोच भी नहीं सकते कितना बुरा होगा। इसी लिए में चाहती हूं कि तुम कल जेसे ही ये वैक्सीन रेडी हो तब ले जाओ। " सामने बस एक शब्द आया " ओके"
और डॉक्टर का शक बिल्कुल सही था। कई लोग इस चिड़िया के लिए नज़रे गड़ाए बैठे थे। अब नजाने वो अच्छे थे या बुरे , पर सब बस इसी वात के इंतज़ार में थे जब डॉक्टर मेनन अपना काम पूरा कर ले। और कल वो होनेवाला था।