कई साल पहले की बात है, जब मैं ,.मेरा भाई अपने माता-पिता के साथ एक खूबसूरत से नगर -पालमपुर में रहते थे। यही तीन - चार साल पहले हमने वह नगर छोड़ दिया था।
बात उन दिनों की है जब पालमपुर में बहुत ठंड थी। हम बहुत खुश थे। पिताजी और मेरी मां दोनों मिलकर गुजारे जितना कमा लेते थे। मेरा मेरे भाई के साथ रिश्ता बहुत गहरा था। मेरा भाई जैसे मेरे लिए सब कुछ था। उस पर इतना विश्वास और प्यार था किकिसी शिकवे की कोई गुंजाइश ही नहीं रह जाती थी। भाई मेरे से दो ढाई साल ही बड़ा था।
हम थोड़ी शरारतें करते रहते थे। वैसे ही एक दूसरे को चिढ़ाते रहते थे। बस एक दूसरे की शरारतें पिता जी को बताने में हमें मजा आता था और हमारी मां हमें हमेशा रोकती रहती।
उन्हीं दिनों में नवंबर महीने की बात है, मेरा जन्मदिन आया। घर में सब बहुत खुश थे। मैं भी बहुत उत्साहित था। मुझे अपने दोस्तों को अपने घर बुलाने का शौक था और उनके साथ मस्ती करने का। पिछले साल दादा जी की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं जन्मदिन नहीं मना पाया था। इस बार मैंने मां को मना लिया था। घर में सब बहुत खुश थे।
मैं और मेरा भाई रोज कोई नई योजना बनाते हैं, पर मैं रोज भैया से एक अच्छे तोहफे की मांग करता और वह मुझे ऐसे ही बातों में लगाकर छोड़ जाते। मेरा भाई भी मुझसे बहुत प्यार करता था। वह रोज सोचता था कि क्या तोहफा दूं। पिछले दो-तीन सालों से उन्होंने मुझे सिर्फ कार्ड ही बना कर दिए थे। मैंने बोल दिया था कि इस बार कार्ड नहीं लूंगा कोई अच्छा तोहफा लेकर आना। अब मैं 15 साल का हो जाऊंगा। कोई छोटा नहीं हूं जो कुछ भी उठा कर ले आओगे........। बस ऐसे ही हम एक दूसरे को चिढ़ाते रहते। मैं सुबह उठा.... आज 21 तारीख थी, मेरा जन्मदिन आया। मैंने अपने सब दोस्तों को फोन करके शाम को 5:00 बजे घर पर बुलाया। मैंने भाई से कहा कि “कि तुम भी अपने किसी दोस्त को बुला लो।” हर्ष मेरे भाई का सबसे अच्छा दोस्त था। भैया ने उसको भी बोल दिया।
मां रसोई में काम कर रही थी...... हम सब मिलकर मस्ती कर रहे थे। मेरी नजर भैया के तोहफे पर थी... मुझे लग रहा था कि वह मेरे लिए कुछ अच्छा लेकर आए होंगे। हमने खूब मस्ती की। सब दोस्तों ने मुझे अच्छे-अच्छे तोहफे दिए और मेरे भैया ने भी मुझे तोहफा दिया। मैं सबसे ज्यादा उत्सुक अपने भैया का तोहफा खोलने के लिया था पर मां ने मना कर दिया.... कि अभी नहीं कुछ समय बाद खोल लेना। मैंने पिताजी को भी बताया कि, “भैया ने मुझे तोहफा दिया है।” वह बहुत खुश हुए। हमने रात को सब के तोहफे खोले।
फिर मैंने भैया का दिया तोहफा खोला। इसमें एक अजीब सा कैमरा था... मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह कैमरा था ।या कोई दूरबीन उसकी बनावट बिल्कुल अलग थी, जैसे बहुत मजबूत और पुराना हो। मुझे इतना भी खास ना लगा परंतु भैया ने कहा कि “यह बहुत खास कैमरा है।
मैं बड़ी मुश्किल से अपने दोस्त के पिता से इसको लेकर आया हूं” तो मैं हैरान हो गया कि इसमें क्या खासियत है। उसने कहा कि “यह कैमरे में जो भी तस्वीर लेते हैं वह साथ में ही बाहर आ जाती है” मैं ध्यान से सुन रहा था परंतु मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। हम बार-बार उस कैमरे को देख रहे थे। मैंने भैया से पूछा कि “तुम्हें यह कैमरा कहां से और कैसे मिला?”
तो भैया ने बताया कि “मैं जब मेरे दोस्त के घर जाता था उसके दादाजी के सामान में मुझे यह कैमरा बहुत अजीब लगता था। मेरा मन था कि मैं इसको घर ले जाऊं। उसके दादा ने बहुत सारा पुराना सामान संभाल कर रखा हुआ था परंतु अब उसके दादाजी नहीं रहे। उसके पिताजी कुछ सामान बेच रहे थे और कुछ सामान ऐसे ही गिरा रहे थे तो मैंने अपने दोस्त से इस कैमरे को लेने की इच्छा की।” तो उसके पिताजी ने बोला कि “हमने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया। यह तो दादाजी के समान में ऐसे ही पड़ा मिला था लेकिन हां वह इसको इस्तेमाल नहीं करते थे। वह हमेशा कहते थे कि यह किसी विज्ञानिक का कैमरा है जो जापान से आया था परंतु हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए ऐसे ही रखा हुआ है। अगर तुम्हें इतना ही पसंद है तो तुम ले जाओ।”
बस इतना सुनते ही मैंने उनको इसकी कीमत दी और यह कैमरा ले लिया। मुझे यह बात बहुत अच्छी लगी कि यह साथ में ही तस्वीर निकाल देता है। मैंने बाहर से इस को थोड़ा सही करवा लिया और इसका रंग रूप भी चमका दिया। मैं यह देखना चाहता था कि यह किस तरह से तस्वीर निकालता है। इतने में मां की आवाज आई
“ सो जाओ..... अभी बहुत रात हो गई है सुबह देख लेना!”
तभी हमने बत्ती बंद कर दी और लेट गए पर मेरा ध्यान बार-बार उस कैमरे की तरफ जा रहा था जो कि कमरे में पड़ा भी अनोखा सा लग रहा था। मैं और मेरा भाई देर रात तक बातें करते-करते कब सो गए हमें पता ही नहीं चला। दूसरे दिन सुबह मैं उठा और जल्दी से नहा-धोकर तैयार हो गया। मैंने भैया से कहा कि “तुम जाना नहीं हम अभी यह कैमरा दिखेंगे।”
मैंने जैसे ही कैमरा उठाया और तस्वीर लेने के लिए उस पर क्लिक किया तो मेरे कानों में एक चीख की आवाज आई। मैं सहम गया। मैंने फिर से क्लिक किया। उस पर क्लिक करते ही हल्की सी चीख की आवाज कानों में आ रही थी। अभी तक तस्वीर नहीं निकली थी। मेरे भाई ने देखा की तस्वीर क्यों नहीं निकल रही तो उसने कहा कि “इसको रख दे, मैं कल बाहर से सही करवा लाता हूं।”
मैं सहम सा गया मैं भागकर मां के पास गया और मां से कहा “मुझे कैमरा नहीं चाहिए, पता नहीं क्यों मेरे मन में अजीब सा डर हो गया था।” मेरा भाई उसको दिखा कर आया और बोला कैमरा तो सही है। मैंने फिर डरते - डरते एक तस्वीर खींची तो फिर वही आवाज आई...... और हैरानी की बात यह है कि तस्वीर भी निकल आई। तस्वीर बहुत ही अच्छी थी। उस पर कुछ खून के निशान और काले काले धब्बे लगे थे। मेरी चीख निकल गई.....! मेरी मां भाग कर कमरे में आई और बोली
“क्या हुआ? क्या कर रहे हो?”
मैंने तस्वीर मां को दिखाई। मां ने कहा “यह कैमरा बहुत पुराना है इसीलिए ऐसी तस्वीरें निकल रही है। आप दोनों फिर से कोशिश करना।” उसके बाद हमने बहुत सी तस्वीरें खींची। हर बार किसी तस्वीर पर खून लगा होता.... तो किसी पर काले धब्बे और किसी पर हल्की सी परछाई दिखती। जब क्लिक करते तो चीखने की आवाज भी आती.....। मैंने अपने भाई को कहा "मुझे यह नहीं चाहिए यह आप ही रखो।” जब मेरे भाई ने इससे तस्वीर खींची तो उसके कानो में भी चीखने की आवाज आई और वैसे ही फोटो पर खून के निशान, धब्बे दिख रहे थे।
भाई ने कैमरा इतनी जोर से पटका और भागकर मां के पास चला गया। अब माँ भी सोच रही थी कि यह क्या हो सकता है हम सब डर गए थे पर हम जानना चाहते थे कि ऐसा क्यों हो रहा है। हमने कैमरे को एकांत में रख दिया। कैमरा आ जाने के बाद घर में पूरी तरह से बेचैनी, तन्हाई और खौफनाक माहौल बन गया था।
मैं जब घर पर अकेला होता तो घबरा जाता, माँ भी अकेली नहीं रहती थी। हमें हर समय, हर तरफ खून दिखाई देने लगा था। हमने कई दिन तक उस कैमरे को हाथ नहीं लगाया। फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके वह कैमरा निकाला, सोचा अब तक शायद ठीक हो गया होगा, फिर मैंने तस्वीर खींचने का सोचा। मन नहीं था परंतु फिर भी हिम्मत जुटाकर वह कैमरा उठा लिया। मेरे भाई ने मुझे ऐसा करने से मना किया और कहा “रख दे इसको, किसी कोने में.....।” मैंने कहा “भैया अब तो यह ठीक हो गया होगा, शायद..... हमने सही इस्तेमाल ना किया हो। मेरा भाई कुछ समय के लिए चुप हो गया और माँ को हमने कुछ नहीं बताया।
माँ ने कैमरे को छूने से भी मना किया था। मैंने कैमरा उठाया इधर-उधर से देखा और खिड़की के पास जाकर बाहर दिख रहे तालाब की तस्वीर खींचने लगा। पहले से भी अधिक तेज चीखने की आवाज मेरे कानों में आई और कैमरे के नीचे से तस्वीर निकली जिसे देख कर मेरा भाई बेहोश हो गया........।
तस्वीर में पानी की जगह खून का तालाब दिख रहा था और किसी लड़की के डूबने का आभास एक परछाई के जरिए हो रहा था। मैंने अपने भाई को संभाला और कैमरा फिर से पटक दिया। मैं अंदर से डरा हुआ था पर फिर भी अपने भाई को हिम्मत दे रहा था।
भैया...! भैया...! उठो, मेरा भाई बार-बार चिल्ला रहा था......। कैमरा फेंक दो....... कैमरा नहीं चाहिए....
माँ ने हर्ष के पिता, सुंदर अंकल से बात की और यह सब बताया। वह विश्वास नहीं कर रहे थे परंतु हैरानी से माँ की बात सुन रहे थे। सुंदर अंकल ने अपनी माँ से इस खूनी कैमरे के बारे में बात की जो कि हर्ष की दादी थी। उसने सुंदर को ऐसा करने के लिए बहुत डांटा क्योंकि दादी को सब पता था।
दादी ने कहा “यह कैमरा तेरे पिताजी ने जापान के वैज्ञानिक की अच्छी तकनीक समझकर रख लिया था, परंतु इसके खौफ और चीखने से हम भी डर गए थे। फिर कभी इस कैमरे को हमने डब्बे से नहीं निकाला और ऊपर किसी कोने में रख दिया। यह उस जापान के वैज्ञानिक का है जो भारत में घूमने आया था। यह उसने खुद बनाया था। उसने भारत की एक खूबसूरत और गरीब लड़की को बहुत परेशान किया और उसकी गलत और नहाते हुए तस्वीरें खींची। वह लड़की बेचारी बहुत परेशान थी बार-बार उससे तस्वीरें मांगती रहती और निराशा और चिंता ने उसे इतना मजबूर कर दिया कि उसने आत्महत्या कर ली थी। तब से उसकी आत्मा मानो इस कैमरे में कैद है। जापानी कैमरे को अपने साथ ना ले जा सका। वह डर गया था। वह एक अपाहिज रूप में यहां से वापस गया और उसकी चीखें और जिस्म की परछाइयां जैसे इस कैमरे में इतने सालों से तड़प रही है।”
सुंदर अंकल की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने यह सब माँ को बताया। मेरा भाई इन बातों पर विश्वास नहीं कर रहा था, उन्हें लग रहा था कि इस जमाने में ऐसी बातें नहीं होती, कि कोई रूह या आत्मा किसी चीज में कैद हो ।तब मैंने समझाया कि “जब किसी लाचार और गरीब लड़की की बद्दुआ लगती है और जब कोई अंदर से तड़पता है तब जमाना नहीं देखा जाता। जब किसी की रूह तड़पती है तो वह ना तो रात का अंधेरा देखती है और ना ही दिन का सवेरा। हमारी आंखों में आंसू आ गए थे और हमने उस कैमरे को तोड़कर किसी ऐसी जगह पर फेंक दिया जहां से उस लड़की की रूह आजादी से निकल सके और उसको कोई परेशान ना करें।।