Mera Mitra in Hindi Women Focused by ....... books and stories PDF | मेरा मित्र

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मेरा मित्र

गुंजन के फोन की घंटी बजतो है...

गुंजन : हेलो पापा,राधे राधे।

पापा: हा बेटा, राधे राधे।कुछ बात करनी थी तुमसे ,कितनी देर लगेगी घर आने में?

गुंजन : हा पापा, मै कॉलेज से बस निकल ही गई हूं ,१० मिनट में पहोच जाऊंगी ।

पापा : ठीक है बेटा,संभाल कर आना ।

गुंजन घर पहोचती है और पापा के कमरे में जाती है।यहां बैठो बेटा,मेरे पास - पापा ने कहा। गुंजन बैठती है और पूछती है क्या हुआ पापा ? आपकी तबियत तो ठीक है ना..? हा ,मै ठीक हूं - पापा बोले

बेटा, तुम अकेले इन सब से लड़ रही हो? मुझे एक बार भी बताना ठीक नहीं समझा या फिर मुझ पर विश्वास नहीं है तुम्हें अपने पापा पर कि वो तुम्हारी बात को नहीं समझेंगे?

नहीं पापा, मै आपको परेशान करना नहीं चाहती थी,मुझे विश्वास है आप पे। ये सब कुछ ६ महीने पहले शुरू हुआ था। कुंज ने तभी मुझसे प्यार का इजहार किया था। मै बहुत खुश थी पापा कुंज के साथ , मुझे उस की हर बात बहोत अच्छी लगती थी - उसका हसना ,उसकी बातें ,सब कुछ।मेरी हर छोटी बात का वो ध्यान रखता था।हम एक दूसरे को टाइम देने लगे थे।और इन सब में बहोत सारे पल हमने एक साथ बिताए थे।उस वक्त की कुछ तस्वीरें कुंज के पास थी , उसीको लेकर वो मुझे बाद में ब्लैकमेल करने लगा।मैंने बहोत समझाया उसे ,मिन्नते भी की उसे,प्यार का वास्ता भी दिया ...लेकिन वो नहीं माना.. कहेता था जब प्यार ही नहीं तो वास्ता कैसा...।
मैंने सोचा कि आपको सब कुछ सच सच बता दू ... लेकिन ..लेकिन पापा ... मै हिम्मत नहीं जुटा पाई...आखिर क्या कहेती आपको...😧 .. फिर मैंने पुलिस की मदद लेने का सोचा ।महिला अधिकारी ने मेरी मदद की।उन्होंने कुंज के फोन से और पेनड्राइव से सारी तस्वीरें डिलीट कर दी । और जुर्माना भरवा के दोबारा ऐसा कुछ भी ना करने के लिए हस्ताक्षर भी करवाए।

अपनी भरी आंखों से गुंजन बोली - मुझे माफ़ कर दीजिए पापा, मै पहले ही आपको ये सब कुछ बताना चाहती थी ।लेकिन मुझे डर था कि आप कहीं मुझसे नफरत ना करने लगे.....

गुंजन को गले लगाकर पापा बोले - मेरी बच्ची , तु अकेले ही ये सब कुछ सहन कर गई..मुझे इस लायक तो समजती की अपना दर्द बाट सको और मै अपनी बच्ची से कभी भी नफरत कर नहीं सकता ।लेकिन मुझे भी तुम वादा करो कि आज के बाद तुम मुझे अपना दोस्त समझ के अपनी हर बात मुझसे शेयर करोगी - चाहे वो खुशी की बात हो या गम की। हर परेशानी में मुझे अपना भागीदार बनाओगी।

उस दिन गुंजन को अपने पिता के रूप में एक मित्र मिला ।उस दिन के बाद वो हमेशा पक्के मित्र बन के रहे...।

{{ हर पिता सबसे ज्यादा प्यार अपनी बेटी को ही करता है और विश्वास भी सबसे ज्यादा बेटी पर ही करता है ।एक पिता परिस्थितियों की वजह से थोड़ा कठोर जरूर होता है ,लेकिन पत्थरदिल कभी नहीं होता ।इसीलिए हर बेटी को सबसे ज्यादा अपने पिता पर भी विश्वास करना ही चाहिए ।}}