आज चार साल बाद आया हूं यहां , कुछ भी नहीं बदला सब कुछ पहले जैसे ही है , आज भी सूरज की रोशनी अन्दर नहीं आ पाती है ठीक से , इतना घना बग़ीचा है ।
फिर भी पत्तों के बीच से छनकर के सूरज की किरणें जहां जहां पड़ती हैं , ऐसा लगता है जैसे कोई मड़ी चमक रही हो ,
हवा का हल्का सा झोका जब पेड़ से टकराता था,
और उससे होनी वाली आवाज़ जो होती थी , बहुत ही डरावनी होती थी ।
पर ये सच है की वहां कोई अकेला नहीं जाना चाहता था ,
"आम का बगीचा" बहुत ज्यादा घना होने की वजह से ,
डरावना और अन्दर का नजारा कुछ ऐसा था , जैसे काले बादल छा जाने से अंधेरा हो जाता है ,
ठीक वैसे ही वहां का दृश्य था ।
जब भी पैर रखो उस पर नीचे पड़े पत्तों से होने वाली सरसराहट , दिल की धड़कनों को बढ़ा देती है ।
जैसे किसी खाई के पास चिल्लाने से आवाज़ वापस सुनाई देती है , ठीक वैसे ही कुछ यहां भी था ,
ख़ुद की आवाज ख़ुद को सुनाई देती थी , ऐसा लगता था जैसे हमारे बोलने के बाद वही बात कोई और दोहरा रहा हो ।
पेड़ों पे बैठे पक्षी जब एक साथ उड़ते हैं , दो पल को तो लगता है जैसे कोई किसी को तड़पाता हो ,
और वो अपने पीड़ा से छटपटा रहा हो ।
बगीचे से लगभग सौ कदम की दूरी में एक तालाब था , जो अपने गहराई के लिए मशहूर था ।
उसी के पास बहुत सारे खेत भी थे , और बगीचे की देख रेख के लिए एक आदमी भी रखा गया था ।
गांव से बहुत दूरी होने की वजह से आदमी रोज आना जाना नहीं कर पाता था ,
तो उसने अपने खाने पीने की व्यवस्था वहीं कर ली थी , जैसे उसने तालाब के ही पास के खेत में कुछ सब्जियां लगा दी ।
कुछ दिन बीते सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था ,
की एक दिन शाम होते ही तूफान सुरु हो गया ,
ज्यों ज्यों अंधेरा घना हो रहा था तूफान भी अपनी हदे पार करता जा रहा था ।
तब उसे पहली बार डर का एहसास हुआ , पर अपनी झोपड़ी के न उड़ने तक , ख़ुद को संभाले हुए था ।
पर ये सिलसिला ज्यादा देर नहीं चल पाया , और आखिरी में उसके रहने वाली झोपड़ी , जिसको बड़ी मेहनत से तैयार किया था ये सोच के , कितनी भी बारिश क्यों न हो , पर उसको परेशान नहीं होना पड़ेगा ।
पर उसने ऐसे भयंकर तूफान की कल्पना तक नहीं किया था ,
उसको अपनी झोपड़ी से निकल कर बगीचे की तरफ आना पड़ा , इस आसरा के सिवा कोई चारा भी नहीं था ,
बगीचे की तेज तर्रार से हिलती हुई डालियों को देखकर भयभीत हो चुका था ।
डर तो उसके अंदर दस्तक दे ही चुका था , पर ख़ुद को अन्दर से समझा रहा था कि मैं नहीं डर रहा ,
पर जब बगीचे में प्रवेश किया , आप ज़रा सोचिए जहां दिन में अंधेरा छाया रहता हो , भला वहां ऐसे भयानक तूफान के चलते कितना भी हिम्मत वाला हो , पर कुछ समय के बाद उसकी हिम्मत भी टूट जाएगी ।
बहुत समय बीतने के बाद जब तूफान नहीं थमा , तो उसने पेड़ की जड़ों के पास अपनी तौलिया बिछा कर लेट गया ,
और तरह तरह के विचार मन में आने से भयभीत हो रहा था , कब उसकी आंख लग गई कुछ पता नहीं चला ।
अचानक किसी के पास आने ही आहट से घबराकर उठ जाता है , और आंखे मिचते हुए चारों ओर नजर घुमाकर फिर लेट जाता है , और आंखे लग जाती हैं,
उसे सपने में एक 9 साल की लड़की दिखती है , जो उसे कहती है मुझे घर जाना है ।
इस बार उसको एहसास हुआ जैसे कोई उसका हाथ पकड़ कर उठा रहा हो , और इतने में जोर की बिजली चमकी और उठकर बैठ जाता है ,
इस बार उसकी धड़कने जोर से धड़क रहीं थी , और
ऐसे तूफान के वावजूद पसीना चल गया था ।
उसे लगा जैसे उसके हाथ में कुछ चिपक सा रहा है , जैसे किसी ने अपने आम खाए हुए हाथों से पकड़ा हो ,
देखा तो सच में पके आम का रस लगा हुआ था , पर वो जानता था कि अभी तो आम का मौसम भी नहीं है , तो फिर पके आम का रस कैसे लग सकता है मेरे हाथों में , पर उसे पता था जितना ज्यादा वो सोचेगा डर उतना ही बढ़ता जायेगा ।
घने बादलों की वजह से चारों तरफ सिर्फ़ अंधेरा ही अंधेरा छाया था , वो अपनी जगह से हिलना ठीक नहीं समझा , और वापस से मन में डर लिए सोने की कोशिश करने लगा ,
समझा था इस बात को रात काटना है अगर तो सिर्फ सो कर ही कट सकती है ।
इस बार जैसे ही उसकी आंखे लगी , उसको अपनी तरफ एक छोटी लड़की के पास आने का सपना आया , और वो फिर से वही बात दोहरा रही थी ,
की उसे घर जाना है ,
इस बार वो लड़की रो रही थी , इसने सपने में ही
" कल सुबह आने को बोला " और आज न परेशान करने की गुज़ारिश की ।
फिर अचानक से अपने ऊपर पानी फेके जाने पर गुस्सा हो जाता है , और उसका सपना टूटता है तो पता चलता है कि बारिश हो रही है , और वो पूरी तरह से भीग गया है ।
और सुबह होने का इंतजार करता है , और उसे याद आता है कि सपने में फिर से उसके लड़की आई थी , हो अपने घर जाने की बात कह रही थी ,
और गंभीरता से विचार करता है कि एक ही सपना दो बार कैसे आ सकता है , वो भी एक जैसे ।
काफी देर के बाद बारिश थमी , मौसम ठीक हुआ और वो बाहर की तरफ जाने के लिए खड़ा हुआ ,
और अपनी तौलिया जैसे ही उठाने लगा तो जैसे लगा जैसे कोई अपनी तरफ खींच रहा हो , एक पल के लिए तो डर गया , पर मन में खयाल आया कि जड़ों में फस गई होगी , तो उसने हाथों से टटोलते हुए सुलझाने की कोशिश की , पर जब कहीं फसी हो तब तो सुलझे ।
उसने डर के मारे तौलिया छोड़ दी , और गांव की तरफ भागा , घर पहुंचते पहुंचते उसकी तबीयत बिगड़ गई ।
पर किसी तरह से ख़ुद को रुकने नहीं दिया ,
पर उसे तेज बुखार चढ़ चुकी थी ,
पत्नी ने उसकी ऐसी हालत की वजह पूछी तो , उसने सारा किस्सा सुनाया ,
और अपने मालिक को ये बताने को कहा कि वो अब वहां काम नहीं कर पाएगा ।
उसकी पत्नी ने मालिक के भवन पहुंच के काम छोड़ने की बात कही ,
तो मालिक ने वजह पूछी की आखिर क्यों काम छोड़ना है ,
पहले उसने अपने पति की तबीयत खराब होने की बात की और कुछ नहीं बताई ,
पर जब मालकिन ने उससे पूछा कि कोई और बात हो तो बता सकती हो , पैसे कम हो ?? या कोई सुविधा न मिल पा रही हो ??
तो उसने हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी और बोली हमें कुछ नहीं चाहिए ।
और पति के साथ जो घटना हुई वो सब बताई ,
मालकिन जैसे ये बात सुनी तो जोर जोर से रोने लगी ,
और चिल्लाने लगी मेरी बच्ची को कोई वापस ले आओ ।
असल में वो मालिक की इकलौती बेटी थी ,
जो आम खाने बगीचे गई थी परिवार के साथ ,
पर खेलते वक़्त उसके ऊपर डाली गिरने से उसकी अस्पताल पर 5 दिन के बाद मौत हो जाती है ।
* कहानी कैसी लगी आपको हमें अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें *
🙏 पढ़ने के लिए धन्यवाद् 🙏 आप पढ़ते हैं तभी हम लिख भी पाते हैं ।
लेखक - Jeetesh Tiwari SJT