Pasand apni apni - 1 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | पसंद अपनी अपनी - 1

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पसंद अपनी अपनी - 1

"बिजली घर-बिजली घर---ऑटोवाला ज़ोर ज़ोर से आवाज लगा रहा था।उमेश को देखते ही ऑटो वाले ने पूछा था।
"कमलानगर जाना है।"
"कमलानगर के लिए बिजलीघर से बस मिलेगी,"ऑटोवाला बोला,"आइये।आपकेे बैठते ही चल दूंगा।"
ऑटो में दो सवारी बैठी थी। एक कोने में युुुवती दूसरे कोने में मज़दूूूर सा दिखने वाला आदमी।उन दोनों के बीच जगह खाली थी।उमेश उस जगह बैठ गया।उसके बैठते ही ऑटो चल पड़ा।
उमेश ने बगल में बैठी युवती पर नज़र डाली।लम्बा कद,छरहरा बदन,सांवला रंग और साधारण नैैैन नकश के बावजूद उसमे कशिश थी।इसकी वजह थी।उसकी उनींदी ऑखें।
कोने में बैठी युवती चलते ऑटो में क़भी दांये, कभी बांये देख रही थी।ऐसा करते समय कभी उसकी नज़रे उमेश सेे टकरा जाती।तब वह झट से अपना मुुँह फेर लेेती।
उमेश ने सोचा अपने बगल में बैठी युवती से बात की जाए। पर अपरिचित युवती से बात कैसे शुरू करे? कुछ देर मन में सोचने के बाद वह युवती से बोला,"आप पढ़ती है?"
"नहीं।"
"तो पढाती होगी।"उस युवती सेे ना सुुुनकर उसने दूसरा प्रश्न किया था।
"नहीं।"युवती ने फिर ना में उत्तर दिया था।
उमेश कुछ देर चुप रहा। फिर बोला था,"तो आप सर्विस करती होंगी।"
"नहीं"।
यू तो रोज़ अनेक औरतो पर नज़र पड़ती थी।लेकिन सांवले रंग की उस युवती को पहली बार देेेखते ही दिल में कुुुछ कुुुछ हुुुआ था।उमेेेश उस युवटी का परिचय जानना चाहता था।उस यूूवती ने उमेेेश के तीनों प्रश्न का उतर न में दिया था। उमेेेश अब उससे बोला,"कया मैं आपका नाम जान सकता हूँ?"
"मेरे नाम से आपको क्या करना है?"उमेश का प्रश्न सुनकर वह युवती नाराज हो गई।उसने उमेश को ऐसी नज़रो से घूरा, मानो उसे कच्चा चबा जायेगी।उमेश उसके इस रूप को देखकर सहमते हुए बोला,"मै वैसे ही पूछ रहा था"।
उमेश उस युवती को गुस्से में देखकर चुप हो गया।उसके बदन से उठ रही भीनी भीनी सेंट की खुश्बू उसे खींच रही थी।न जाने ऐसा क्या था,उस युवती में की उमेश अपने को उसकी तरफ खींचता महसूस कर रहा था।वह उससे दोस्ती करना चाहता था।लेकिन चुप रहकर यह संभव नही था।इसलिए उसे ग़ुस्से में देखकर भी वह ज्यादा देर तक चुप नही रह सका।साहस बटोरकर उसने पूछा था,"आप जा कन्हा रही है?"
"आप मुझसे ऐसे सवाल पूछ रहे हैं, जैसे वकील अदालत में गवाह से या पुलिसवाला मुज़रिम से पूछता है"।उमेश का प्रश्न सुनकर युवती बोली थी।
"न मैं वकील हूं, न पुलिसवाला।लोगो के बारे में जानना मेरी हॉबी है।"
"अपनी इस आदत को अपने पास ही रखो।डोंट टीज़ मी।"युवती ने तल्खी से कहा था।
"आप मुझे ऐसे डांट रही है,जैसे टीचर बच्चों को डाँटता है।"
उमेश की बात सुनकर युवती ने आंखे फाड़कर उसकी तरफ देखा था।फिर गुस्से मे मुँह मोड़कर बैठ गई थी।उसकी मुख मुद्रा देखकर उमेश को ऐसा लगा।अगर अब वह एक शब्द भी बोला, तो ऑटो रुकवाकर वह खुद उतर जायेगी या उससे उतरने के लिए कहेगी।उसके इस रूप को देखकर वह चुप हो गया।लेकिन ज्यादा देर तक चुप न रह सका।उस युवती से फिर बोला था,"आप रहती कन्हा है?"
"ऐ मिस्टर आप बहुत देर से मुझे तंग कर रहे है।मेरा उत्पीडन कर रहे है।आप तंग करना बंद करेंगे या शोर मचाकर लोगो को इकठ्ठा करू?"
उस युवती की धमकी से रमेश सहम गया।उसने सोचा।अगर सचमुच उस युवती ने ऐसा कर दिया तो उसकी फ़ज़ीहत हो सकती है।वह नही चाहता था,ऐसा हो इसलिए उसने चुप रहना बेहतर समझा।


क्रमश(शेष अगले भाग में)