Veeran kile ki chikh in Hindi Horror Stories by Jyoti Prakash Rai books and stories PDF | वीरान किले की चीख

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वीरान किले की चीख

होनी अनहोनी किस्मत का ही एक हिस्सा होता है जो हर किसी के साथ घटित होता है और कुछ ऐसे पल छोड़ जाता है जो किसी भी समय मस्तिष्क को झकझोर कर रख देता है। महाराजाओं के बने किले जिसमें अब के एक गांव की जनता आराम से जीवन व्यतीत कर सकती है ऐसे ही किले की वह घटना जो अब तक सबसे अनजान थी। बात उन दिनों की है जब सुंदरपुर गांव से बारात पैदल ही जाने के लिए तैयार हो चुकी थी और दूल्हे की यात्रा के लिए बैलगाड़ी भी सजधज कर निकलने के लिए तैयार हो चुकी थी। लोगो को रास्ते में खाने के लिए भी कुछ सामान बांध कर निकल पड़े और गंगा जी को प्रणाम कर नाव से उस पार उतर कर आगे की ओर प्रस्थान कर दिए। दो से तीन कोश की यात्रा करने के बाद लोग एक बगीचे में रुके और अपनी थकान मिटाने लगे। दोपहर हो चुकी थी धूप अपनी जगह मानों आग बिखेर रही हो, लोग प्यासे और थके होने से नीद में सोने लगे और आंख लगी नहीं की समय तेज गति से चल पड़ा और जब आंख खुली तो दिन थोड़ा ही शेष रह गया था। बैलगाड़ी केवल नदी के तट तक ही थी अब तो हर किसी को पैदल ही चलना था। चलते - चलते शाम हो गई और समय दो पहर अधिक बीत गया लोग कहीं रात भर ठहरने का जुगाड़ करने लगे तभी एक बड़ी सी हवेली दिखाई दी और सभी लोग उसी जगह रुकने पर विचार करते हुए वहां पहुंच गए। बंद गेट को जैसे ही खोला कुछ चिड़ियों के पंख फड़फड़ाने की आवाज आई और सब वही थम गए फिर जोर से हंसने लगे और अन्दर प्रवेश कर गए। अंदर एक तरफ बड़ा सा जगत वाला कुआं देख कर लोगों को बड़ा ही सुख प्राप्त हुआ और पानी के लिए वहां जा पहुंचे। रस्सी ना होने के कारण लोग अपनी धोती और रुमाल को जोड़ कर किसी तरह पानी निकाल कर हांथ मुंह साफ किए और फिर कुछ खाने पीने की व्यवस्था करने लगे। तभी सरजू ने कहा मुखिया भइया तुम्हारा कोई जवाब नहीं है कहां इतना दूर विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिए वो तो अच्छा है इस हवेली का जो ठहरने का इंतजाम हो गया नहीं तो न जाने कहां - कहां भटकना पड़ता। अरे यह हवेली नहीं महाराजा भुजंग का किला है जिन्हें उनके ही किसी मित्र ने धोखे से मरवा दिया था और किले पर कब्जा कर लिया था मनोहर ने ऐसा कहा तो लोग भौचक्का रह गए और किले का जायजा लेने के लिए कुछ लोग चल पड़े। चांदनी रात चमकते सितारे और वीरान किला पेड़ पौधों की सूखी टहनियां लोग देखते हुए अन्दर पहुंचे ही थे कि घोड़े के हिनहिनाने की आवाज आई और लोग सहम से गए। तभी मोर ने पंख फड़फड़ाया और पैंको पैंकों करता हुआ उड़ा। किले के एक कोने में तालाब बना हुआ था जहां चमकती हुई रोशनी लोगो को पास तक जाने पर मजबूर कर रही थी वहां पहुंचते ही मगरमच्छ ने माधव को अपना निवाला बनाना चाहा लोग किसी तरह माधव को खींच पाए और जख्मी माधव को लेकर वापस आ गए। मंगरू चाचा ने मिट्टी लगा कर रुमाल से बांध दिया और कहा सुबह तक आराम हो जाएगा। सब लोग सत्तू और पानी का घोल बनाए और नमक डाल कर पी गए अब आराम करने ही वाले थे कि किले से आवाज आई यह अन्याय है मंत्री यह अन्याय है। लोग सुनते ही खड़े हो गए और किले कि ओर बढ़ने लगे तभी हा हा हा हा की ठहाके वाली हंसी गूंज उठी और पूरा किला जैसे हसने लगा हो। लोग एक साथ आगे बढ़ते गए और किले में प्रवेश किए ही होंगे कि बचाओ महाराज बचाओ हमारी रक्षा करो, औरतों के चिल्लाने की आवाज आने लगी तब सभी लोग रुक गए और आवाज सुनने लगे। अचानक सब कुछ शांत सा हो गया अब तक लगभग तीस आदमी अन्दर आ चुके थे कि एक भाला ऊपर से गिरा और दो लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। बुद्धू और गिरधर की मृत्यु होने के बाद मातम में बदल गई बारात और लोग वापस बाहर होने लगे घोड़ों की टापों की आवाज से पूरा किला गूंज उठा और एक चीखती हुई आवाज आई अब सब एक साथ यहां मेरे गुलाम बनकर रहोगे। कोई आंख उठाया तो आंखे निकाल दी जायेंगी सब लोग डर के मेरे नीचे की ओर झुक गए तभी एक आवाज आई आ जाओ सब लोग रात बहुत हो चुकी है। तब सबके जान में जान आई और सब एक साथ निकल भागे। जब सब इकट्ठा हुए तो देखा कि बुद्धू और गिरधर तो उनके साथ गए ही नहीं थे। फिर वहां कौन था यह जानने के लिए लोगों के में में शंका उठने लगी लेकिन किसी के जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अचानक कुएँ में किसी के गिरने की आवाज आई और लोग दौड़ भागे लेकिन वहां कोई नहीं था तभी महल से किसी स्त्री के रोने की आवाज आने लगी और ईश्वर की दुहाई देने जैसी प्रतिबिंब दिखाई देती और फिर गायब हो जाती। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या रहस्य है इस किले में चीखती चिल्लाती आवाज और ठहाके वाली हसी का क्या राज होगा। चियों चियो चीयों करता एक चील आया और उस किले में घुस गया अब किसी भी व्यक्ति को नीद ही नहीं आ रही थी। सब के सब डरे और सहमे से की ना जाने क्या हो आधी रात को इतने में ही तलवारों के टकराने की आवाज और खचा खच गर्दन कटने जैसी आवाजे बाहर आने लगी। गिड़गिड़ा भुजंग जिंदगी की भीख मांग याद कर वो दिन जब तूने मेरे परिवार को बंधक बनाया और जिंदा जलाया था। आज तुझे तेरी किए की सजा अवश्य मिलेगी और सदियों तक तेरी और तेरे परिवार की आत्मा जीवन की भीख मांगते रहेंगे। इस वीरान किले में तुम्हारे मुक्ति का दायित्व पूरा करने कोई नहीं आएगा भुजंग आआ आआआआ की आवाज के साथ महल शांत मुद्रा में परिवर्तित हो जाता है। लोग भुजंग के मुक्ति का उपाय सोचने लगते हैं। यदि मगरमच्छ को तालाब से निकाल कर कुएं में डाल दिया जाए तो शायद मुक्ति मिल सकती है ऐसा मैंने सुना है मनोहर ने कहा लेकिन यह काम करेगा कौन मोती भइया वह तो सीधा जान जोखिम में डालने वाली बात है। हम सब आज इस वीरान चखते किले को भटकती आत्मा से मुक्त करा कर है कल निकलेंगे ऐसा स्वयं दूल्हे गिरिराज ने कहा तो सभी लोग हा ठीक है करने लगे और एक पुतला बना कर कुछ कपड़े लपेट दिए और तालाब के पास जा पहुंचे। वहां पहुंचते ही मगरमच्छ ने आक्रमण किया और लोगों ने पुतले को थोड़ा आगे खींच लिया मगरमच्छ जैसे ही आगे बढ़ा लोग लाठियों से पीट पीट कर लहु लुहान कर दिए और लाठियों के सहारे ही कुएं तक ले जा पहुंचे और कुआं में डालकर सभी बंधक बने दास दासी राजा रानी और राजकुमारी भी आजाद होकर मानों शुभकामना का संदेश देते उड़ते चले गए। सभी लोग भोर होते ही नित्य क्रिया से निवृत्त हो कर स्नान किए और राजा के किले और सूर्य देव प्रणाम कर आगे की ओर प्रस्थान कर दिए।

।। ज्योति प्रकाश राय ।।