Huf Print - 12 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | हूफ प्रिंट - 12

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हूफ प्रिंट - 12

हूफ प्रिंट

Chapter 12

नंदन ने उन्हें बताया कि चंदर इस समय स्टड फार्म में नहीं है। वह अपनी माँ से मिलने गया है। कल दोपहर तक लौट आएगा।

आकाशदीप ने इच्छा जाहिर की कि वह उसका कमरा देखना चाहता है। नंदन समझ नहीं पा रहा था कि वह चंदर के बारे में जानने के लिए इतना इच्छुक है। इस बार उसने अपनी जिज्ञासा दबाने की जगह पूँछ ही लिया,

"आप चंदर के बारे में इतना क्यों पूँछ रहे हैं ?"

"तुम बस इतना समझ लो कि हमारी मदद करके तुम मानस सर की मदद कर रहे हो।"

नंदन को कुछ समझ नहीं आया। पर मानस सर की मदद की बात सुनकर वह उन्हें चंदर के कमरे में ले जाने को तैयार हो गया।

"चंदर बड़ा अजीब लड़का है। उसे अकेला रहना पसंद है। इसलिए मेरे साथ क्वार्टर में रहने की जगह अलग एक कोठरी में रहता है।"

वह उन्हें चंदर की कोठरी में ले गया। यह एक टीन शेड कमरा था। बहुत बड़ा नहीं था। उसमें एक तखत पड़ा था। बिस्तर को गोल कर किनारे कर दिया गया था। एक खूंटी पर कुछ कपड़े टंगे हुए थे।

आकाशदीप ने देखा कि वहाँ टीन का एक बक्सा था। उसमें ताला लगा हुआ था। उसे कौतूहल हुआ।

"यह बक्सा चंदर का है ?"

"हाँ... जाने क्या है इसमें। ऐसे तो कई बार पैसे भी यूं ही अलमारी में डाल देता है। पर इसे ताला लगाकर रखता है। एक बार पूँछा था तो हंस कर टाल दिया।"

नैना को भी यह जानने की उत्सुकता थी कि आखिर उस बक्से में क्या है ? उसने आकाशदीप से कहा,

"सर मुझे लगता है कि इस बक्से से कुछ सुराग मिलेगा।"

आकाशदीप को भी ऐसा ही लग रहा था। उसने नंदन से पूँछा,

"तुम्हारे पास इसकी चाभी है ?"

"नहीं है...."

"हमें इसे खोलना है।"

"देखिए सर...ये बक्सा चंदर का है। वह यहाँ नहीं है। कल आएगा। तब आप देख लीजिएगा।"

"नंदन हमारे लिए इसे देखना बहुत जरूरी है। यूं समझ लो कि मानस को निर्दोष साबित करने के लिए जरूरी है।"

"मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ। मानस सर के निर्दोष होने से मेरे भांजे का क्या संबंध है ?"

नैना ने समझाते हुए कहा,

"हम पर भरोसा रखिए। हम जो कर रहे हैं वह मानस जी की मदद के लिए कर रहे हैं।"

आकाशदीप ने कहा,

"हम पुलिस को बुला कर भी यह सब कर सकते हैं। पर हम चाहते हैं कि पहले खुद तसल्ली कर लें।"

पुलिस की बात सुनकर नंदन कुछ घबरा गया।

"सर चंदर कुछ कर सकता है ऐसा नहीं लगता। पर मैं आपको रोकूँगा नहीं। चाभी नहीं है। आप जो चाहें करें।"

नंदन एक तरफ हट गया। आकाशदीप बाहर से एक ईंट का टुकड़ा लाया। दो तीन वार में ताला टूट गया।

बक्से के अंदर जो कुछ मिला उसे देखकर आकाशदीप और नैना चौंक गए।

नंदन भी समझ नहीं पा रहा था कि यह सब चंदर ने बक्से में बंद करके क्यों रखा है ?

आकाशदीप ने फौरन एसपी नताशा को फोन कर कहा कि वह मानस के स्टड फार्म पर पहुँचें।

उसने नंदन से कहा,

"हमें लेकर तुम्हें अपनी बहन के घर चलना है।"

नंदन एसपी नताशा और इंस्पेक्टर अर्सलान की जीप में बैठा था। आकाशदीप नैना के साथ अपनी कार में उनके पीछे था।

करीब एक घंटे में वो लोग उस बस्ती में थे जहाँ नंदन की बहन रहती थी।

नंदन को पुलिस के साथ आया देखकर उसकी बहन परेशान हो गई। एसपी नताशा ने उससे पूँछा,

"तुम्हारा बेटा चंदर कहाँ है ?"

"क्या बात है मैडम ? उसने क्या किया है ?"

"अभी पता चल जाएगा। आप बस बताइए कि वह कहाँ है ?"

छोटी सी खोली थी। एक कमरा था। उसी में एक कोने में रसोई थी। चंदर की माँ ने उसी कमरे में ऊपर जाती सीढ़ियों की तरफ इशारा कर दिया।‌

एसपी नताशा और इंस्पेक्टर अर्सलान ऊपर चले गए। पीछे पीछे आकाशदीप और नैना भी चढ़ गए।

कमरे में चंदर बिस्तर पर लेटा था। उसके हाथ में एक तस्वीर थी। वह उसे निहार रहा था। पुलिस को देखते ही उठकर खड़ा हो गया।

एसपी नताशा ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे लेकर नीचे आई तो चंदर की माँ ने पूँछा,

"आप इसे पकड़ कर क्यों ले जा रही हैं ?"

"हमें शक है कि आपके बेटे ने हत्या की है।"

"क्या कह रही हैं मैडम ? किसकी हत्या की है ? क्यों करेगा वो किसी की हत्या ? यह तो मेरे भाई के साथ मानस सेठ के घोड़ों के फार्म में काम करता है।"

अपनी बात कह कर उसने नंदन की तरफ देखा। नंदन भी परेशान था।

"मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूँ कि ये लोग क्या कह रहे हैं।"

पुलिस चंदर को गिरफ्तार कर ले गई।

चंदर के विरुद्ध बहुत कुछ हाथ लगा था। लेकिन आकाशदीप समझ नहीं पा रहा था कि चंदर ने कत्ल किया क्यों होगा ?

उसने मानस को फोन कर बताया कि जल्दी ही उसकी बेगुनाही का सबूत मिलने वाला है।

आकाशदीप की बात सुनकर मानस बहुत खुश हुआ।

पुलिस स्टेशन में एसपी नताशा और इंस्पेक्टर अर्सलान ने चंदर से पूँछताछ शुरू की।

इंस्पेक्टर अर्सलान ने पूँछा,

"तुम्हारे हाथ में श्वेता की तस्वीर थी। कमरे की दीवारों पर भी उसके पोस्टर चिपके थे। स्टड फार्म में भी तुमने उसकी तस्वीरें, मैगजीन की कटिंग, फिल्म के पोस्टर बक्से में बंद करके रखे थे। ऐसा क्यों ?"

चंदर ने बिना घबराए जवाब दिया।

"मैं श्वेता का फैन हूँ। अब अपनी फेवरेट हिरोइन का पोस्टर लगाना, उससे संबंधित चीज़ें जमा करना जुर्म है क्या ?"

जवाब देते हुए एसपी नताशा ने कहा,

"बिल्कुल नहीं....पर कत्ल करना जुर्म है।"

"मैंने किसी का कत्ल नहीं किया ?"

"तुमने मिलिंद को मारा है। उसकी हत्या वाले दिन तुम मानस का पीछा करते हुए कत्ल वाली जगह पर गए थे।"

"मैं क्यों उसे मारूँगा। ना ही मैं मानस साहब का पीछा करते हुए कहीं गया था।"

"उस दिन तुम हमेशा की तरह चंचल पर सवार होकर गए थे।"

"बेकार की बात है ये।"

चंदर बिना किसी डर के लगातार उनके सवालों के जवाब दे रहा था। एसपी नताशा ने अर्सलान की तरफ देखा।

इशारा समझ कर अर्सलान ने उसका कॉलर पकड़ कर धमकाया।

"हमारे पास सारे सबूत हैं। चंचल के आगे की दाईं टांग का पंजा मुड़ा हुआ है। जिससे खुर का निशान गहरा बनता है। कत्ल वाली जगह वैसा ही निशान मिला है। तुम ही हो जो चंचल की सवारी करते थे।"

चंचल की बात सुनकर चंदर के चेहरे पर पहली बार परेशानी दिखाई पड़ी। एसपी नताशा ने उसका फायदा उठाते हुए धमकाया।

"हम अभी शराफत दिखा रहे हैं। मान जाओ। नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाएगी तुम्हारे लिए।"

एसपी नताशा की धमकी सुनकर चंदर डर गया। चंचल के खुर का निशान मिलने की बात ने उसकी परेशानी को बढ़ा दिया था।

उसे लग रहा था कि सब सच बोलना ही उसके लिए ठीक होगा।

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