jewel thief in Hindi Adventure Stories by Amar Gaur books and stories PDF | ज्वेल थीफ़

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ज्वेल थीफ़

दिन भर आग के गोले की तरह तपने के बाद धरती ठंडी हो रही थी, मीठी मीठी पुर्वा चल रही थी और मोहल्ले में एकदम सन्नाटा था । चौहान परिवार बरामदे में सो रहा था और सुनाई दे रही थी तो सिर्फ फर्राटे की आवाज़ । तभी अभिषेक उठ कर खड़ा हो गया और उसके उठते ही चौहानी जी की भी आँख खुल गई और उन्होंने पूछा – ” क्या हुआ बेटा ? ” अभिषेक ने तुरंत जवाब दिया मानो उत्तर रट रखा हो – “कुछ नहीं माँ, ज़रा प्यास लगी थी । पानी पीकर आता हूं, तू सो जा । ” अभिषेक रसोई में पानी पीने गया और चौैहानी जी वापिस आंख मूंद कर सो गई ।

सुबह हुई तो पूरे चौहान निवास में शोर मच गया । रात को कोई दीवार फांद कर आया और घर के सारे जेवर साफ कर उड़ गया। चौहान साब ने पुलिस में रपट लिखाने से पहले घर के सब लोगों को तलब किया । दोनों लड़कों को सामने खड़ा किया और बहुत ही शांत होकर पूछा – ” क्यों अभिषेक और अमन ! ये तुम्हारी कारिस्तनी तो नहीं है ना ? ” चौहानीजी बीच में ही काट कर बोली – ” क्यों रे अभिषेक, तू कल रात को कुछ खुसर पुसर तो कर रहा था । सच सच बता दे अभी कुछ है तो ” अभिषेक ने तुरंत उत्तर दिया – ” नहीं मां तुम्हारी कसम । मुझे नरक में जगह मिले अगर मैं ऐसा खयाल अपने मन में भी लाऊं तो । ”

दोनों लड़कों से तस्सली बख्श पूछताछ करने के बाद भी जब कोई जवाब ना मिला तो पुलिस को बुलाया गया । दरोगा जी अपनी तोंद के संग तशरीफ लाए और चाय नाश्ता करने के बाद घर का दौरा किया । दो चक्कर मारके खाया पिया हजम किया और बोले – ” बुरा ना मनिएगा चौहान साब लेकिन ये तो किसी घर वाले का काम ही मालूम होता है । आप एक दफा और पूछताछ कर लीजिए क्यूंकि अगर हमने बात अपने हाथों में ले ली तो मामला तूल पकड़ लेगा और फिर थाने और कोर्ट के चक्कर कहां ही लगाएंगे आप । ” ये कहकर दरोगा जी ने विदा ली और उस दिन पूरे दिन चौहान साब कुछ पशोपेश में ही रहे । एक तरफ तो वे ये सोच रहे थे कि हमने अपने बच्चों को ऐसे कुसंस्कार तो दिए नहीं हैं जो चोरी डकैती के काम करने लगे पर दूसरी तरफ एक ये ख्याल भी था की कच्ची उम्र में बच्चे ऐसी गलती कर बैठते हैं । आजकल अभिषेक के चाल चलन भी कुछ सही मालूम नहीं होते हैं लेकिन बच्चों पर कभी मार पीट नहीं की तो आज भी उन्होंने इसे उचित ना समझा और अपने दिए हुए संस्कारों पर भरोसा कर आखिरकार पुलिस में रपट लिखवा ही दी। वहीं दूसरी ओर चाैहानी जी का रो रो कर बुरा हाल था । अपने जीवन भर की सब जमा पूंजी को एक ही झटके में को देना कोई मामूली बात तो थी नहीं । पूरा दिन उन्होंने कुछ ना खाया और ना कुछ बनाया जिसके चलते बाकी घरवालों को भी फाका करना पड़ा । चौहान साब ने दफ्तर में जाके कुछ थोड़ा बहुत खा लिया और बच्चों के लिए बंधवा के जल्दी निकले । दोनों लड़के सुकबुकाए से घर में ही बैठे थे और उन्हें चौहानी जी द्वारा बार बार इत्तिला करा जा रहा था की पुलिस आकर ढेरों सवाल जवाब करेगी और डंडे बरसाने में भी कोई कसर ना छोड़ेगी । चौहानी जी को अभी भी यकीन था की ये अभिषेक की करिस्तानी है । दोपहर बाद चौहान साब दफ्तर से लौटे और अपने संग दरोगा जी और दो हवलदारों को भी लाए। आते ही बच्चों को खाना खिलाया और पुलिसवालों को भी दावत कराई। उसके बाद दरोगा जी ने सब घरवालों से एक एक करके सवाल जवाब किए और फिर चौहान साहब को बुलाया और बोले – “अभी कुछ कहना मुश्किल है पर मैंने बाज़ार में अपने खबरियों को सचेत कर दिया है और जैसे ही कोई जानकारी मिलती है तो मैं आपको खबर करता हूं। ”

उस रात बहुत देर तक किसी को भी नींद ना आई । लंबी खामोशी के बाद एक एक करके फर्राटे की आवाज़ में सब सो गए पर अभिषेक को नींद ना आई और वो देर रात तक ये ही सोचता रहा की क्या माँ पिताजी को मुझ पर सच में शक हो रहा है ? क्या पुलिसवाले भी मुझे ही कसूरवार समझ रहे हैं ? इन्हीं सब सवालों की उधेड़बुन में उसकी झपकी लगी ही थी की उसे कुछ आहट सुनाई दी और उसने तुरंत ही आंख खोलकर माज़रा जानना चाहा । आंख खोली तो देखा कि अमन दबे पांव घर से बाहर कहीं जा रहा है । उसे लगा कि हो ना हो पर कुछ गड़बड़ तो ज़रूर है और वो भी तुरंत उठकर उसके पीछे पीछे चला और कोशिश की कि उसे पता ना लगने पाए और वो उसे रंगे हाथों पकड़ ले । पीछा करते करते वो तालाब किनारे का पहुंचा और जैसे ही अमन ने अपनी पाकेट से जेवर निकाले उसने ज़ोर से आवाज़ दी – ” क्यों हरामखोर !! तुझे ऐसा काम करने से पहले ज़रा भी शर्म ना आयी ? और किया सो किया पर वहां दिन भर मां मुझ पर ताने कसती रही तब भी तू गूंगा बहरा बनके बैठा रहा और कुछ ना बोला । पर अभी भी देर ना हुई है, घर चलके मां पिताजी को सब सच सच बता दे और वो मामला यहीं दबा देंगे और अगर थोड़ी बहुत मार खानी भी पड़े तो खा लिओ । ”

अमन को समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो करे क्या ? उसने जीवन में पहली बार ऐसा दुस्साहस किया था और अब उसे खुद पर पछतावा हो रहा था इसलिए ही वो इन्हें तालाब में फेंकने आया था ताकि किसी को कुछ पता ना चले । उसने सोचा की अगर अब घर जाकर सब बोला तो बुरी तरह मार तो पड़ेगी ही ऊपर से ज़िन्दगी भर चोरी का धब्बा भी माथे पर लग जाएगा । वो घबराकर बोला – ” भाई साब ! मैं आप से कोई बाद विवाद नहीं करना चाहता । मैं इन्हें अभी तालाब में फेंक दूंगा और सारा मामला खत्म हो जाएगा और अगर आप घर जाकर कुछ बोलेंगे भी तो वो आपकी किस बात पे यकीन करने से तो रहे । अभिषेक ने उत्तर दिया – ” ये मां की जीवन भर की कमाई है निर्लज्ज । ये करने से पहले ज़रा उनके बारे में तो सोचा होता। अब बुढ़ापे में अपनी सारी जमा पूंजी खो देने के बाद उनका जीवन तो नरक ही हो जाएगा । ”

अमन बोला – ” आप को जो करना है कर लीजिए पर मैं आपकी बातों में आने वाला नहीं । ” अभिषेक ने बात हाथ से बाहर जाए देख बाघ की तरह अमन पे झप्पटा मारा और उसे नीचे गिराकर उसके हाथ से जेवर छीन लिए । अमन ने हड़बड़ाहट में पास पड़ा बांस उठाया और अभिषेक के सर पे दे मारा और इतनी अकस्मात चोट पड़ते ही अभिषेक अचेत होकर ज़मीन पर गिर पड़ा । अमन तेज़ी से उठा जेवर अभिषेक की जेब में डाले और जेवर समेत ही उसे पानी में ढकेल दिया और सोचा की जब इनकी लाश मिलेगी तो घरवालों को जेवर भी मिल जाएंगे और उनका गुनहगार भी ।

वो ये सोच कर संतुष्ट हो गया और कपड़े झाड़ कर तेज़ी से घर की और दौड़ा क्यूंकि सूरज भी क्षितिज पर आने ही वाला था । घर पहुंच कर वो वापिस ऐसे सो गया जैसे कुछ हुआ ही ना हो । थोड़ी ही देर में उसे पैरों की आवाज़ सुनाई दी और जैसे ही उसने आंख खोली तो देखा अभिषेक किवाड़ पे खड़ा था ।