garib ka in Hindi Short Stories by Monty Khandelwal books and stories PDF | गरीब का

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गरीब का

रात केे 9 बज गये थे दुकान बंद करने का समय होगया था सटर को आधा खींच लिया था लेकिन अभि तक गरमा गरम मूंगफली बेचने वाला नहीं आया था तो सोचा तब तक सामान को ठीक से जमाले जितने में उसने जोर से आवाज लगाई गरम मूंगफली वाले गरमा गरम मूंगफली वाले |

उसकी आवाज सुनते ही सबसे पहले सुनील उसकी और भागा और बोला मेरे 50 का पैक कर
मेरे पैक करने के बाद में अंदर जा और सबको पूछ कि किस-किस को लेने का है हां ठीक है साहब
अंदर से आवाज सेठ की आवाज आती है मेरे लिए भी 20 -20 के दो पैकेट बना एकदम गरमा गरम नमक डालके और थोड़ा जला हुआ लेकर आना

सुनील हाँ ठीक है

एक -एक मूंगफली केे देना खाते हुए जो पहले से ही एक बर्तन में सेके हुए पढ़े हुए थे मज़े से खाते हुए लारी वाले से बातें कर रहा था क्या रे आज इतना लेट क्यों आया तुझे मालुम हैं ना हम रोज कितने बजे दुकान बंद करते हैं हाँ साहब मुझे मालूम हैं तो आज इतना लेट क्यों आया थोड़ा काम था साहब
अश्विन और हेमंत भी बाहर आ गए यह दोनों भी इसी दुकान दुकान में सेल्समैन है फिर अश्विन ने भी एक पैकेट 50 रुपए का पैक करने का बोला इधर दोनों ने जब सुनील को इस तरह गपा गप एक के बाद एक मूंगफली के दानों को खाते हुए देखा तो दोनों ही जोर से हंस पड़े सुनील को इस तरह करते हुए जब हेमंत ने देखा तो वहां तुरंत बोला अरे बस करो भाई कितना खाओगे एक गरीब का तुम्हें मालूम है क्या ये भी कितनी मेहनत करके कमाता है
ऐसा बोलने पर सुनील ने हेमंत को तुरंत ही दुत्कार का बोला की रे तू चुप कर तुझे क्या मालूम है यह लोग कितना कमाते हैं धीमी आवाज में बोला तू अभी बच्चा है तुझे इन लोगों की गणित समझ में नहीं आएगी तुझे क्या मालूम है कि यह लोग मूंगफली कितने रुपए में लाते हैं मैं बताता हूं यह लोग ₹50 किलो के भाव से लाते हैं और बाजार में ₹200 किलो के भाव में बेचते हैं कितना फायदा होता होगा तुम्हें मालूम है
बाकि करते ही क्या हैं इसलिए बोल रहा हूं चुपचाप मुझे खाने दे इतने से खाने से उसे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है
इतना सब कह कर सुनील ने एक बार फिर से खाना चालू कर दिया
अश्विन भी सारी बात सुन रहा था तो बोला जो करता है करने दे देना उसे और हेमंत को पूछा कि तू खाएगा तो ले ले हेमंत सोच रहा था कि अश्विन ने पूछा क्या हुआ अरे यार आज मैं पर्स लाना भूल गया हु
तो उसने बिना पूछे 20-20 के पैकेट दोनों के लिए और बनवा दिए
हेमंत को दोनों पैकेट देकर अंदर जाने के लिए बोला और अश्विन बाथरूम करने चला गया
सुनील भी पीछे पीछे चला गया हेमंत दोनों पैकेट काउंटर पर रखकर व अपने काम में लग गया उन पैकेट को रखा देख सुनील ने अपने पैकेट को एक तरफ रख कर उसने उनकी मूंगफली खाना चालू कर दिया
तब तक अश्विन आ गया था और उसे इस तरह दोनों पैकेट में से खाते हुए देखा तो अश्विन ने उन दोनों पैकेट को वहां से हटा दिया और अपने पास रख लिया उसके बाद में उसने सुनील की लाई हुई मूंगफली की पैकेट को उठा कर दो दो बड़ी-बड़ी पुलिया भरकर मूंगफली बाहर निकाल कर खाने लगे एक बार तो सुनील ने छिनने की कोशिश की लेकिन वह ले ना सका
तब इतने सारे लेने पर सुनील का मुंह एकदम छोटा और आंखें बड़ी बड़ी हो गई थी
तब हेमंत बोला देखा मैंने कहा था ना के गरीब का ना खाओ तब तो तुम बड़े मजे से खा रहे थे मेरे कहने पर तुमने मुझे हे दुत्कार कर बोल दिया था
अब समझ में आया की हम किसी गरीब का बेईमानी से खाते हैं तो अपना भी कोई ना कोई ऊपरवाला जरूर होता है जो अपने साथ में भी ऐसा ही करता है जैसा कि हमने किसी और के साथ किया है
तब सुनील को एहसास हो गया की हेमंत में सही बात बोली थी मगर वही नहीं माना था तब उसने हेमंत से माफी मांगी और बोला भाई मुझे माफ आज के बाद मैं कभी भी ऐसा नहीं करूंगा और ना ही किसी को करने दूंगा




*जैसे को तैसा मिल चुका था*🙂