महाराज रुद्र सिंह जनकपूर के राजा थे। उनके दो पुत्र थे ।बड़ा पुत्र परिमल और छोटा पुत्र हार्दिक। परिमल को धन का बड़ा घमंड था। वही हार्दिक बुध्दि को श्रेष्ठ मानता था।
फिर एक दिन राजा अपने मंत्री से पुछता है कि परिमल और हार्दिक में से किसे राजा बनना चाहिए और मंत्री कहता है कि महाराज अगर परंपरा अनुसार चले तो राजकुमार परिमल को राजा बनना चाहिए और अगर दोनों में से जो श्रेष्ठ हो उसे बन्ना है ।
तो फिर आप एक स्पर्धा रखे जिसमें आप दोनों राजकुमार को एक समान धन दीजिए और तीन वर्ष के लिए दूसरे गाँव जाकर रहने को कहीं ए और फिर तीन वर्ष पूर्ण होने पर जो भी राजकुमार अपनी सूझबूझ से ज्यादा धन लेकर आता है उसे फिर आप जनकपूर का राजा घोषित कर देना।
फिर महाराज रुद्र सिंह अपने दोनों पुत्र ओ को स्पर्धा के बारे में बताते है और दोनों को एक सम्मान धन देते है और कहते हैं कि मैं आशा करता हूँ के तुम दोनों में से जो श्रेष्ठ है वही ये स्पर्धा जीते गा और जनकपूर का अगला राजा बनेगा। मगर परिमल ये कहता है कि पिताजी मैं बड़ा हूँ मेरा इतना तो अधिकार बनता है के मुझे थोड़ा ज्यादा धन मिले ये बात सुनकर मंत्री बोलता है ये तो राजकुमार हार्दिक के साथ अन्याय होगा मगर राजकुमार हार्दिक कहता है मुझे कोई आपती नहीं है आप भ्राता परिमल को ज्यादा धन दे दीजिए।
फिर राजकुमार परिमल कनकपूर गाँव में जाकर रहता है और ये सोचता है कि मेरे पास वैसे भी हार्दिक से ज्यादा धन है तो जितना उसके पास है उतना धन में एक सुनार को व्याज पे दे देता हूँ तीन वर्ष के लिए फिर तीन वर्ष बाद में वह दुगुना धन लेकर वापस जनकपुर चला जाऊँगा और स्पर्धा जीत जाऊँगा ।
और वही हार्दिक रामपुर गाँव में जाता है और एक किसान के पास से खेती करने के लिए जमीन खरीद ता है और कुछ लोग जिनके पास काम नहीं था उन्हें खेती करना का काम देता है और एक वर्ष के पूर्ण हो ने पर राजकुमार हार्दिक को काफि अच्छा मुनाफ़ा होता है और वह अब और कुछ जमीन लेकर और खेती करता है और गाँव के काफी लोगों को मदद करता है। फिर दो वर्ष के पूर्ण होने पर राजकुमार हार्दिक को चौगुना धन का भायदा होता है। वही रामपुर के लोगों को ये पता चलता है कि हार्दिक जनकपुर के महाराज रुद्र सिंह का पुत्र है और गाँव के सभी लोग मिलकर हार्दिक को रामपुर का राजा बना देते हैं और फिर राजकुमार हार्दिक काफी नई योजना ए बनाता है गाँव के लोगों के फायदे के लिए।
फिर तीन वर्ष पूर्ण हो जाते है और अब राजकुमार परिमल सुनार के पास जात है अपना दुगुना धन लेने के लिए मगर जब वो वहा पहुँचता है तो सुनार नहीं मिलता वह गाँव में लोगों से पुछता है कि सुनार कहा गया तो उसे पता चलता है कि उसकी तो दो वर्ष पहले ही मृत्यु हो गई है कयोंकि दो वर्ष पहले उसके वहा चोरी हुई थी जिस वजह से वह कंगाल हो गया था और दिल के दौरे की वजह से उसकी मृत्यु हो गई अब राजकुमार खाली हाथ जनकपुर जाता है। वही राजकुमार हार्दिक काफी धन लेकर आता है। फिर महाराज रुद्र सिंह , हार्दिक को राजा घोषित कर देते है। मगर राजकुमार हार्दिक कहता है कि पिताजी आप बड़े भ्राता परिमल को ही राजा बनाई ए मैं तो पहले से ही रामपुर का राजा हूँ। और फिर महाराज रुद्र सिंह राजकुमार परिमल को राजा बना देते है और राजकुमार परिमल ये स्वीकार करते हैं कि धन से ज्यादा बुद्धि श्रेष्ठ है।