हूफ प्रिंट
Chapter 11
अरमान ने जहाँ किसी के होने का शक जताया था वहाँ से ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिसके आधार पर किसी पर शक किया जा सके। इसके बावजूद आकाशदीप अरमान के शक को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहा था। वह उस ऐंगल से भी केस की जांच करना चाहता था।
आकाशदीप ने अपनी दूसरी सस्पेक्ट मोनिका सान्याल की कत्ल के आसपास के दिनों की गतिविधियों के बारे में पता करवाया। पर उसे निराशा ही हाथ लगी।
जिस दिन कत्ल हुआ था उसके एक दिन पहले ही मोनिका दिल्ली गई थी। कत्ल वाले दिन देर रात मुंबई लौटी थी। वहाँ वह एक सेमीनार में सम्मिलित होने गई थी।
आकाशदीप सोंच में पड़ गया। मानस को इस केस से बचाने के लिए यह ज़रूरी था कि वह यह साबित करे कि कत्ल अरमान ने किया है। अन्यथा वह किसी और के कत्ल वाली जगह पर उपस्थित होने के प्रमाण दे।
वह यह साबित करने में तो सफल हो गया था कि अरमान ने झूठ बोला था। वह कत्ल वाली जगह पर मौजूद था। पर कत्ल उसने ही किया है इस बात का कोई पुख्ता सबूत वह नहीं दे पा रहा था। उसने अरमान के कत्ल करने की जो वजह बताई थी हो तो सकती थी। लेकिन मानस के विरुद्ध जो मोटिव बताया गया था वह अधिक सॉलिड था।
आकाशदीप बहुत देर से इन्हीं सब बिंदुओं पर विचार कर रहा था। लंच का समय हो गया था। नैना ने उसके केबिन का दरवाजा खटखटाया।
"सर मैं आ जाऊँ..."
"यस...कम इन...."
नैना अंदर आई तो आकाशदीप विचार मग्न अपनी कुर्सी पर बैठा था।
"सर लंच टाइम हो गया है।"
"ठीक है.... तुम लंच कर लो। मैं अभी बहुत उलझा हुआ हूँ।"
"सर एक बात कहूँ जब दिमाग किसी चीज़ में उलझ जाए तो यही अच्छा होता है कि उसे कुछ समय के लिए वहाँ से हटाकर किसी और जगह लगाया जाए। जिससे वह फ्रेश होकर नए सिरे से सोंच सके।"
आकाशदीप ने नैना की बात पर विचार किया। उसने भी महसूस किया कि सुबह से इस केस के बारे में सोंच सोंच कर दिमाग थक गया है। उसे सचमुच मूड बदलने की जरूरत है।
"यू आर राइट नैना। सचमुच सुबह से सिर्फ केस के बारे में सोंचकर दिमाग थक गया है। आई नीड अ ब्रेक।"
"दैन हैव अ ब्रेक। गो फार अ नाइस लंच।"
"दैन लेट्स गो।"
"मैं.... पर मैं तो लंच बॉक्स लेकर आती हूँ।"
"नो प्रॉब्लम। वो आज किसी को दे देना। अभी मेरे साथ चलो।"
आकाशदीप जानता था कि नैना को चाइनीज़ बहुत पसंद है। वह उसे लेकर एक चाइनीज़ रेस्टोरेंट में गया। लंच करने के बाद जब वो लोग लौट रहे थे तब नैना ने कहा,
"सर मुझे लगता है कि हमें मिस्टर मानस के केस पर नए सिरे से शुरुआत करनी चाहिए।"
"अगेन यू आर राइट... ऑफिस चल कर सारे सबूत एक बार फिर से देखते हैं।"
वापस आने के बाद आकाशदीप ने नैना से सारे सबूतों के साथ अपने केबिन में आने को कहा। दोनों मिलकर एक एक सबूत पर गौर कर रहे थे। घोड़े के खुर के निशान की तस्वीर देखकर नैना को कुछ अजीब लगा। उसने अपना फोन उठा कर गूगल पर कुछ सर्च किया। उसे अपने फोन में उलझे देखकर आकाशदीप ने कहा,
"अब तुम अपने फोन में क्या कर रही हो ?"
अपना फोन उसे दिखाते हुए नैना ने कहा,
"सर इन हूफ प्रिंट की तस्वीरों को देखिए।"
आकाशदीप ने उन्हें ध्यान से देखा। फिर सबूत वाली तस्वीर को देखा।
"नैना आज नाश्ते में चने खाए थे क्या ? घोड़े की तरह दिमाग दौड़ रहा है तुम्हारा।"
"सर मैंने सही प्वाइंट पकड़ा है ?"
"बिल्कुल सही। अब मुझे डॉक्टर शोएब खाना से बात करनी होगी।"
"यू मीन फेमस हिप्पोलॉजिस्ट..."
"यस.... वही इसे ठीक तरह से समझाएंगे।"
आकाशदीप ने डॉ. शोएब खान से मिलने का समय ले लिया था। वह नैना के साथ उनसे मिलने पहुँचा। उसने डॉ. शोएब को कत्ल की जगह पर मिले हूफ प्रिंट की तस्वीर दिखाकर पूँछा,
"डॉ. शोएब हमने गूगल पर कुछ हूफ प्रिंट की तस्वीरें देखीं। यह उनसे कुछ अलग है।"
डॉ. शोएब कुछ देर तक तस्वीर को गौर से देखने के बाद बोले,
"मुझे लगता है कि इस घोड़े के अगले पैरों में से दाईं टांग में कुछ डिफेक्ट है। यह अपने पैर का पंजा कुछ मोड़ कर रखता है। इसलिए उसमें दबाव अधिक पड़ने से निशान गहरा बना है जो आगे की तरफ अधिक है।"
आकाशदीप ने डॉ. शोएब से पूँछा,
"क्या यह किसी चोट के कारण हो सकता है या जन्मजात ?"
"इसका कारण जन्मजात भी हो सकता है और चोट भी।"
डॉ. शोएब को धन्यवाद देकर नैना और आकाशदीप वहाँ से चले आए।
कार में बैठते हुए आकाशदीप ने नैना से कहा,
"वायु में ऐसा कोई डिफेक्ट नहीं है। उसने कुछ ही दिनों पहले एक रेस जीती थी। हमें हूफ प्रिंट चलकर देखना चाहिए। तुम ज़रा मानस से बात करो।"
आकाशदीप और नैना मानस के स्टड फार्म हूफ प्रिंट पर पहुँचे। नंदन ने उनका स्वागत किया।
"मानस सर का फोन आया कि आप लोग आने वाले हैं।"
"हाँ हम स्टड फार्म देखना चाहते थे। इन्हें घोड़े बहुत अच्छे लगते हैं।"
आकाशदीप ने नैना की तरफ इशारा करते हुए कहा।
"आप वही हैं ना जो मानस सर का केस लड़ रहे हैं ?"
"हाँ.... मैं ही उनका केस लड़ रहा हूँ। ये मेरी असिस्टेंट नैना दुबे हैं।"
"चलिए पहले चल कर चाय वाय पी लीजिए फिर मैं आपको स्टड फार्म दिखा दूँगा।"
"नहीं उसकी कोई ज़रूरत नहीं है। वैसे यहाँ चाय बनाता कौन है ?"
"मैं ही बनाता हूँ। मानस साहब अक्सर यहाँ आते रहते हैं। इसलिए छोटा सा रेस्ट हाउस है।"
आकाशदीप ने कहा,
"पर हमें चाय की जरूरत नहीं है। फिर भी पूँछने के लिए धन्यवाद।"
नंदन उन दोनों को स्टड फार्म दिखाने लगा। बहुत ही बड़ा और सुंदर स्टड फार्म था। पर आकाशदीप की दिलचस्पी घोड़ों में थी। उसने कहा,
"मैडम को घोड़े देखने हैं।"
नंदन ने कहा,
"चलिए अस्तबल चलते हैं। इस समय घोड़े आराम कर रहे हैं।"
नंदन उन लोगों को अस्तबल में ले गया। वहाँ बारी बारी से घोड़ों को दिखाने लगा। सफेद रंग के एक तगड़े घोड़े के पास ले जाकर बोला,
"ये है मानस सर का चहेता वायु...."
आकाशदीप ने ध्यान से उसके पैरों की तरफ देखा। जैसा उसने सोंचा था वह एकदम स्वस्थ था। नंदन उन्हें एक घोड़ी के पास ले जाकर बोला,
"ये है गति। मुझे बहुत पसंद हैं।"
आकाशदीप उस घोड़े को देखना चाहता था जिसके आगे के पैर में डिफेक्ट हो। उसने पूँछा,
"ये बताओ क्या कोई ऐसा घोड़ा भी है यहाँ जो बीमार हो या उसके पैरों में कोई तकलीफ़ हो।"
नंदन को कुछ आश्चर्य हुआ। पर उसे छुपाते हुए बोला,
"हाँ एक घोड़ा है। चंचल नाम है उसका। आइए उससे मिलवाया हूँ।"
अस्तबल के एक कोने में एक काले और सफेद रंग का घोड़ा था। आकाशदीप ने देखा कि उसके अगले दाएं पैर का पंजा वैसे ही टेढ़ा है जैसे डॉ. शोएब ने बताया था।
आकाशदीप ने उस घोड़े को प्यार से थपथपाते हुए पूँछा,
"इसकी देखभाल कौन करता है ?"
"इसे सबसे ज्यादा प्यार मेरा भांजा चंदर करता है। मानस सर से कह कर अभी आठ महीने पहले ही मैंने उसे काम पर रखवाया था। वैसे तो पिज्जा डिलीवरी का काम करता था। पर मेरे पीछे पड़ गया कि मुझे मानस सर से कह कर यहाँ काम दिलवा दो।"
नैना ने पूँछा,
"ऐसा क्यों ?"
"मैडम हम लोग खानदानी साईस हैं। मेरा जीजा भी एक सेठ के घोड़ों की देखभाल करता था। बचपन में इसने भी सबकुछ सीख लिया था। अच्छी घुड़सवारी भी कर लेता है। पर एक बार एक घोड़े को संभालते हुए मेरे जीजा बुरी तरह जख्मी हो गए। कुछ दिनों तक बिस्तर पर रहने के बाद मर गए। मेरी बहन ने ज़िद पकड़ ली की चंदर ये काम नहीं करेगा।"
"तो फिर यहाँ काम क्यों करने दिया ?"
"मैडम चंदर ने भी ज़िद पकड़ ली। नौकरी छोड़ दी। रात दिन अपनी माँ का सर खाता था। यहाँ आकर मेरे पीछे पड़ा रहता था। हारकर मेरी बहन को मानना पड़ा। मानस सर मुझे बहुत मानते हैं। मेरे कहने पर उसे यहाँ नौकरी दे दी। अब मेरे साथ वह भी घोड़ों की देखभाल करता है।"
आकाशदीप उसकी बात ध्यान से सुन रहा था। चंचल को प्यार से सहला कर बोला,
"इसे इतना अधिक क्यों चाहता है ?"
"बात ये है कि उसके दाएं पैर का पंजा भी बचपन से हल्का सा मुड़ा हुआ है। पर जैसे चंचल दौड़ लेता है वह भी मुड़े हुए पंजे के बावजूद अच्छी घुड़सवारी कर लेता है। दोनों का बड़ा अनोखा रिश्ता है।"
"इसे लेकर बाहर भी जाता है।"
"वो तो हमेशा चंचल की ही सवारी करता है।"
आकाशदीप और नैना ने एक दूसरे की तरफ देखा। वह चंदर से मिलने को बेताब थे।
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