pahla tankhvah in Hindi Short Stories by Chinmayee books and stories PDF | पहला तनख्बाहा

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पहला तनख्बाहा

गर्मी के सहिना, गर्म हावा से थोडा राहात पाने के लिये,रानी कि मामा हर शाम को घरको अनंधेरा करके खिड़की को खुला छोड देते थे, इस उमिद मे कि खिड़की से थोडा ठंडा हवा घरमे आके घरको ठंडा कर देगा...समय सायद 8 बजे होंगे..टिबि मे चाल रहा हे फिल्म मदर इंडिआ..फिल्म को देख के, फिल्म कि सिन् मे रानी कि पापा एकदम डुब चुके थे । क्यौ कि वौ कहते थे ये काहानी उनकि पारिबारीक काहानी है । और रानी के पापा फिल्म कि चरित्र बिरजु है । इसिलिये तो वो फिल्म कि कोइ भि सिन् को मिस करना नेहिं चाहते थै । रानी कि ममा भि पापा को साथ् देते हुए फिल्म को एंजय कर रहिथि । रानी अफिस से लैटते हि ममा को आवाज देने लगि..अफिस से लैटते वक्त कुख सामान् लेके आइ थि वो, वहि सब ममा को सैंप दिया और उसके साथ् कुछ पैसे भि । रानी के पापा सब कुछ देख रहे थे पर न तो वो उसको कुछ पुछ रहे थे न हि मामा को कुछ बोल रहे थे...रानी थोडा नोटिस तो किया था पर पापा से जाके बात हि नेहिं किया । क्यौं कि रानी को अनंदाजा हि नेहिं था कि पापा इस बात को इतना गंभीर से देख रहे हैं ।
अगर सच बोले तो पहला तनख्बाह का खुसी रानी को महेसूस नेहिं हुआ था, जैसे सबको होता है..हम मे से बहत लोग तो आपनि पहला तनख्बाह को लेके बहुत कुछ सोचे होंगे, पर रानी ने एसा कुछ भि नेहिं सोचा था । वो घमंडि नेहिं थि बलकि उसका बचपना हि उसको कभि ये सब सोचने नेहिं दिया..न हि तनख्बाहा और पेहली नैकरी कि खुसि को महसूस करेने दिया । उसकि नाम कि तरहा वो आपने घरमे पापा कि रानी थि...जब रानी पहली नैकरी हासिल कि थि वो बस 19 साल की थि..पढाई के साथ नैकरी कर रहि थी रानी वो भि आपनि मर्जी से । क्यौं कि उसे पढाई से ज्यादा आपनि पसंदिदा काम करने मे खुसि मिल ता था । जो उसे पसंद आता था वो वहि करने मे लग गइ.. वैसे तो रानी के पापा ने कभि उसको काम करने कि इजाजत नेहिं देना चहते थे पर रानी एकदम से जिद्दी थी, बस उसकि जिद्दी ने हि रानी कि पाप के जिद्दी को तोड दिया । और वो नैकरी करने लगि । जब पहला तनख्बाह मिलि तो सब के लिये खाना लेके चलि गयि..और बाकि के पैसे रानी ने ममा को दे दिया..दिसे रानी के पापा थोडा उदास थै...
दुसरे दिन सुबह रानी निंद से पुरि तरहा जागि नेहिं थि पर पापा कि आवाज रानी कि कानो में पड़ि । पापा किसिसे बात कर रहे थै, वौ उनको बोल रहे थै..
“बेटि मेरि नौकरी कर रहि है..उसको कल पहेला तलख्बाह मिला..मैं बहत खुस हूँ उसके लिये..पर सारे पैसा लाके वो आपनि ममा को दे दी..मुझसे कुछ पुछा हि नेहिं..”
बस इतना सुनते हि रानी आपनि बिस्तर छोडकर ऐसे भागि मानो जैसे कोइ जंग मे जा रहि है..और जाके पापा से लड़ने लग गयी । रानी भि बोल दिया..
“भला मैं क्यौं दुं..आप तो आज का पकेट मनि भि मुझे नेहिं दिये अभितक..चालो जलदि से दो मुझे अफिस जाना है”
पापा कुछ बोले बिना फटाफट 100 रुपए रानी को दे दिए, रानी खुसि से वो रुपएआपने पास रख लिया..क्यौं कि रानी जितना भि नैकरी करले पर पापा से 100 रुपए लेने मे मजा हि कुछ और था उसके लिये..जिसे वो कभि मिस नेहिं करना चाहति थि..रानी के पापा हमेसा रानी उठने से पहले उसके तकिया के निचे 100 रुपए रख देते थे.. पर उस दिन रानी को मांगना पड़ा था । पापा से पैसे लेने के बाद रानी उनको कहा..
“पापा इस महिने मेने मामा को तनख्बाह दे दिया पर आप दुखी मत हो अगले महिने मेरि तनख्बाह आपके नाम पे होगा..”
रानी कि नौकरी का दुसरा महिना पुरा होने मे बस एक दिन बाकि था..हमेसा कि तरहा रानी आपनि रुम मे देर रात तक अफिस का कुछ काम कर रहि थि । अचानक दुसरे रुम से रानी कि ममा चिलाने लगि..
“बेटा जलदि से आजा याहां, देख पापा को क्या हो रहा हे..वो कुछ बोल नेहिं रहे हे..”
रानी आवाज सुनते हि भाग के ममा के पास गयि और पापा का हाल देख के वो पहले एम्बुलेंस को कल किया..पर वाहां से कोइ जवाव न मिलने पर वो घबरा गइ..फिर भागते हुए घरके पास रहने वाले जेना अंकल को पुकारने लगि..जेना अंकल के गाड़ि मे रानी और उसकि मा पापा को अस्पताल ले गये..अस्पताल मे डाक्टर उनके विमारी को जांचपरख से पहले हि वो सबको अलविदा कहचुके थे..
रानी आपनि पपा से बहत प्यार करति थि..उसकि जिद्दी, उसकि ताकत सब कुख उसके पापा के वजहा से थि..पर पापा को एसे अचानक आपने से दूर होते देख के रानी एकदम सि टूट गयि थि...उसके अगले हि दिन रानी को दुसरी महिने कि तनख्बाह मिला पर वो अब किसे देगि...उस दिन से लेके आज तक रानी के मन मे बस वहि एक अफसोस हे..हर दिन रानी आपने आप से केहति है
“काश मैं पहला तलख्बाह आपने पापा को दे देति..”