chintu - 34 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | चिंटू - 34

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चिंटू - 34

जब सब रेस्ट हाऊस के हॉल में आए तब स्नेहा ने देखा कि इवान और उसके मम्मी पापा के साथ कोई लड़की है। वह मेरी से पूछती है- मेरी , ये कौन है तुम्हारे साथ? सॉरी, मेरा ध्यान ही नहीं गया।
मेरी खुश होते हुए बेला का इंट्रो कराती है- स्नेहा इससे मिलो, ये मेरे इवान कि वाइफ है।
वहां पर खड़े सब लोग चौंक गए।
स्नेहा- क्या? इवान की वाइफ? इवान की शादी कब हुई थी? और हमे बताया भी नहीं?
पुनिश भी कहता है- अरे हां, ये तो हमारे साथ ही अाई है तो...??
मेरी सब से कहती है- बताती हुं थोड़ा धीरज रखिए। पहले कोई थोड़ा पानी पीला दो यार। बहुत प्यास लगी है।

पिया चिंटु और सुमति को एकसाथ देखकर खुश होती है। वह चिंटु से पूछती है- तो तुम्हारा जगड़ा आखिर ख़तम हुआ?
चिंटु और सुमति दोनों स्माइल देते हुए हां में जवाब देते है।

पानी पीने के बाद मेरी ने यहां से जाने से लेकर आने तक का सब विवरण सबको बताया। इवान और बेला की शादी के वक्त जो रायता फैला था वह सुनकर सब हंसने लगे। फिर मेरी ने सबकी पहचान बेला से करवाई। बेला ने बारी बारी सब बडो के पैर छुए। सब ने उसे मुंह दिखाई और आशीर्वाद दिया।

बाहर मीडियावाले आ चुके थे। इंस्पेक्टर राजीव ने सबको बाहर आने के लिए कहा। बाहर मीडिया के सवाल जवाब का दौर शुरू हुआ। पर एकबार भी किसी ने उनके सामने बेला का जिक्र नहीं किया वरना सब पीछे पड़ जाते बेचारी के। और क्या पता डाकू दिग्विजय का पता जानने के लिए उसे ही गिरफ्तार करवाने का कहते। यह सारी न्यूज लाइव टेलीकास्ट हो रही थी।

यह खबर जब रिया और उसके पापा तक पहुंची तो उसने समय ना बिगड़ते हुए सीधे चिंटु को कॉल कर दिया। उसका मोबाइल चार्जिंग में था और वे सब बाहर मीडिया कर्मी के साथ व्यस्त थे तो पहले किसीको रिंग सुनाई नहीं दी थी।
दूसरी बार जब कॉल किया तब पिया बेला को अपने रूम में लेकर जा रही थी तब उसको रिंग सुनाई दी। देखा भाई के मोबाइल में रिंग बज रही है। वह देखती ये तो रिया का नाम स्क्रीन पर दिखाई दिया। पिया ने कॉल रिसीव करके सीधे बोल दिया- भैया अभी बिज़ी है, बाद में कॉल करना। और कॉल कट कर दिया।

बेला पूछती है- किसका फोन था? ऐसे गुस्से में...
पिया कहती है- है एक छिपकली, हमेशा भैया से चिपकी रहती है। बिल्कुल पसंद नहीं मुझे वो नकचड़ी।
बेला- वो उनकी दोस्त है, ऐसा नहीं बोलते।
पिया- तुम उसे मिली कहा हो अभी? मिलोगी तब पता चलेगा। चलो छोड़ो हम आराम करते है। अभी लंच करने में देर है। इन रिपोर्टर्स के जाने के बाद हमे खाना नसीब होगा। चलो तब तक आराम ही फरमाते है।
दोनों मोबाइल वहीं छोड़ रूम में चली जाती है।

सारे मीडियावाले चले गए तब सब अंदर आए। सब ने एक बात सच कही थी के डाकू दिग्विजय अबतक के खूंखार डाकुओं जैसे नहीं है। उनके दिल में अबतक दूसरो के प्रति दयाभाव है। वह हर किसी को परेशान नहीं करते।
रिपोर्टर्स भी अचंभित थे कि इतने दिनों यह सब अगवा किए गए थे पर किसी के भी चेहरे पर कोई तनाव नहीं है। सच में यह डाकू कुछ हद तक अच्छा तो है ही।

****
पुनिश पल भर के लिए भी सुमति को अपने से अलग नहीं करता था। अब चिंटु और सुमति को बात करने का मौका नहीं मिल रहा था। पर अभी दोनों अपने परिवार के साथ बात करने में व्यस्त थे। कई दिनों के बाद बेड पर सोने को मिला था तो दोपहर के लंच के बाद सब गहरी नींद में सो गए।

शाम को बेला इवान के साथ बैठी हुई थी। वह इवान से कहती है- यहां सब कितने अच्छे है! जब से अाई हुं तब से किसीने भी मुझ से मेरे बाबा के बारे में जानने की कोशिश नहीं की। यहां तक कि पुलिस इंस्पेक्टर ने भी नहीं।
इवान- क्योंकि वह जानते है कि तुम्हारे बाबा वो करते है जिसके लिए पुलिस के हाथ बंधे होते है। और तुम्हारे बाबा किसी को बेवजह परेशान भी तो नहीं करते। यहां सब जानते है ये बात।
बेला- और एक बात पूछनी थी।
इवान- बोलो।
बेला- वो लड़का कौन था जो सुमति मेरा मतलब सौम्या के साथ था।
इवान निराश होते हुए कहता है- वह सौम्या का मंगेतर है!
बेला- क्या, मंगेतर? और चिंटु जी..??
इवान- वो दोनो पहले फ्रेंड्स हुआ करते थे। फिर किसी बात पर दोनों के बीच अनबन हो गई थी। पर मै जानता हुं वे दोनों एक दूसरे को पसंद करते है। पर फिर सौम्या ने इस पुनिश को कैसे पसंद किया कुछ पता नहीं इसके बारे में।

दोनों बात कर रहे थे तभी इवान कि मम्मी मेरी दोनों को बाहर गार्डन में चाय के लिए बुलाने अाई। दरवाजा नोक करने पर बेला ने ही दरवाजा खोला।
मेरी- तुम दोनों की थकान दूर हुइ के नहीं? चलो बाहर सब इंतज़ार कर रहे है चाय पर। तैयार होकर आ जाओ गार्डन में।
बेला- जी मम्मी, आते है।

बाहर जाकर देखा तो सब लोग आ चुके थे। सुमति के अगल बगल चिंटु और पुनिश बैठे हुए थे। उनको देखकर इवान को थोड़ी हंसी आ गई।
बेला ने पूछा- क्यों हस रहे हो?
इवान- सौम्या की हालत देखकर। बेचारी...।
बेला कहती है- किसी के हालातो पर ऐसे नहीं हंसते। पता है न हमे मिलने में इनका ही हाथ है।
इवान- पता है मुजे। पर मै भी क्या कर सकता हुं? सौम्या ने खुद ही अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारी है। उसका रिश्ता पुनिश से तय हो गया था तो चिंटु से रिश्ता नहीं रखना चाहिए था।
बेला- देखो, हमे पूरी बात नहीं पता इनके बारे में तो ज्यादा मत बोलो।
इवान- हां... वो भी है...।

सब साथ में बैठकर चाय नाश्ता करते है। पुनिश सुमति के कानों में कहता है- रात को बारह बजे टेरेस पर आना। तुमसे बात करनी है।
सुमति कोई जवाब नहीं देती और चिंटु की तरफ देखती है। चिंटु ने इशारे से पूछा क्या हुआ? पर वह सिर ना में हिलाकर कुछ नहीं कहती है।

रात के डिनर के बाद सब बाहर गार्डन में कैंप फायर कर के बैठे थे। स्नेहा सुमति से पूछती है- तुम लोगो को वहां कैसे रखा जाता था?
सुमति- मम्मा! हमें वहां बहुत ही अच्छी तरह रखा गया था। हमे नए कपड़े भी दिलवाए गए। बैठे बैठे खाना भी मिलता था। हमे पहले पहले वहा पर अच्छा नहीं लगा पर जैसे जैसे दिन बीतते गए, हमे वहा बिल्कुल पराया नहीं लगा। लगा जैसे सब अपने ही है।
स्नेहा- हम सब तो यहां बहुत परेशान हो रहे थे। अगर पुनिश हमे नहीं संभालता तो शायद हम टूट ही चुके होते।
राहुल भी कहता है- हां, सही बात है। उसे पता चलते ही तुरंत यहां आ गया था तुम्हारे लिए। कितनी बार जंगलों में, बीहड़ों में तुम्हें ढूंढने चला जाता था। एकबार तो अकेले ही ढूंढने निकल पड़ा था वो भी बारिश में। हर बार तुम सबकी खबर पूछने वहीं पुलिस स्टेशन जाता था। सच में सौम्या हमे बहुत अच्छा दामाद मिला है। जो हमारी बेटी को इतना प्यार करता है। तुम बहुत भाग्यशाली हो बेटा।
तो पुनिश कहता है- अंकल! भाग्यशाली तो मै हुं सौम्या को पाकर। उसके लिए तो मै अपनी जान तक दे सकता हुं।

चिंटु और सुमति एक दूसरे के सामने देखते है। इवान और बेला उन दोनों को देख रहे थे। सुमति सोचती है-' हे भगवान! किस दुविधा में डाल दिया है मुजे? एक तरफ चिंटु और एक तरफ पुनिश। मै क्या करू? मम्मी से बात करू? नहीं नहीं, अभी नहीं। वापस जाकर सही मौका देखकर बात करूंगी। पुनिश का दिल कैसे तोडू? उसने मेरे लिए इतना कुछ किया और मम्मी पापा को भी संभाला। मै तुमसे टैरेस पर मिलूंगी thanks कहने के लिए। और आगे अपनी बात करने के लिए...।

क्रमशः