ankahi in Hindi Short Stories by Ashish Saxena books and stories PDF | अनकही

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अनकही

" हेलो अक्षय "

"क्या हाल हैं ? इतने दिनों बाद कैसे याद आ गयी |" अक्षय ने फ़ोन उठाते ही पूछा .

"ठीक हूँ , क्या तुम्हे याद हैं कल नवीन का बर्थडे हैं | " उधर से शिल्पा ने याद दिलाते हुए कहा ।

"हाँ, याद हैं, साल में ३-४ बार ही बात होती हैं अब तो एक दूसरे को बर्थडे और अनिवर्सरीज विश करने को , पर तुमको तो सबका बर्थडे याद ही रहता हैं, सबसे पहले तुम्हारा ही मैसेज आता हैं ग्रुप में तभी हम लोगों को याद आता हैं विश करने के लिए। " अक्षय ने सबके अपनी लाइफ में बिजी हो जाने वाली असमर्थता को बताया।

"मैं नवीन को फ़ोन करके विश करना चाहती हूँ , क्या मुझे करना चाहिए ? "

"देखो वैसे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है पर अगर शिल्पा को पता चला तो शायद " अक्षय ने चिंता जताते हुए कहा।

"शिल्पा, क्या उसकी वाइफ का भी नाम शिल्पा हैं? " शिल्पा ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।

"हाँ, " अक्षय ने उत्तर में कहा

"तो, क्या तुम कॉन - कॉल नहीं करवा सकते हम दोनों की ? "

"पर अचानक इतने सालो बाद कॉन - कॉल चक्कर क्या हैं ?" अक्षय ने टाँग खींचते हुए पूछा।

"अरे कुछ नहीं , तुम्हारे दिमाग में क्या क्या चलता रहता है, इतने सालो बाद वह ग्रुप में जुड़ा हैं तो सोचा कॉल करके बात कर ली जाये पर उसके बारे में ज्यादा पता नहीं है इसलिए तुमसे पहले पूछा , तुम्हारा तो वह सबसे अच्छा दोस्त हैं" शिल्पा ने सहजता से अपनी बात समझाते हुए कहा।

"अच्छा, एक बात पूछूँ तुमसे , क्या सच में यही बात हैं, सच में तुम्हारे मन में कभी कुछ नहीं था नवीन के लिए , बस मैं अपनी जिज्ञासा मिटाने के लिए पूछ रहा हूँ " फिर मज़ाक के लहजे में अक्षय ने पूछा।

शायद वह अतीत के समुन्दर में खो गया था जब वह सब एक साथ पढ़ते थे, कॉलेज के वह दिन , शायद आज के वातावरण से बिलकुल अलग, आज जहाँ पहले दिन से ही रिश्ते बनने शुरू हो जाते हैं, मेक अप, ब्रेक अप जैसे कोई अर्थ ही नहीं रखता हो।

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१९९८ कॉलेज का लास्ट ईयर था, सब लोग फाइनल ईयर के एक्साम्स दे चुके थे और सभी अपने रिजल्ट्स का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, परन्तु नवीन और अक्षय लगातार इंटरव्यू दे रहे थे , नौकरी की सबसे ज्यादा जरूरत नवीन को ही थी, एक तो मम्मी का खौफ और दूसरा अपने प्यार का इज़हार करने से पहले वह अपने पैरो पर खड़ा होना चाहता था।

नवीन हमेशा से ही शिल्पा को पसंद करता था पर कभी भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता, आँखों ही आँखों में दोनों का प्यार हिलकोरे ले रहा था, अक्षय नवीन को शायद बहुत करीब से जानता था इसलिए उसने नवीन की आँखों में शिल्पा के लिए उठ रहे ज्वार को पहचान लिया था।

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"सुन न, चल आज शिल्पा को कम से कम कॉफी के लिए तो पूछ, तुम नहीं पूछ सकते तो मैं पूछ लेता हूँ " अक्षय ने स्कूटर पर पीछे से कहा।

"यार, तुम समझते नहीं हो , जब तक मैं कुछ कर नहीं लेता तब तक किस मुँह से बात करूँ " नवीन ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा।

"अरे, तब तक वह निकल गयी तो ? किसी और ने प्रोपोज़ कर दिया तो ? तुम कुछ नहीं समझते हो आजकल दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी हैं तुम अपनी फिलॉसोफी देते रहना , मेरे भाई आजकल इजहार करके बताना पड़ता हैं नहीं तो वह कैसे समझेगी। " अक्षय ने अपनी चिंता प्रकट की।

"वह कहीं नहीं जाएगी, ऐसा मेरा विश्वास हैं, मैंने उसकी आँखों को पढ़ा हैं, मैं समय आने पर खुद ही बोल दूंगा, तेरी फील्डिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी " नवीन ने अक्षय को खिजाते हुए कहा।

" ठीक हैं, मैं आज शाम को ही उसे कॉफ़ी पर ले जाता हूँ, बोल लगी शर्त ? " अक्षय ने चुनौती देते हुए कहा

" देख ! मैं इन सब बातों में आने वाला नहीं हूँ , पर तुम कोशिश करके देख लो वह तुम्हारे साथ अकेले नहीं जाएगी " नवीन ने भी बड़ा विश्वास दिखते हुए कहा

"सोच ले एक बार , तुम जानते हो मेरे सुपर कौशल को ?" अक्षय ने बखानते हुए कहा

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"अच्छा सुनो न, मुझे तुम्हारी हेल्प की जरूरत हैं " अक्षय ने शिल्पा से कहा

"बोलो " शिल्पा ने प्रतिउत्तर में कहा

"वह मैं मोना से बात करना चाहता हूँ पर जब भी फ़ोन लगाता हूँ , उसके पापा उठा लेते हैं , पूरे महीने की पॉकेट मनी खर्च हो गयी पीसीओ में " अक्षय ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा।

"तो तुम क्या चाहते हो ? "

"अरे! तुम फ़ोन करके मोना को बुला दो फिर मैं उससे बात कर लूँगा " अक्षय ने भिक्षुक की भाँति शिल्पा से सहायता मांगी।

" अच्छा चलो मैं करवाती हूँ तुम्हारी बात " शिल्पा ने अपनी सहमति दिखाई

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"बहुत बहुत धन्यवाद शिल्पा , क्या मैं तुम्हे कॉफ़ी पिला सकता हूँ ?"

"कॉफ़ी क्यों ? "

"आश्चर्य की कोई बात नहीं है , मैं सिर्फ तुम्हे धन्यवाद देना चाहता हूँ , आगे भी तो तुम्हारी सहायता की जरूरत पड़ेगी। " अक्षय ने अपनी कुटिल सी मुस्कान भरते हुए कहा।

"ऐसी बात है तो फिर चलो, लेकिन नवीन को भी बुला लो साथ में " शिल्पा ने अपनी बात रखी।

"अरे नवीन की क्या जरूरत हैं , बात तो मेरे तुम्हारे बीच की है न, क्यों प्रचार प्रसार करना। "

"अच्छा चलो , तुम वैसे भी मानने वाले नहीं हो , एक कॉफ़ी की हो तो बात है न "

कॉफ़ी शॉप के बाहर ही नवीन अपनी स्कूटर स्टैंड पर लगाकर बैठा था , पर शिल्पा ने उपेक्षा करते हुए अक्षय के साथ कॉफ़ी शॉप में प्रवेश कर गयी और अक्षय भी नवीन को कनखियों से देखते हुए साथ में प्रवेश कर गया .

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"अब तो मेरी बात मान जा " अक्षय ने नवीन को ताना मारते हुए कहा

"मुझे सब पता चला तुमने कैसे उसे और मुझे बेवकूफ़ बनाया " नवीन ने अनमने मुख से कहा

अच्छा एक बात बताना था "शिल्पा तुमसे एक बार बात करना चाहती हैं शायद कुछ इम्पोर्टेन्ट और अर्जेंट सा लग रहा था, उसने मुझसे तुम्हे बताने को कहा हैं"

"यार, फिर वही मैं जानता हूँ वह क्या सुनना चाहती हैं पर मैं अभी तक तैयार नहीं हूँ " नवीन ने सकुचाते हुए कहा

"अच्छा, सुनो मेरी एक कंपनी से इंटरव्यू कॉल आयी हैं" नवीन के चेहरे पर फिर से एक चमक दिखाई दी

"एक बार सेलेक्ट हो जाऊं तो फिर घरवालों की टेंशन भी ख़तम हो जाएगी और फिर मैं अपने दिल की बात भी कर पाऊंगा शिल्पा से "

"पर फिर भी एक बार मिल तो ले शिल्पा से " अक्षय ने समझाया

"ठीक है दो दिन बाद ही तो इंटरव्यू हैं फिर मिलते हैं उससे " नवीन ने निश्चिन्त होते हुए कहा

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"अरे चल जल्दी उठ तुझे खुशखबरी देनी हैं , मुझे वह नौकरी मिल गयी हैं और मैं शिल्पा को यह बात तुरंत बताना चाहता हूँ " नवीन ने बड़ी प्रसन्नता से कहा

"पर कॉलेज तो कल सुबह हैं, अभी कहाँ चलेगा ?"

"चल उसके घर चलते हैं, मैं अब समय बर्बाद नहीं करना चाहता " नवीन ने बड़ी आतुरता से कहा

"यह क्या है , मेरे लिए गिफ्ट की क्या जरूरत थी ? मैं तो ३-४ बियर में ही मान जाता " अक्षय ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा

"अबे जल्दी बैठ स्कूटर पर और हाँ इसको वापस रख दे , यह मैं शिल्पा के लिए लाया हूँ " नवीन ने झिड़की देते हुए कहा

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"यार कोई निकल नहीं रहा है लगता हैं घर में कोई नहीं हैं, दो तीन बार डोरबेल बजा चुके, कल सुबह तो मिल ही लेंगे कॉलेज में " अक्षय ने चिंता जताते हुए कहा

"रुक रुक शायद कोई आ रहा हैं। " नवीन ने कहा

"जी वह शिल्पा से मिलना था , उसके कॉलेज में पढ़ते हैं " नवीन ने बताया

"पर सब लोग तो मंदिर गए हुए हैं " दरवाजे पर से किसी ने कहा

"मंदिर , कौन से मंदिर , यह जो चौराहे के पास है बड़ा वाला वही " नवीन ने फिर आतुरता से पुछा

" जी वहीँ , आज शिल्पा दीदी की सगाई है न तो सब लोग वही गए हुए हैं "

अब शायद नवीन को समझ आ रहा था कभी कभी न कहना जिंदगी में क्या भूचाल ला सकता हैं , पर अब शायद उसकी प्रेम कहानी "अनकही" बन गयी थी

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