Bhukh in Hindi Short Stories by Kumar Kishan Kirti books and stories PDF | भूख

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भूख

"अरे मोहन बेटा, यह क्या कर रहे हो?"
प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा अपने पाँच साल के बेटे को देखकर थोड़ा गुस्से के साथ पूछ बैठे,दरअसल उनका पाँच साल का बेटा मोहन एक कुत्ता को कुछ रोटियां दे रहा था, और प्रोफेसर डॉ०विनय विनय शर्मा जब कॉलेज जाने के क्रम में गाड़ी के पास पहुंचे तो उन्होंने यह कार्य करते हुए देखा
"कुछ नहीं पिताजी,इसे भूख लगी थी, इसलिए घर से रोटियां लाकर डाल दिया हूँ"मोहन रोटियां कुत्ता को देकर
अपने पिताजी से बोला
"लेकिन बेटा, यह तो जानवर है और कही ना कहीं तो अपनी भुख मिटा ही लेगा"प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा अपने बेटा मोहन का हाथ पकड़कर घर के अंदर लाते हुए बोले
अपने पिताजी की बात सुनकर मोहन बोला"लेकिन पिताजी, आपने ही तो खान है की भूख सभी को लगती हैं, और खासकर हमें जानवरों और पंछियों की देखभाल करनी चाहिए,और जब जरूरत पड़े तो इनकी सहायता करनी चाहिए,और वैसे भी भूख तो भूख है पिताजी चाहे हमें लगे या किसी जानवर को"
अपने बेटे की बातें सुनकर प्रोफेसर साहब के कदम रुक गए
वे कमरे में ही खड़े होकर सोचने लगे की कितनी सच्चाई है
उनके बेटे की बातों में उन्होंने तो केवल बताया है, लेकिन मोहन ने तो उनकी बातों को चरितार्थ कर दिखाया
एक नन्हा सा बालक और इतनी बड़ी सोच!और प्रोफेसर साहब समझ नहीं पा रहे थे
"क्या हुआ पिताजी?"मोहन बोला,"कुछ नहीं बेटा, तुमने बड़ा ही अच्छा काम किया है"इतना कहकर उन्होंने अपने बेटे की माथा को चूमा और गाड़ी की ओर चले गए
उसी क्रम में उनके सहकर्मी प्रोफेसर डॉ०शालिनी मिल गई, जैसे ही उनकी नजर प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा पर गई तो वह गाड़ी को हाथ से रोकने का इशारा कर दी शालिनी को देखकर प्रोफेसर साहब गाड़ी उनके पास ले गए और बोले
"आइए मिस शालिनी जी,चलिए आज आपको भी कॉलेज में ले चलू" "हा, हा क्यों नहीं,और वैसे भी मैं तो खुद ही आपसे लिफ्ट मांग रही थी"प्रोफेसर शालिनी बोली और तुरंत ही गाड़ी में बैठ गई,क्योंकि अगर बस का इंतजार करती तो और लेट हो जाती फिर क्या था?गाड़ी सड़को पर धूल उड़ाती हुई जा रही थी एक खामोशी छा गई थी, लेकिन प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा एकदम शांत थे,लेकिन प्रोफेसर डॉ०शालिनी को यह चुप्पी अच्छी नहीं लग रही थी अतः वह बोली"क्या बात है?आज आप बहुत ही खामोश है, कुछ बात हो गई हैं क्या?"प्रोफेसर शालिनी की बात सुनकर प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा बोले"अरे शालिनी जी,कुछ नहीं हुआ है, बस ऐसे ही शांत हूँ"लेकिन, उनकी सफेद झूठ प्रोफेसर डॉ०शालिनी समझ गई थी,खैर कॉलेज के पास गाड़ी आकर रुक गई और प्रोफेसर डॉ०विनय और डॉ०शालिनी गाड़ी से उतरकर जैसे ही कॉलेज के मुख्य द्वार में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़े,वैसे ही उनकी नजर मुख्य द्वार के पास बैठे एक कुते पर गई,जो भूखा था फिर क्या था?प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा तुरंत ही अपनी टिफिन से दो रोटियों को निकाले और उसे कुते के पास रख दिए उन्हें ऐसा करते देखकर प्रोफेसर
डॉ०शालिनी बोली"क्या बात है?आज आपमे इतना परिवर्तन?आप तो जानवरों से....."
"हा, मि०शालिनी, यह परिवर्तन मेरे बेटे ने किया है"
प्रोफेसर साहब बोले
:कुमार किशन कीर्ति,बिहार