One Page Of Relationship. - 3 in Hindi Love Stories by Dhruv oza books and stories PDF | रिश्ता एक कागज का । - 3

Featured Books
  • ફરે તે ફરફરે - 37

    "ડેડી  તમે મુંબઇમા ચાલવાનુ બિલકુલ બંધ કરી દીધેલુ છે.ઘરથ...

  • પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-122

    પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-122 બધાં જમી પરવાર્યા.... પછી વિજયે કહ્યુ...

  • સિંઘમ અગેન

    સિંઘમ અગેન- રાકેશ ઠક્કર       જો ‘સિંઘમ અગેન’ 2024 ની દિવાળી...

  • સરખામણી

    સરખામણી એટલે તુલના , મુકાબલો..માનવી નો સ્વભાવ જ છે સરખામણી ક...

  • ભાગવત રહસ્ય - 109

    ભાગવત રહસ્ય-૧૦૯   જીવ હાય-હાય કરતો એકલો જ જાય છે. અંતકાળે યમ...

Categories
Share

रिश्ता एक कागज का । - 3

(निशांत घर से ऑफिस के लिए निकलते हुए)

निशांत - अच्छा, क्यारा सुनो वो हमें परसो जाना है,
आज सुबह दयानंदजी का मैसेज आया था,
कि हम कब तक आ रहे है वहां मेने परसो का कहा है आज ऑफिस से छूट्टी ले लूंगा ओर आते हुए टिकिट्स भी लेते आऊंगा कल रात की ट्रेन के , ठीक हेना,

क्यारा - (मस्ती में हस्ते हुए) फिर कोई नया कागज़ बनवाने का प्लान है क्या ?

निशांत - क्या यार क्यारा एक तो कल रात को गार्डन में तुमने जवाब नही दिया तो वेसे भी में खोया हुआ हूं, ऊपर से तुम्हे मज़ाक सूज रहा है , कही हमसे मन ऊब तो चुका नही ना ?

बताओ ना क्यारा क्या फैसला है तुम्हारा, क्या तुम पूरी ज़िंदगी सिर्फ कागज़ पे बिताना चाहती हो , या एक रिश्ते के लिए जगह है ?

क्यारा - अच्छा अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो ओर ये लो चाय पिलो, तब तक मे टिफिन पैक करके लाती हु, आज बहोत काम है ।

निशांत - (चाय का प्याला उदास मुह बना के हाथ मे लेते हुए) वेसे एक बात कहु क्यारा, उस दिन जब हम एग्रीमेंट साइन कर रहे थे ना तब ही मेने सोच लिया था ज़िंदगी मे चाहे जो हो जाये एक काम को खत्म करके ही जाना है ऊपर।

क्यारा - अच्छा और वो क्या है ? एक ही ज़िन्दगी है जनाब कितनी बात जियोगे , काम की इतनी भी लम्बी लिस्ट मत बना लेना कही पता चला काम खत्म करते करते मुजे ही भूल गए ।

निशांत - अरे तुम्हे कैसे भूल सकता हु तुम्हारे आने से ही तो ये सारे काम सोचे है और में पूरा भी करूँगा लेकिन कभी सोचता हूं कि कही ये रिश्ता जिसके लिए मुजे दूसरी बार जीने की इच्छा है कही वो ही एक कागज के रिश्ते पे सिमट के बंध ना जाये ।

क्यारा - अब इतना भी मत सोचिये काम मे मन नही लगेगा ये लीजिये आपका टिफिन ओर ये आपका बेग अब जल्दी जल्दी ऑफिस जाइये ओर काम खत्म करके जल्दी से वापस आये रात को हम बाहर घूमने चलेंगे ।

माँ आज अपनी सहेली के घर सोने जाने वाली है , उनके घर पे सब बाहर गए है तो मौसी ने माँ को बुलाया है ।

निशांत - ठीक है तो फिर चलो में निकलता हु ।

(Walking on street at night)

क्यारा - निशांत एक बात पुछु ?

निशांत - हा पूछो , लेकिन आज ये अचानक कुछ बदली बदली सी क्यों लग रही हो ?

क्यारा - ये लो सवाल मैने पूछना था और तुम...

निशांत - अच्छा ठीक है पूछो ,

क्यारा - पिछले एक साल में कितना कुछ मेरे जीवन मे ऐसा बदलाव आया जो मेने कभी नही सोचा, ओर मेने ये भी नही सोचा था की वो मुजे इतना अच्छा लगेगा , लेकिन इन सबके बीच कभी आपने मुजसे मेरे पास्ट के बार मे कुछ नही पूछा , नाही कभी अपने पास्ट के बारे में बताया,

अब ये हम दोनों भी जानते है जिस तरह हम मिले है ये कोई नार्मल सी बात नही है, तो क्या आपको ये लगता है कि हम दोनों अपनी सारी जिंदगी वर्तमान की नींव पे रख पाएंगे ।

निशांत - कैसे ये नींव रखेंगे क्यारा मुजे नही पता; लेकिन मुजे ये जीना है ये ज़रूर बात है, अपने रिश्ते को सिर्फ एक कागज के रिश्ते तक सीमित बांध के नही रखना है में उसे एक मुकम्मल तौर से जीना चाहता हु,

क्यारा - लेकिन पास्ट के बारे में क्या ? क्या हमारे पास्ट को हम इस एक कागज के रिश्ते में बांध पाएंगे ।

निशांत - देखो क्यारा में वर्तमान में जीने ओर भविष्यमें सोचने वाले इंसान हु, पास्ट मेरी ज़िंदगी की वो बेड़िया है जो मेरे पैरों में बंधी है जिसको में कभी तोड़ नही पाऊंगा शायद , लेकिन में उसके साथ ही खुश हूं, में अपने पास्ट की इन बेड़ियो को हाथ मे लेना नही चाहता,

क्योकि भूतकाल तो फिर भूतकाल है उसे हाथ मे लेके घुमोगे तो डिप्रेशनमें रहोंगे और गले मे बांध लोगे तो जुल जाओगे, इसलिए इसका स्थान पैरोमें ही रहना चाहिए भले ही ये वर्तमान की गति धीमी करेगा लेकिन भविष्य में गलत जगह कदम नही पड़ने देगा ।

(दोनो अब चुप चाप बस देख रहे है एक दूसरे को रॉड के किनारे खड़े हुए बहोत देर तक )

{Office seen in phoolo ke angan trust}

दयानंद - तो निशांतजी ये रहे लीगल मैरेज रजिस्ट्रेशन फ्रॉम , ओर ये ट्रस्ट के कागज़ आप दोनों का एक फोटो एक लीगल डॉक्यूमेंट के साथ यहां अटैच कीजिए दोनो साइन कीजिये और दो बजे हमे ये कोर्ट में जाने सबमिट करना है,

(दोनो पेपर में साइन करते है और फिर कोर्ट में जाके मैरेज करते है)

दयानंद - बहोत बहोत बधाई हो नए जीवन की, सदा खुश रहो और युही एक दूसरे को ज़िन्दगी भर सपोर्ट करते रहो,

निशांत - बहोत बहोत धन्यवाद दयानंद जी और आपने जो मेरी हेल्प की है वो काम मे उसके लिए भी बहोत बहोत सुक्रिया आपके बगेर मेरा सपना अधूरा ही रह जाता,

क्यारा - कोनसा सपना हमे तो कुछ नही पता , ज़रा हमे भी तो बताओ।

दयानंद - अरे वो सब बाटे छोड़ो ओर आओ आज खाना साथ मे खाते है , छुटकी चिकन टिक्का तेरा फेवरिट हेना वहां चलते है ।

(निशांत क्यारा की तरफ आश्चर्य से देखता है)

क्यारा - नही साहेब कही पंजाबी रेस्टोरेन्ट में चलते है मेने नॉनवेज खाना छोड़ दिया है ।


【आगे की कहानी अगले द्रष्टांत में】