prem do dilo ka - 3 in Hindi Fiction Stories by VANDANA VANI SINGH books and stories PDF | प्रेम दो दिलो का - 3

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प्रेम दो दिलो का - 3

वह देखता है कि नीरू अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेती है और उसके बाल उसके गालों से होते हुए उसके पूरे बदन पे फैले है । ऐसा लग रहा था जैसे कोई परी रूठ गई हो और गुस्से से उसके चेहरे लाली देखने वाली थी निर्मल को समझ ना आ रहा था कि वह नीरू से क्या कहे वह थोड़ी तेज आवाज में कहता है कि क्या हुआ क्यों इतने गुस्से में लेती है बाहर से आवाज़ आती है स्कूल जाने से मना किया गया है इस वजह से रूठी हुई है निर्मल अच्छा तो ये बात है ! रूमी है बताओ भला कोई इस तरह से करता है क्या अभी तबीयत ठीक हो जाए जाए आराम से स्कूल कोन मना कर रहा है, तब तक के लिए घर में ही पड़ ले बात पूरी होने से पहले नीरू तेज आवाज में मास्टर ले आओ हम फिर पड़ लेंगे , रूमी अब तो ये जवाब भी देने लगी है देखो निर्मल इसकी भाषा तो देखो कैसे बोल रही अब मै कहा से लाऊं मास्टर , फिर नीरू उदास होकर फिर मै फेल हो जाऊंगी बारहवीं की परीक्षा पास ना होगी मुझ से , निर्मल आप लोग अब मेरी भी सुन लो मै बड़ा दूंगा नीरू तुमको और तुम पास भी हो जाओगी। निर्मल इसी साल अपनी स्नातक की पढ़ाई करके आया है और वह पड़ने में अच्छा है ये सभी जानते है। रूमी कहती अच्छी बात है निर्मल तुम मेरे और बच्चो को भी पड़ा दो मै चाचा से तेरे बात कर लूंगी वह तुझे कुछ खर्च भी दे दिया करेंगे । निर्मल आप ये सब मत करिए इसकी कोई जरूरत नहीं घर में भी कोई पैसा कमाता है क्या ?? रूमी ,निर्मल तू इतनी मेहनत करेगा वह उसका फल होगा निर्मल कहता है आप मुझ पकवान खिला दिया करना वही मेरे लिए फल होगा ।। दोनो हसने लगते है और अब तो नीरू भी खुश हो गई है । निर्मल कहता अच्छा चाची मै जाता हूं साम को आता हूं !नीरू तुम तयार रहना पड़ने के लिए इतना कह कर वो वहा से चला जाता जब साम होती तो वह आता है और सबको पड़ा कर कुछ खा कर घर वापस चला जाता और भाई बहन होने के कारण नीरू से कोई अपनी बात नहीं हो पाई निर्मल तो इस बात से ही खुश था कि उसको थोड़ा वक्त मिलता है नीरू के साथ बिताने के लिए लेकिन दिल तो कुछ और चाहता है इसी तरह कई महीने ने गुजर गए ।।
इक सुबह जब निर्मल दूध लेकर आता है तो नीरू दिखाई नहीं देती है वह अपनी नजरों से पूरे घर में उसे खोजता है वह किसी से पूछ भी नहीं सकता कि नीरू कहा गई है कहीं ना मिलने पर वह रूबी बात को घुमाते हुए पूछता है कि नीरू कहीं दिखाई नहीं दे रही है पड़ोस में गई है क्या उसकी सांसे जैसे कहीं गुम हो गई हो और वो आवाज नहीं ले पा रहा उसकी हालत ऐसी हो गई है वह इतनी धीरे से कहता है कि रूबी ठीक से सुन नही पाती वह फिर से पूछती कि क्या कहा निर्मल भईया अपनी बात को दोहराता है तो रूबी उस से कहती है कि उसको नहीं पता वो बाहर से आ है।।।