Bhutiya bangla in Hindi Horror Stories by Lalit Raj books and stories PDF | भूतिया बंगला

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भूतिया बंगला

राहुल, जतिन , भरत और दीपक ये चारों दोस्त शहर में काम की तलाश में आये हुऐ थे। अपने गांव से शहर मे आकर अपनी पढाई पूरी की थी तो ये अब शहर में ही कोई काम की तलाश में है ताकी शहर में सिफ्ट हो सके।

एक कम्पनी में चारों इंटरव्यू के लिऐ जाते है राहुल के तीनो दोस्तो का इंटरव्यू हो चुका होता है और अब राहुल जाता है।

राहुल " क्या मै अंदर आ सकता हूँ।"
बॉस " अंदर आ सकते हो"
बॉस राहुल से बात करता है और वो राहुल से प्रभावित हो जाता है और अंत में कहता है " राहुल मुझे खुशी होगी के आप हमारी कम्पनी में काम करें"

राहुल के चहरे पर खुशी साफ दिख रही थी और बॉस से कहता है " बहुत बहुत धन्यवाद सर आपने मुझे अपनी कम्पनी के काबिल समझा"
राहुल अब थोडा मायूस होकर बॉस से कहता है " लेकिन मेरे दोस्त"
बॉस " आप अपने दोस्तों को अंदर लेकर आऐं"
राहुल अपने दोस्तों को अंदर लेआता है और बॉस राहुल के दोस्तों से कहता है " मै राहुल के बयां पर आप लोगों को ले रहा हूँ क्योंकि राहुल का स्वभाव और काम के लिऐ लगन अच्छी लगी तो चाहता हूँ वही आप सब में हो।"

राहल के दोस्त " सर ऐसा ही होगा "

बॉस राहुल से कहता है "आप लोग यहां कहाँ ठहरे हुए हो "
राहुल " सर अब वहीं तलाश करेंगे "
बॉस मुस्कुराते हुऐ कहता है " आपकी ये प्रोबलम भी मै दूर करदेता हूँ , मैने शहर से बहार एक बंगला खरीदा है वो अभी खाली है उसकी देखभाल के लिऐ वैसे भी मुझे जरूरत थी तो आप लोग वहीं ठहर जाऐ और साथ में मेरे बंगले की देखभाल भी करलेना"

राहुल जवाब देनें में सोचता है तब तक तीनों दोस्त हा कर देते हैं " जी सर हम वहां रह भी लेंगे और आपके बंगले की देखभाल करलेंगे "

राहुल कम्पनी बहार आते ही अपने दोस्तों को डांटता है और कहता है " उन्होंने हमें जॉब दी यही एहसान काफी था यार"
जतिन सबसे छोटा और मोटा भी था वो कहता है " अरे यार समझा कर कोई एहसान नहीं किया वो चपरासी रखता उसकी जगह हमको रख लिया चल अब गुस्सा छोड़ मुझे भूक लगी है"

भरत और दीपक हसने लगते है " देख मोटे को भूक लग आई वहीं हम सोच रहे थे हाथी चुप कैसे है।"
जतिन " तुम लोग मेरा मजाक मत उड़ाओ मुझे सच में भूक लगी है ।"
राहुल भी मुस्कराते हुऐ कहता है " चल ठीक है कुछ खाते है लेकिन बंगले तक पहुंचते है उसी के आस पास कोई ढाबा होगा वहीं खाते हैं।"

चारों दोस्त अब बंगले के करीब तक आ चुके थे पर उस्से पहले उन्हें ढाबा दिखाई देता है वो वहां जाते और खाने का ऑडर देते हैं।

एक लड़का उनके लिऐ खाना लगाता है और तभी राहुल उस लड़के से पूछता है " ऐ छोटू इधर आ "
छोटू " जी साहब"
राहुल " राय साहब का बंगला यहां से कितना ओर दूर है।"

छोटू और ढाबे पर बैठे सभी लोग राहुल को देखने लगते हैं ऐसा लग रहा था जैसे वो बंगले का नाम सुनकर घबराह जाते हैं।
राहुल एक बार फिर पूछता है तभी ढाबे का मालिक आता है गुस्से में राहुल से कहता है। " साहब खाना खाने आये हो और खाकर निकल जाओ उसी में भलाई है शाम होने वाली है।"

राहुल और उसके तीनों दोस्त खड़े हो जाते हैं और राहुल उस ढाबे वाले से पूछता है " क्या मतलब शाम होने वाली है।"

ढाबे का मालिक " अपना खाना पैक करवालो क्योंकि शाम होते ही ढाबा बंद हो जाता है ।"
राहुल " ऐसे कहो न ठीक है पैक करदो "
राहुल और तीनों दोस्त खाना लेकर वहां से निकल जाते हैं राहुल के मोबाईल पर बॉस ने जो पता भेजा था उसके हिसाब से वो ठीक चल रहे थे।

इधर ढाबे पर छोटू अपने उस्ताद से कहता है " तुमने उन छोकरा लोगों को हकीकत क्यों नहीं बताया "
उस्ताद " जिसकी आनी होती है उसे रोक नहीं सकते और फिर ये लड़के आज के समझदार है बात नहीं मानते की यहां उन्हें मौत खीच लाई है।"

जतिन सबसे छोटा था वो काफी घबराहे हुऐ था और राहुल से कहता है " यार ढाबे वाला कुछ तो गड़बड़ है वहां बंगले का नाम सुनकर सभी डर गये कही बंगले में कुछ गड़बड़ तो नहीं।"
राहुल " देख जतिन परेशान मत हो सारा वहम दूर हो जाऐगा एक बार पहूंचने दे"

वो चारो दोस्त उस बंगले तक पहुंच जाते हैं काफी पुराना लग रहा था क्योंकि ऐसा लग रहा था कि यहां वर्षों से कोई रहा नहीं है।

वो लोग बंगले के गेट तक पहुंच जाते हैं पर बंगले के गेट पर कोई लॉक था ही नहीं, राहुल जैसे ही गेट खोलता है तो बहुत सारी चमगादड़ उनके ऊपर से एक दम निकलती है राहुल के अलावा सभी डर जाते हैं।

राहुल अंदर जाने लगता है भरत कहता है " यार लौट चलते हैं यहां कैसे रह सकते हैं देख पूरा कबाड़ पड़ा है इसे सम्हालते सम्हालते कई वर्ष लग जाते हैं।

राहुल तीनों को समझाकर अंदर तक लेजाता है वहां वो लोग एक कमरा देखते हैं जो कुछ हद तक सही था और वो लोग उस कमरे को और अच्छा कर वहीं पहले खाना खाते हैं और फिर सोने लगते हैं।

आधी रात में जतिन की आँख खुलती है उसे टॉयलेट लगा था। वो राहुल को जगाता है पर वो जागता नहीं है जतिन सबको बारी बारी हिलाकर कहता है " ऐ उठ मुझे टॉयलेट आया मेरे साथ चलो " जब वो ऐसे ही दीपक से कहता है तो दीपक कहता है " छी इतना बड़ा हो गया है अभी भी टॉयलेट अकेले नहीं कर सकता"

जतिन " तो जानता है जब भी मै भूत की फिल्म देखता था तो मेरी पेंट में निकल जाती थी और ये तो पूरा भूतिया बंगाला लग रहा है।"
दीपक " चल ठीक है चलता हो "
जतिन दीपक को किस करते हुऐ कहता है "धन्यवाद भाई "

दीपक " चल ठीक है यार किस्सी मिस्सी नहीं "

जतिन और दीपक बंगले में वॉशरूम ढूंढने लगते है फिर उन्हें थोड़ा आगे जाकर वॉशरूम दिख जाता है और दीपक जतिन से कहता है " चल जा जल्दी से करके आ "
जतिन " तू भी चल यार"
दीपक " चल जाता है के नहीं कान पर दू खीचके।"
जतिन " ठीक है जाता हूँ।"

जतिन वॉशरूम में अंदर की ओर जाने लगता है और वहाँ वॉशरूम करके अपने हाथ धोने के लिऐ बाथलैशन का इस्तेमाल करता जिसपर सामने आईना लगा होता है।

जतिन आईना को देखकर अपने बाल ठीक कर रहा होता है और फिर थोड़ी देर बाद उस आईने से उसका चेहरा दिखना बंद हो जाता है।

जैसे वो आईने मे अपना चेहरा नहीं देख पाता तो वो आईने पर हाथ लेकर जाता है उसे सामने अपना चेहरा तो नहीं दिखाई दे रहा था बल्कि आईने में अंधेरा देख रहा था वो जब आईने से हाथ लगाता है तो उसका आईने में न लगकर अंधेरे में आगे बढने लगा।

और फिर जतिन को ऐसा लगता है जैसे आईने के उस पार कोई खीच रहा है वो बहुत जोर से चिल्लाता है तभी सभी दोस्त भागते हुऐ जतिन के पास जाते हैं।

दीपक पास में था तो पहले ही उसके पास आ जाता है और देखता है जतिन बेहोश होजाता है, राहुल जतिन को होश में लाने की कोसिस करता है लेकिन जतिन को होश नहीं आता और जैसे ही भरत की नजर जतिन के हाथ पर पढी वो डरते हुऐ जतिन के हाथ की तरफ इशारा करता है और सभी उसके इशारे की तरफ देखते हैं तो सभी घबरहा जाते हैं।

जतिन का हाथ बुरी तरह से जल चुका था , वो लोग जतिन को उठाकर बहार लेआते हैं।

दीपक और भरत राहुल से कहतें हैं हमें यहां से निकल जाना चाहिए।
दीपक और भरत दोनों कमरे से सामान ले आते हैं और राहुल से निकलने की कहकर वो गेट की तरफ जा ही रहे होते हैं तभी राहुल कहता है " ठहरो कहा जा रहे हो और बहार जाकर क्या करोगे, वो दीपक से कहता है तेरी माँ का इलाज चल रहा और दवा हॉस्पिटल का बिल खतम होने का नाम ही नहीं लेरहा और भरत तू तेरे बाप पर तो कर्ज है घर तक गिरवी रखा है ये तुम दोनों कैसे करोगे अपनी प्रोब्लम को खतम"

दीपक और भरत कहते हैं "हमें जॉब मिली है न उस्से धीरे धीरे सब ठीक हो जाऐगा।"

राहुल मुस्कुराते हुऐ कहता है " कोई जॉब नहीं हम लोगों के पास "

दीपक और भरत हैरान हो जाते है यह सुनकर भरत कहता है " क्या मतलब यानी तू हमसे कुछ छुपा रहा है ।"
राहुल " जिस कम्पनी में हम जॉब लेने गये थे वो तो मै वहां झूठ बोलकर ले गया था, असली काम यहां एक रात ठहरने की डील हुई थी बॉस और मेरे बीच"

दीपक " कैसी डील "
राहुल " बॉस को ये बंगला बेचने की डील मिली क्योंकि ये इतनी खास जगहा है के यहां होटल बहुत अच्छा चल सकता है ,बॉस इस बंगले को बेच कर तीन सौ करोड़ मिलने वाले हैं लेकिन यहां की आसपास कि अफवाह है कि यह भूतिया बंगला है और बॉस को उसे झूठ साबित करना था तो तब बॉस ने डील की अगर हम यहां एक रात रूक पाऐ तो हम चारों को एक एक करोड़ मिलेगा और जब सुबह हम जिंदा निकले तो डीलर का वहम दूर हो जाऐगा।"

दीपक " मतलब तूने चार करोड़ के लिऐ हम सब की जान खतरे में डाल दी तू रख अपनी डील हम जा रहे हैं।"

दीपक और भरत जतिन को उठाकर गेट की तरफ बढते हैं और गेट तक पहूंचने के बाद गेट खोलने की कोसिस करते हैं वो हेरान थे कि जब आये थे तो गेट खुला था अब ये बंद कैसे है।

राहुल " क्यों ,नहीं खुला मुझे पता था तुम लोग ऐसा करोगे तो डील को पूरा करने के लिऐ मैने गेट को बहार से लॉक करा दिया है अब जंगल से कौन आऐगा खोलने" यह कहकर राहुल हसने लगता है।

दीपक और भरत गुस्से से राहुल की तरफ जाते हैं और उसे मारने लगते हैं,
राहुल " यू आपस में लड़कर मरने से अच्छा है कि एक रात यहां रूक कर अपने आप को इस भूतिया बंगले से बचाओ"

दीपक " ऐ पागल हो गया है पैसों के लालच में"
तभी भरत दीपक कंधा पकड़ कर जतिन की तरफ इशारा करता है तब राहुल, दीपक और भरत देखते हैं कि जतिन हवा में होता है यह देखकर तीनों डर जाते हैं ।

जतिन थोड़ी देर हवा में होता है और राहुल जतिन से जतिन जतिन कहकर पुकारता है ।

तब जतिन आँख खुलती हैं जो की पूरी काली हो चुकी हैं यह देख दीपक और भरत डर कर पीछे हटजाते हैं और राहुल जतिन की तरफ बढता है। जैसे ही वो जतिन के पास पहुंचता है तो जतिन नीचे गिर जाता है और दो हाथ पैरों के सहारे जानवर की तरह बंगले में कही अंदर चला जाता है।

दीपक " अब क्या करें अब तो हमारा मरना तय है "
राहुल" हम बच सकते हैं बस यहां किसी भी चीज को वास्तविक और यहां होने वाली घटना को नकार दो"

दीपक " कैसे कह सकते हो तुम "
राहुल " यहां आने से पहले मै इसके बारे में जानकर आया था किसी ने यहां रहकर एक वीडियो बनाई थी और वो यहां जिंदा भी बहार जा सका और उसने यही बताया जो मैने तुमसे कहा ।"

तभी जतिन की रोने की आवाज आती है वो जोर जोर से रोता है तभी दीपक कहता है " हमें उसको ढूंढना चाहिए वो तखलीफ में वो यहां हमारे भरोसे आया है वो हमसे छोटा है।"
तभी राहुल मुह पर उंगली रख कर सबको चुप रहने के लिऐ कहता है " श्शश"

जतिन की रोने की आवाज बंद हो जाती है इतने में राहुल कहता है " देखा मैंने कहा था आवाज पर ध्यान नहीं दिया तो आना बंद हो गई"
राहुल, दीपक और भरत वापस उस रूम में चले जाते हैं जहां वो सो रहे थे।

किसी को नीद नहीं आती वो घबराहे हुऐ होते है अब दो बज चुके थे राहुल कहता है अब बस तीन घण्टे और फिर सारी प्रोब्लम खतम।

आधा घंटा बीतने के बाद रूम का दरवाजा कोई खटखटाता है तो दीपक कहता है " सायद जतिन हो"

राहुल कहता है " कोई नही है बहार , बिल्कुल शांत हो जाओ देखो ये भी वहम दूर हो जाऐगा।

जतिन बहार दीपक का नाम लेकर कहता है " ऐ दीपक तुझे तो मैं अपना बढा भाई मानता हूँ और तूने हमेशा मेरा खयाल रखा है, ऐ जल्दी दरवाजा खोल मेरे हाथ में बहुत दर्द हो रहा है " और वो गेट के पास रोते हुऐ दर्द भरी आवाज निकालता है " आ,आ आ.....
जतिन " मुझे बचाले दीपक मुझे बचा ले दीपक" ये आवाज धीरे धीरे कम हो जाती है।

राहुल " देखा मैने कहा था न अब सिर्फ दो घंटे रह गये है।

तभी जतिन की आवाज काफी तेज चीखने की आती है जेसे की कोई उसे तड़पा तड़पा के मार रहा हो।

अब दीपक पर रहा नहीं जाता और वो गेट खोल देता है और गेट खोलने के बाद वो उधर की तरफ जाने लगता जहां से जतिन की आवाज आ रही थी।

भरत और राहुल भी उसके पीछे पीछे जाते हैं और वहां पहले दीपक पहूंच जाता है और उसके चीखने की आवाज भरत और राहुल को सुनाई देती है और वो तेजी से वहां पहुंचते हैं।

दीपक जतिन को देखकर चिल्लाया था क्योंकि तब जतिन अपने जले हुऐ हाथ को आरी से धीरे धीरे काट रहा होता है।

जतिन रोते हुऐ " दीपक मुझे पता तुम आओगे मेरे भाई ये मेरा हाथ बहुत दर्द कर रहा था तो मैने इसे काट दिया ।"

भरत और राहुल की नजर जतिन के कटे हाथ पर पढती है तो वो देखकर डर जाते हैं क्योंकि उस कटे हाथ की उंगलियां हिल रही थी जिस्से एक अजीब आवाज निकलती रही होती है।
राहुल पहली दफा यह देखकर बहुत डर जाता है और वो वहां से भागता है वो बंगले के गेट पर आकर चिल्लाता है " कोई खोलो भाई कोई खोलो इस गेट को "

राहुल को अपने कंधे पर हाथ रखने का अनुभव होता है और वो जब उस हाथ को पकड़ कर उसकी तरफ देखता है तो वो जतिन का कटा हुआ हाथ था।

वो डर जाता है और उस हाथ को अपने कंधे से फेंक देता है।

वो हाथ नीचे गिरने के बाद राहुल की तरफ बढता है और राहुल गेट को तोड़ने की कोसिस करता है लेकिन तोड़ नहीं पाता और वो जैसे ही पीछे हाथ को देखता वो वहां नही होता और उसे अनुभव होता है के उसके सीने पर वो हाथ है और राहुल नीचे गिर जाता है।

और वो हाथ राहुल के सीने को चीर कर अंदर घुसकर उसके दिल को बहार कर देता है।
राहुल की मौत हो जाती है,तभी भरत, दीपक जतिन को लेकर बंगले की छत पर जाते हैं।

छत पर पहुंचते ही वो वहां बंगले से बहार निकलने का रास्ता बनाते हैं तव उन्हें एक रस्सी नजर आती है और दीपक उस रस्सी को लेकर बांध देता है और उसका दूसरा छोर नीचे डाल देता है अब वो भरत से नीचे उतरने की कहता है।

भरत नीचे उतरता है उसके उतरने के बाद वो जतिन को नीचे उतारता है और फिर वो भी नीचे उतर आता है।

जादा अंधेरा होने की वजह से ऊपर से नीचे कुछ दिखा नहीं लेकिन जब दीपक और जतिन नीचे आये तो उन्हें भरत दिखा ही नहीं ।

जब उनकी नजर ऊपर जाती है तो भरत ऊपर था वो बार बार नीचे आने की कोसिस करता लेकिन वो नहीं आ पाता और पीछे से राहुल आता है और अपने दोनों हाथों से भरत की गरदन अलग कर देता है ।

दीपक और जतिन वहां से निकलने लगते हैं और पीछे देखते हैं राहुल छत पर उन्हें देख रहा होता है और भरत बिना गरदन के खड़ा होता है ।

दीपक को सायद उसकी अच्छाई ने बचाया होगा और जतिन को दीपक के प्यार ने वो लोग बंगले से वापस आ जाते हैं।


...............ललित राज ✍️................