Huf Print - 8 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | हूफ प्रिंट - 8

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हूफ प्रिंट - 8

हूफ प्रिंट

Chapter 8

पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपने अपने पक्ष की दलील पेश की थी। आज उन्हें गवाह पेश करने व उनसे सवाल जवाब करने थे।

जज कार्तिक रंगनाथ ने कोर्ट की कार्यवाही आरंभ करने को कहा।

अभियोग पक्ष की वकील संजना बलसावर ने जज से अनुमति मांगते हुए कहा,

"योर ऑनर आज मैं अभियुक्त श्री मानस भगनानी से चंद सवाल करना चाहूँगी।"

इजाज़त मिलने पर संजना मानस के पास जाकर बोली,

"मानस जी कॉल रिकॉर्ड्स से यह तो तय हो गया कि अपने स्टड फार्म जाने से एक रात पहले आपकी मृतक मिलिंद तलपड़े से लंबी बात हुई थी। क्या आप कोर्ट को बता सकते हैं कि आपके बीच इतनी देर तक क्या बात हुई थी ? कत्ल से कुछ दिनों पहले आपके और मृतक के बीच कई फोन कॉल हुए। ऐसा क्यों ? आपने ही मृतक मिलिंद तलपड़े को उस जगह पर मिलने बुलाया था। मैं चाहूँगी कि आप माननीय कोर्ट को सब सच विस्तार से बताएं।"

संजना वापस अपनी जगह पर जाकर मानस के जवाब की राह देखने लगी।

मानस ने आकाशदीप की तरफ देखा। उसने आँखों ही आँखों में उसे आश्वासन दिया कि सब सच बता दे। मानस कुछ देर चुप रहा फिर जज कार्तिक रंगनाथ की तरफ देखकर बोला,

"मैंने ही मिलिंद तलपड़े को उस जगह पर मिलने बुलाया था। मेरे और मिलिंद के बीच पिछले कुछ समय से फोन पर बात हो रही थी।‌ स्टड फार्म पर जाने से पहले भी हमारी बात हुई थी।"

मानस ने कोर्ट में वो सारी बातें बता दीं जो उसने आकाशदीप को बताई थीं। सारी बात सुनकर कोर्ट में उपस्थित लोगों के बीच एक हलचल सी मची।

जज कार्तिक ने आर्डर आर्डर कह कर कोर्ट को व्यवस्थित किया।

संजना अपनी जगह से उठीं और बोली,

"योर ऑनर श्री मानस भगनानी ने जो कुछ भी इस कोर्ट को बताया उससे यह केस आइने की तरह साफ हो गया है। मृतक मिलिंद तलपड़े इन्हें ब्लैकमेल कर रहा था। उसने एक करोड़ रुपए की मांग की थी।"

संजना ने मानस की तरफ इशारा कर कहा,

"इनकी इज्जत दांव पर थी। एक करोड़ कोई मामूली रकम नहीं होती है। इन्हें गुस्सा आ गया। वहाँ आसपास कोई नहीं था। श्री मानस भगनानी ने पास पड़ा एक गोल पत्थर उठाया। उससे मिलिंद के सर के पीछे ज़ोर से वार किया। क्योंकी इन्होंने राइडिंग ग्लोव्स पहने थे। इसलिए इनकी उंगलियों के निशान नहीं आए। मिलिंद की मृत्यु हो जाने पर उसका शव घसीट कर तालाब तक ले गए और उसमें फेंक दिया।"

वह फिर जज कार्तिक की तरफ घूम कर बोली,

"श्री मानस भगनानी के पास कत्ल की ठोस वजह भी थी और कत्ल करने का मौका भी। दैट्स आल योर ऑनर।"

अपनी बात कह कर संजना अपनी जगह पर जाकर बैठ गई।

अब बारी थी आकाशदीप की। वह अपनी जगह से उठ कर ठीक जज के सामने जाकर खड़ा हो गया।

"योर ऑनर....प्रासीक्यूटर संजना जी ने बिल्कुल सही कहा कि मेरे क्लाइंट मानस ने जो कुछ बताया उससे कत्ल का मोटिव साफ हो जाता है। ये भी सही है कि मेरे क्लाइंट के पास कत्ल करने का पूरा मौका था। इसलिए इन पर कत्ल का इल्ज़ाम आसानी से लगाया जा सकता है।"

आकाशदीप संजना की तरफ देखकर बोला,

"योर ऑनर...मेरे क्लाइंट की साफगोई ही उनके बेगुनाह होने का सबूत है। वो बेगुनाह हैं इसलिए उन्होंने कोर्ट को सब कुछ खुल कर बता दिया।"

संजना ने आकाशदीप की बात का जवाब देते हुए कहा,

"योर ऑनर श्री मानस ने सब कुछ इसलिए बता दिया कि उनके पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं था। अगर ये झूठ बोलते तो भी कोर्ट के सामने सच आ ही जाता। तब इनके लिए और अधिक मुश्किल खड़ी हो जाती। दरअसल ये शुरू से ही जानते हैं कि इनका केस कमज़ोर है। सारे सबूत इनके खिलाफ हैं।"

"योर ऑनर मेरे क्लाइंट मानस के खिलाफ केवल एक ही बात है कि कत्ल के संभावित समय के आसपास ये कत्ल वाली जगह पर मिलिंद से मिले थे। पर मेरे पास कुछ सबूत हैं जो ये साबित करते हैं कि उसी समय कत्ल वाली जगह मेरे क्लाइंट के अलावा भी कोई और था।"

आकाशदीप ने अरमान की तरफ इशारा करते हुए कहा,

"मैं ऑनरेबल कोर्ट से प्रसिद्ध टीवी कलाकार अरमान बिजलानी से चंद सवाल करने की अनुमति चाहता हूँ।"

अरमान विटनेस बॉक्स में आ गया। मनीषा आज कोर्ट में उपस्थित थी। उसे पता था कि आकाशदीप ने उसे समन भिजवाया है।

आकाशदीप ने एक रिपोर्ट जज कार्तिक को पेश कर उससे सवाल किया,

"अरमान तुम्हारे फोन कॉल्स के रिकॉर्ड से पता चला कि तुम्हारे और मिलिंद के बीच उसी रात बात हुई थी जब मिलिंद ने मेरे क्लाइंट मानस को फोन किया था। बल्कि मानस से पहले आप से बात हुई थी।"

"जी मेरी मिलिंद से बात हुई थी।"

"आप मिलिंद को जानते थे ?"

"हाँ वो मेरा डिज़ाइनर था।"

"उस रात आपकी क्या बात हुई थी ?"

"एक ईवेंट के लिए वह मेरी ड्रेस डिजाइन कर रहा था। उसी संबंध में बात हुई थी।"

"आप कत्ल वाले दिन उस जगह पर क्या कर रहे थे ?"

सवाल सुनकर अरमान परेशान हो गया। आकाशदीप ने जज कार्तिक से कहा,

"योर ऑनर आपके पास जो रिपोर्ट है उसके अनुसार कत्ल के समय अरमान की मोबाइल लोकेशन उसी जगह पाई गई थी जहाँ मिलिंद का कत्ल हुआ। उसके बाद इनका फोन स्विच ऑफ हो गया जो अभी तक ऑन नहीं हुआ है।"

वह अरमान को देखकर बोला,

"बताइए आप कत्ल वाली जगह पर क्या कर रहे थे ?"

अरमान के चेहरे पर घबराहट साफ देखी जा सकती थी।

आकाशदीप ने अपना सवाल दोहराया। अरमान ने कोई जवाब नहीं दिया।

"अरमान आप कत्ल वाले दिन उस जगह पर क्या कर रहे थे ? उसके बाद से आपका फोन स्विच ऑफ क्यों है ?"

अरमान के लिए जवाब देना आवश्यक हो गया था। उसने कोर्ट को कत्ल वाली जगह होने का कारण बताया।

"सर मेरा फोन चोरी हो गया था। मैं नहीं जानता किसने चुराया।‌ पर वही चोर मेरा फोन वहाँ लेकर गया होगा।"

"आपने अपना फोन चोरी होने की कोई रिपोर्ट नहीं लिखाई। मैंने इस बारे में पता किया है। आपका फोन चोरी हो जाता है और आप रिपोर्ट भी नहीं सिखाते हैं। बड़े आश्चर्य की बात है। ना ही आपने अपना नंबर बंद करवाया।"

आकाशदीप के सवाल अरमान के लिए परेशानी पैदा कर रहे थे। उसके चेहरे पर उसकी घबराहट साफ झलक रही थी। संजना भी इस बात को महसूस कर रही थी। उसके पास कहने को कुछ नहीं था।

आकाशदीप ने अरमान को चेताया।

"चुप रहने से काम नहीं चलेगा। आपको बताना होगा।"

अरमान के लिए अब पूरी बात बताना आवश्यक हो गया था। उसने कोर्ट को के सामने सच बताया।

"दरअसल उस रात मिलिंद से बात करने के बाद मैं होटल हैवेन गया था। वहाँ मेरा रूम बुक था।"

"वहाँ आप क्या करने गए थे ?"

अरमान ने मनीषा की तरफ देखा। वह उत्सुकता से उसकी ओर देख रही थी। अरमान ने अपनी नज़रें झुका लीं। उसके बाद जज कार्तिक की तरफ देख कर बोला,

"मैं कभी कभी किसी प्रॉस्टिट्यूट को वहाँ बुलाता था। उस रात भी बुलाया था। एक ऐजेंसी है। मेरे कहने पर वो लोग अपनी किसी लड़की को वहाँ भेज देते थे। उस रात जो लड़की मेरे साथ थी उसका नाम दीपिका था।"

"ओह...पर इसका फोन चोरी होने की रिपोर्ट ना लिखाने से क्या संबंध है ?"

"मैं और दीपिका देर रात तक पीते रहे। उसके बाद हमने...."

अरमान कहते हुए रुक गया। उसने कनखियों से मनीषा की तरफ देखा। उसके चेहरे पर गुस्सा झलक रहा था।

आकाशदीप ने कहा,

"आगे बताइए क्या हुआ ?"

"मैं जब सुबह उठा तो दीपिका नहीं थी। मैंने बेल ब्वॉय से पूँछा।‌ उसने बताया कि दीपिका देर रात ही चली गई थी। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने अपना वॉलेट देखा। वह वहीं था। सारे पैसे, कार्ड सब कुछ था। पर मेरा मोबाइल गायब था।"

"तो आपके हिसाब से दीपिका आपका मोबाइल चुरा ले गई।"

"हाँ...."

"आपने उस ऐजेंसी से शिकायत नहीं की।"

"की थी। पर उनका कहना था कि वो लड़कियां परमानेंट नहीं होती हैं। वो कस्टमर से पैसे लेने के बाद दलाल को पता बता देते हैं। वह किसी लड़की से संपर्क कर उसे कस्टमर के पास भेज देता है। सबको उनका पैसा मिल जाता है। किसी का किसी से कोई संपर्क नहीं रहता है।"

"आपके फोन में ऐसा क्या था जो वह फोन चुरा कर ले गई ?"

"मैं नहीं जानता कि उसने ऐसा क्यों किया। हो सकता है कि किसी ने उससे ऐसा करने को कहा हो। मैंने पुलिस से शिकायत नहीं की। मुझे डर था कि प्रास्टीट्यूट वाली बात बाहर आ जाती।"

मनीषा के लिए यह सब सुन पाना मुश्किल हो रहा था। चार साल से दोनों एक दूसरे के साथ थे। मनीषा उसे अपनी हर बात बताती थी। उसके लिए अपने भाई से भी लड़ी थी। लेकिन अरमान उसकी पीठ के पीछे ये सब करता था।

उसके लिए वहाँ रहना बर्दाश्त के बाहर हो गया। वह उठ कर कोर्ट रूम से निकल गई।

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