ऐ वीरो जागो..
घनघोर घटाए छाई हुई है ।
दीप कहीं भी नजर ना आए ।।
जागो ऐ वीरो जागो तुम फिर।
आपदा है बड़ी सीरत में आई।।
बलिदान तुम्हारी है धरती मांगे।
देखो भीषण एक रण है आगे।।
लडो शत्रु का संहार करो तुम।
मिट्टी अपनों का मान रखो तुम।।
अगर धरती जो शहीदी मांगे है।
सबसे आगे ही आगे बढ़ो तुम।।
हल्दीघाटी सुमासन हो गई।
चेतक सा तूफान मचाओ।।
हे वीरो सब तुम धनुर धर लो ।
तुनिर में सारे तीर सजा लो।।
ये एक धर्मयुद्ध है हम सबका।
मिटो मिटाओ शान बचाओ।।
दिल में जीत की आग जालाओ।
वीर हो तुम सारे शस्त्र सजाओ।।
वीर शिवाजी के वंशज हो तुम।
महाराणा के भाले क्षत्रप हो तुम।।
पोरस का पराक्रम दिखलादो।
राणा सांगा के शेर बतलादो।।
पृथ्वीराज का धनुष्यबान हो तुम।
राजपूतों की शौर्य शान हो तुम।।
हे.. वीरो तुम वो रंग दिखलादो।
भगवा ही है तुम शोर्य बतलादो ।।
सोने की चिडिय़ा था देश हमारा।
उसको उसकी पहचान दिलाओ ।।
मलिन किया है मां गंगा आंचल।
उसको उज्जवल कर दिखाओ।।
आंखे सिर्फ दुश्मन को झांके।
गर्दन उसकी तेरे पांव के आगे।।
की है खंडित कश्मीर की घाटी।
मस्तक धड उनके काट के लाओ।।
विजयपथ को है राह तुम्हारी।
सांस में हर महादेव भर जाओ।।
जन्म भूमि का ऋण है तुम पर।
हे. वीरो अपना कर्ज चुकाओ ।।
जागो ऐ वीरो जागो तुम फिर।
आपदा है बड़ी सीरत में आई।। ....
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जरूर..!!!
हालात बदल जाए तब मैं आऊंगा जरूर।
तेरे मुस्कुराने की वजह बन जाऊंगा जरूर।।
दिल थाम के तू बैठ भी जाना मेरे यार।
तेरे दर्द को मिटाने मै आऊंगा जरूर ।।
आंखे बंद करके याद कर लेना मुझे।
तेरे ही दामन से जुड़ जाऊंगा जरूर।।
कोई आसमानी परिंदा तो नहीं हूं मै भी।
पर आश रख मै एक दिन आऊंगा जरूर।।
तेरे नम आंखो की जद में मेरा नाम नहीं।
मेरे चहेरे का आइना बन जाऊंगा जरूर ।।
क्यों खुद को लुटाया था किसी के खातिर??
तेरे जीने की वजह मै बन जाऊंगा जरूर।।
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तुम भी।
कभी पास आकर बैठ जाओ तुम भी।
ठेर सारी बाते बतलाएंगे तुम को भी ।।
एक अधूरी कहानी का उपन्यास हो।
मिल के सुनाएंगे सारी कहानी भी ।।
वक्त हमने भी गुजरा है तन्हा दोर में।
यादे सारी कह के जाएंगे तुम्हें भी ।।
चांदनी चमकती है और दीन तारे भी।
हाल हम सुना जाएंगे मौसम का भी ।।
फूल सारे दिखते हैं तुम को खिले।
बिन तुम्हारे गुज़रे वो पतझड़ से भी।।
यूं तुमने तोड़े हमारे घरोंदे बहुत ।
सपनो का महल फिर बनाएंगे भी।।
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हूं मैं..
तुम्हे देखकर मन ही मन मुस्कुराता हूं मै।
क्या वजह है वही रास्ते में रुक जाता हूं मैं।।
ग़ज़लें और गीत हर घड़ी गुनगुनाता हूं मै।
तेरी यादों में अक्षर बेसुध हो जाता हूं मै।।
तेरी खामोशियों में खुद को उलझता हूं मै।
मीठे अल्फाजों से भी नहीं चेन पाता हूं मै।।
कुछ दुस्वारिया भी है सबके के जीवन में।
पर वक्त बेवक्त क्यों ?? सजा पाता हूं मै।।
खुशियां अमन चेन की चाह किसे नहीं है!?
"बेनाम" बदनामी ही मेरे हिस्से पाता हूं मै।।
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By.
.... ✍️ Bhargav Joshi