unknown connection - 31 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 31

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अनजान रीश्ता - 31

पारुल अपने घर का दरवाजा धीरे से चाबी से खोलते हुए घर में पहुंचती है। हॉल और किचेन कि लाइट बंद थी मतलब उसके माता पिता दोनों ही सो गए थे । यह बात पारुल अच्छे से जानती थी वह धीरे धीरे अपने कमरे की ओर पहुंचती है । वह अपने रूम का दरवाजा खोलते हुए धीरे से बंद करते हुए अपने रूम की लाइट ऑन करती है । वह सीधे अपने बेड पर जाके सो जाती है । वह यूंही अपने रूम की छत को देखते हुए वह आज जो भी हुआ उसके बारे में सोच रही थी । वह बस ऐसे ही टेबल लैंप को चालू बंद करते हुए सोच रही थी । उसके दिमाग में अविनाश के साथ बिताए सारे पल एक चलचित्र कि तरह सामने आ रहे थे । न चाहते हुए भी पारुल के चहेरे पे एक मुस्कुराहट आ जाती हैं । जिससे वह लाइट को ऑन करते हुए बेड पे बैठ जाती हैं । वह सोच रही होती हैं की उसके साथ ये क्या हो रहा है । वह पागलों के जैसी हरकतें क्यों कर रही हैं । फिर उसके दिमाग में अविनाश जब उसे बिना जवाब दिए चला गया वह चलचित्र सामने आता है । जिससे पारुल के दिल में किसी ने खंजर चुभा दिया हो एसा दर्द हुआ हो एसा उसे लग रहा था । वह अपने बालो को दोनों हाथ में पकड़ते हुए व्याकुल होते हुए सोचती हैं कि ये हो क्या रहा है । एक पल वह खुश होती हैं तो दूसरे ही पल दुखी । आखिर हो क्या रहा है उसे । पर कोई जवाब नहीं मिलता उसे जिस वजह से वह और भी व्याकुल हो जाती हैं । वह फिर लाइट चालू बंद करते हुए अपने रूम की दीवाल की दीवार की बिना कुछ सोचे यूंही देख रही होती हैं । तभी उसके दरवाजे पे नोक की आवाज आती हैं । जिससे वह ख्याल में से बहार आती हैं । " पारुल तुम गई क्या " पारुल के पापा उसे कहते है । पारुल तभी बेड पे बैठे हुए कहती हैं -" जी पापा " । तभी पारुल के पिता उसके कमरे में आते है। पारुल उनकी और देखते हुए मुस्कुराती है । उनके पिताजी मुस्कुराते हुए पारुल के पास बैठते हुए कहते है ।


किरीट: क्या बात है आज हमारा चांद इतनी गहरी सोच में क्यों है ?


पारुल: एसा कुछ नहीं है डेड में तो बस यूंही सोच रही थी ।


किरीट: हा तो मै भी वही कह रहा हूं कि ऐसी कौन-सी बात है । जो हमारे चांद को इतना परेशान कर रही हैं कि वह इतनी गहरी सोच में है ।


पारुल: कुछ नहीं डेड मुझे खुद ही समझ नहीं आ रहा की में एसा क्यों महसूस कर रही हूं । कभी मै खुश होती हूं तो कभी गुस्सा तो कभी दुखी ।
किरीट: ( मुस्कुराते हुए पारुल की ओर देखते हुए ) कौन है वो ?
पारुल: ( पापा की ओर देखते हुए ) हन!! क्या मतलब डेड ।
किरीट: मतलब यह की नाम क्या हैं उसका ?
पारुल: ( अपने पापा की ओर चोकते हुए देखते हुए ) आपको कैसे पता चला की मै किसी के बारे मै सोच रही हूं?
किरीट: ( मुस्कुराते हुए ) चांद पिता है हम तुम्हारे और तुम्हे देखते ही बता सकते है कि क्या चल रहा है । अब बताओ??
पारुल: ( अपने पिता की ओर देखते हुए ) कुछ नहीं पापा बस एक दोस्त हैं । कभी मुझसे मुस्कुरा के बात करता है तो कभी मुझसे बिना बात के गुस्सा हो जाता है ।
किरीट: तो फिर उससे पूछ लो की क्या उलझन हैं । क्योंकि ऐसे बैठे बैठे तो कुछ सुलझने वाला नहीं है । तो उससे ही बात कर लो ।
पारुल: बात तो सही है आपकी पापा पर वह मुझसे बात करेगा भी या नहीं ? । क्योंकि हम दोनों ज्यादा नहीं जानते एक दूसरे को । तो शायद वह मुझे पसंद ना भी करे ।
किरीट: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाआहाहा!!! चांद कितनी मासूम हो तुम । पता नहीं क्या होगा तुम्हारा । अरे!! बिना बात के इतना परेशान क्यों हो रही हो । पहले बात तो करो उससे आगे जो होगा वो देखा जाएगा । और भला इतनी किसमे हिम्मत है जो हमारे चांद को पसंद ना करे ।
पारुल: ( मुस्कुराते हुए अपने पिता की ओर देखते हुए ) सही कह रहे है आप । मैं बेकार में ही इतना सोच रही हूं । थैंक यू डेड ।
किरीट: ( मुस्कुराते हुए ) और बताओ चांद कैसा गया आज का दिन तुम्हारा ?
पारुल: ( बड़ी सी मुस्कान देते हुए ) बहोत बहोत अच्छा ।
किरीट: ( जोर जोर से हंसते हुए ) आहाहाहाहा!!! हा वो तो तुम्हे देखकर लग ही रहा है ।
पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) और आप अभी तक क्यों जाग रहे है ? सुबह ऑफिस भी तो जाना होगा ? और फिर आपका सिर दर्द करेगा अगर आपकी नींद पूरी नहीं होगी तो ।
किरीट: ( मुस्कुराते हुए ) चांद सांस भी तो ले लो । एक साथ इतने सवाल । मै सोने ही जा रहा था कि तुम्हारे रूम की लाइट चालू थी और तुम्हे पता तो है । जब तक हम हमारे चांद को ना देख ले हमें नींद नहीं आती ।
पारुल: पापा !! मै अब छोटी बच्ची नहीं हूं जो आप इतनी चिंता कर रहे हैं । मै ख्याल रख सकती हूं खुद का । फिर क्यों बेकार में परेशान करते हैं खुद को ।
किरीट: ( पारुल के हाथ पर हाथ रखते हुए ) चांद तुम चाहे कितनी भी बड़ी हो जाओ । मेरे लिए तो तुम वहीं छोटी बच्ची हो जो झूठ मूठ चोट लगने का नाटक करते हुए आइस्क्रीम के लिए परेशान करती थी मुझे ।
पारुल: पापा!!! तब मै छोटी बच्ची थी। और में कभी झूठ मूठ का नाटक नहीं करती थी । सच में मुझे चोट लगती थी तभी मै आइस्क्रीम की जिद करती थी ।
किरीट: ( जोर जोर से हंसते हुए ) आहाहाहा!!! ठीक है जैसा तुम कहो । चलो अब रात बहुत हो गई है तुम सो जाओ। मै भी जाता हूं वर्ना तुम्हारी मोम सोचेगी मै कहा गायब हो गया । जो पानी की बोतल लाने में इतनी देर लगा दी ।
पारुल: ( मुस्कुराते हुए ) गुडनाईट डेड ।
किरीट: ( पारुल के सिर को किस करते हुए) गुडनाईट चांद।

पारुल की रूम की लाइट बंद करते हुए । उसके पिता धीरे से उसके कमरे का दरवाजा बंद करते है। पारुल अपने पिता के जाने के तुरंत बाद ही अपना फोन ऑन करती हैं । और जैसे ही वह कॉन्टेक्ट लिस्ट में देखती हैं तो मिस्टर हेंडसम करते हुए अविनाश का नंबर उसके सामने था । तभी अविनाश ने जिस तरह से उसका फोन पारुल के हाथ में से छीन लिया था । और पारुल से कह रहा था - " प्रिंसेस मेरा नंबर तुम्हारी लिस्ट में नम्बर वन पर होना चाहिए एंड वो बहोत जल्द होगा फिलहाल तुम मुझे मिस्टर हैंडसम के नाम से ही रखो " पारुल वह घटना को याद करते हुए उसके चहेरे पे मुस्कान आ जाती हैं । वह यूंही उसके नम्बर को देखते हुए सोचती है कि वह कोल करे या ना करे । फिर वह टाइम देखती हैं तो रात के एक बजे थे । शायद वह सो गया होगा यह सोचते हुए वह सुबह कोल करेगी एसा सोचते हुए मोबाईल बंद करने वाली होती हैं । कि गलती से अविनाश के नंबर पर क्लिक कर देती हैं । जिससे पारुल बौखला जाती हैं । क्योंकि अविनाश के नम्बर पर कोल लग गया था । करे तो क्या करे वह अब । खुद को संभालते हुए जब सामने से आवाज आती हैं "- हैलो हैलो " । तभी पारुल बिना कुछ कहे कोल काट देती हैं ।