jyako rakhe saaiya - 2 in Hindi Horror Stories by योगेश जोजारे books and stories PDF | ज्याँकों राँखें साईंयाँ.. भाग 2

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ज्याँकों राँखें साईंयाँ.. भाग 2

क्यों कि
उस चमकती हुई बिजली में युवी ने जो देखा, उसकी एक झलक ही इतनी क्रूर , भयंकर,डरावनी थी. शायद यह आंखों का धोका या बुद्धि का भ्रम हों, यह सोचकर युवी ने आंखे बंद की सच्चे मन से बाबा को आवाज लगाई और जोर से
"जय साईंनाथ" का जयकारा लगाते हुए मोबाइल टॉर्च को उस दिशा में घुमाया. पर ये क्या... फिर वही दृष्य.
एक अधनंगा ईन्सान एक के पेड से उल्टा लटक कर झूल रहा था, चमगादड़ की तरह. उसका सर ऊपर लटके पैरो के बीच एक टहनी पर थी. और उल्टे लटके हुए धड़ से खून पानी की तरह बह रहा था. पेट से अंतड़िया बाहर आकर छाती तक उल्टी दिशा में लटक रहि थी. लग रहा था जैसे कोई बकरा काट कर उल्टा टांग दिया हो. मोबाईल की टोर्च जैसे ही उस पर पड़ी, टहनी पर की कटी मुंडी की आंखें खुली, बैल जैसी मोटी, लाल बून्द डरावनी आँखे खोलकर वो युवी कि तरफ देखकर जोर जोर से हसने लगा. हाह~~~हाह~~~हाह~~~
उसका उलटा लटकता शरीर और भी तेजी से झूलने लगा.
युवी ये सब देखकर बहुत घबराया.
युवीने अपनी आंखें बंद कर ली साईंबाबा की शांत,मंद मुस्कान वाली मनमोहक मूर्ती को अपने अंतरमन में देखने लगा.
और मन ही मन प्रार्थना करता हुवा बोला "बाबा रक्षा करना" यह कहते हुये युवी आँखे खोलने लगा. औऱ देखा के सामने अब कुछ न था. वह लम्बे कदम डालते हुये मंदिर की और बढ़ने लगा, अचानक उसका पैर फिसला ओर वह मुह के बल गिर पड़ा. जैसेतैसे उठ कर युवी खड़ा ही हुवा के सामने वह बला, दुरात्मा पिशाच्च फिर दिखा, युवी से कुछ कदमों की ही दूरी पर वो सर कटा पिशाच्च सामने ही खड़ा था. पेट की आते नीचे पैरो की तरफ लटक रही थी, उसका कटा सर गर्दन से एक फिट ऊपर था वह जोर जोर से हस रहा था "हाह~~~हाह~~~हाह~~~
आज मैं तुझे कच्चा चबा जाऊंगा,बहोत दिनों बाद कोई मिला है, अब तू जिंदा नही बचेगा,मैं तुझे आगे नही जाने दूंगा,यही खत्म कर दूंगा.. "आ~~ हा.. हा.. हा.."
लंबे नाखुनो वाला उस पिशाच्च का एक हाथ युवी की औऱ बढ़ने लगा.
युवी के प्राण गले तक आ गये , वो डर कर पीछे हटने लगा. पिछे पेड़ था उस कारण युवी जगह पर ही रुक गया.
डर के मारे युवी की धड़कन चार गुना तेज हो गयी, सर से लेक पैर तक सारा बदन पसीने से गीला हो गया. मृत्यु निश्चित हैं यह वो जान गया. मरता क्या ना करता. हिम्मत जुटा कर युवी ने नीचे से एक हाथ मे बड़ा पत्थऱ उठाया और उस पिशाच के खोपड़ी की ओर जोर से दे मारा.
उस टॉर्च के मन्द उजले में भी उसका निशाना सही लगा औऱ उस पिशाच की खोपड़ी बाजू में जा गिरी.
वो देख युवी तेजीसे साईं मन्दिर की ओर दौड़ पड़ा,मुख में साईनाम अखण्ड चल रहा था. थोड़ी ही दूर फिर उस क्रूर पिशाच्च की भयानक खोपड़ी, दो फिट के अंतर पर ठीक युवी के चेहरे के सामने आ धमकी. जिस पर पत्थर के ताजे घाव से खून बह रहा था. वह खून से भरा खूनी चेहरा और भी भयानक दिख रहा था,मुँहा से लंबी जुबान बाहर निकाल के वो अपनेही भद्दे चेहरे पर लगें खून को चाट कर साफ कर रहा था. यह नजारा देख युवी ने अपनी नजर दूसरी ओर हटाई. उसे सामने मन्दिर दिखाई पड़ रहा था, ऊपर लाईट का उजाला भी साफ दिख रहा था. तभी सामने खड़े पिशाच्च की खोपड़ी ने अपना मुह खोल कर बड़ा कर दिया, वह युवी को निगलने ही वाला के तभि युवी का हाथ......!