Huf Print - 4 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | हूफ प्रिंट - 4

Featured Books
  • तमस ज्योति - 51

    प्रकरण - ५१मेरे मम्मी पापा अब हमारे साथ अहमदाबाद में रहने आ...

  • Lash ki Surat

    रात के करीब 12 बजे होंगे उस रात ठण्ड भी अपने चरम पर थी स्ट्र...

  • साथिया - 118

    अक्षत घर आया और तो देखा  हॉल  में ही साधना और अरविंद बैठे हु...

  • तीन दोस्त ( ट्रेलर)

    आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं हम एक नया उपन्यास जिसका...

  • फाइल

    फाइल   "भोला ओ भोला", पता नहीं ये भोला कहाँ मर गया। भोला......

Categories
Share

हूफ प्रिंट - 4

हूफ प्रिंट

Chapter 4

इंस्पेक्टर अर्सलान अपनी एक टीम के साथ हत्या वाली जगह पर पहुँचा। उसने अपनी टीम को हिदायत दी थी कि वह ध्यान से पूरे इलाके को देखें। छोटी से छोटी चीज़ को भी नज़र अंदाज़ ना करें।

जिस जगह वह पत्थर मिला था जिससे मिलिंद के सर पर वार हुआ था, उसके कोई पच्चीस मीटर दूर एक जगह पर बूट के निशान मिले थे। उसके साथ ही घोड़े के खुर का एक निशान भी था।

बूट के निशान मानस के शू साइज़ से मिलते थे। पुलिस के पास मानस को घेरने के लिए पर्याप्त सबूत थे।

एसपी नताशा सबूतों के आधार पर मानस को गिरफ्तार करने पहुँच गई। मानस ने फौरन अपने वकील आकाशदीप भुल्लर से संपर्क किया। आकाशदीप भुल्लर ने मानस की एंटीसिपेट्री बेल के आधार पर रेग्युलर बेल के लिए अपील की।

एसपी नताशा के पास जो भी सबूत इकट्ठे थे उनके आधार पर मानस के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी।

केस सेशन्स कोर्ट में भेज दिया गया। मानस का केस आकाशदीप के पास था। वकालतनामे पर दस्तखत लेने वह उसके घर गया था। पर उससे पहले उसने मानस से कहा,

"मानस पुरानी कहावत है कि वकील और वैद्य से कुछ छिपाना अपने लिए ही नुकसानदेय होता है। तुमने मुझसे ये बात छिपाई थी कि तुम मिलिंद से मिलने गए थे।"

"मैं मानता हूँ कि मुझसे गलती हो गई। पर मुझ पर यकीन करो कि मैंने मिलिंद को नहीं मारा।"

"बात मेरे यकीन की नहीं है। मुझे कोर्ट को यह यकीन दिलाना है कि पुलिस की चार्जशीट में जो सबूत हैं वो पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए तुम्हारा मुझे अपने और मिलिंद के रिश्ते के बारे ‌में सारा सच बताना आवश्यक है।"

"मैं तुम्हें सारी बात सच सच बता दूँगा। बस तुम मेरा केस ले लो।"

"ठीक है फिर बिना कुछ छिपाए सब सच बताओ।"

मानस ने आकाशदीप को अपनी कहानी बताई।

मिलिंद के पिता ने उससे अपने सारे संबंध तोड़ लिए थे। वह बहुत परेशान था। उसे बड़ी कठिनाई से एक फ्लैट मिला था। जिसे वह दो और लोगों के साथ शेयर करता था।

एक पार्टी में वह मानस से मिला। उसे याद दिलाया कि वो दोनों स्कूल में साथ पढ़े हैं। मानस ने तब अपने बिज़नेस में पैर जमाने शुरू कर दिए थे। उसे सफलता मिल रही थी।

उन दिनों मानस बहुत जल्दी जल्दी अपना पार्टनर बदल रहा था। तब उसके दोस्तों में कुछ ऐसे भी लोग थे जो सेक्स को लेकर अलग अलग तरह के अनुभव करते रहते थे।

मिलिंद का उस पार्टी में होना भी इसी सिलसिले में था। वह पैसों के लिए उन लोगों की ज़रूरतें पूरी करता था जिन्हें उसकी ज़रुरत होती थी।

अपने दोस्तों के कहने पर मानस भी नए अनुभव के लिए तैयार हो गया। उसने मिलिंद से संपर्क किया। मिलिंद तैयार हो गया।

उस दिन पार्टी के बाद दो तीन बार और मानस और मिलिंद साथ आए। लेकिन उन अवसरों पर जगह मिलिंद की बताई हुई थी।

नया अनुभव मानस को अधिक रास नहीं आया। उसने मिलिंद से संपर्क करना बंद कर दिया। मानस उसे भूल कर अपनी नई गर्लफ्रेंड के साथ डेट करने लगा।

एक बार‌वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एक पार्टी में था। वह वॉशरूम से निकल कर अपनी गर्लफ्रेंड के पास जा रहा था तभी मिलिंद उसके सामने आ गया।

"क्या बात है मानस तुम तो मुझे भूल ही गए। मेरे प्यार में क्या कमी थी कि तुम मुझे भूल गए।"

उसकी बात सुनकर मानस सकते में आ गया।

"क्या बकवास कर रहे हो मिलिंद‌ ?"

"मेरा प्यार बकवास नहीं है।‌ मानस आई रियली लव यू। मेरे साथ तुम बहुत खुश रहोगे।"

मिलिंद की बात ने मानस को बहुत परेशान कर दिया था। पर अपने भावों को छिपा कर वह बोला,

"मिलिंद तुम जानते हो कि हमारे बीच क्या था। मैंने तुम्हें उसके लिए पेमेंट भी किया था। नाऊ एवरीथिंग इज ओवर। आइंदा से कभी मेरे रास्ते में मत आना।"

कह कर मानस‌ वहाँ से चला गया। उस घटना के करीब एक महीने बाद मिलिंद ने मानस को फोन किया। मिलिंद ने उससे कहा कि उससे ना मिलना मानस के लिए नुकसानदेय होगा। इसलिए जो जगह वह बता रहा है वहाँ आकर मिले।

मानस उसकी बताई गई जगह पर पहुँचा तो मिलिंद ने उसे जो कुछ दिखाया उसे देखकर उसके होश उड़ गए। मिलिंद के पास उनके बीच बीते अंतरंग पलों की वीडियो रिकॉर्डिंग थी।

अपने सपने को पूरा करने के लिए मिलिंद इसी तरह उन लोगों को ब्लैकमेल करता था जो उसके साथ वक्त बिताते थे। पर मानस के रूप में उसके जाल में सबसे बड़ी मछली फंस गई थी।

मिलिंद ने भी मानस का भरपूर लाभ उठाया। अपने फैशन हाउस का सपना उसने मानस के माध्यम से पूरा कर लिया। मानस उन दिनों सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा था। वह अपने जीवन में किसी तरह का व्यवधान नहीं आने देना चाहता था।

मिलिंद अपने मकसद में कामयाब हो गया तो उसने मानस को वह रिकॉर्डिंग सौंप दी। जिसे उसने तुरंत ही नष्ट कर दिया।

समय बीतने के साथ जब मिलिंद ने दोबारा मानस से संपर्क नहीं किया तो वह भी निश्चिंत हो गया। अपनी ज़िंदगी में रम गया।

श्वेता का आना उसके जीवन में एक स्थाइत्व लाया। उसे लगने लगा कि उसके साथ शादी कर घर बसा लेना ही सही फैसला है।

मानस ने श्वेता को प्रपोज किया। वह भी अब ग्लैमर की उस झूठी दुनिया से ऊब चुकी थी। मानस में उसे एक अच्छा हमसफर दिखाई दिया। दोनों ने एक साथ जीवन बिताने का फैसला कर लिया।

उनके इंगेजमेंट की तारीख तय हो गई। फंक्शन की तैयारियां होने लगीं।

एक दिन मानस के पास मिलिंद का कॉल आया। मानस ने फोन उठाया तो मिलिंद ने उसे मुबारकबाद देते हुए कहा,

"नई शुरुआत मुबारक हो।"

उसकी बात सुनकर मानस उत्तेजित हो गया।

"हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मुझे फोन करने की।"

"नाराज़ मत हो। जो हमारे बीच हुआ वह खत्म हो गया। क्यों ना फिर से एक नई शुरुआत करें।"

मानस भड़क गया।

"क्या मतलब है तुम्हारा ?"

"मेरा मतलब है कि मुझे अपनी सेवा का मौका दो। मुझसे अपने फंक्शन के लिए कपड़े डिज़ाइन कराओ।"

"नो थैंक्स.... मुझे इसकी ज़रूरत नहीं। इस दुनिया में कई माने हुए डिज़ाइनर हैं। ज़रूरत होगी तो उनसे करा लूँगा।"

"कैसी बात कर रहे हो ? तुम जानते हो कि मैं एलीट क्लास की पसंद हूँ। फिर सब जानते हैं कि तुमने अदा के शुरू होने में कितनी मदद की है। उसके बदले में इतना तो करने दो।"

मानस सोंच में पड़ गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि मिलिंद को कैसे टाले। मानस ने सोंचा कि उससे कोई ड्रेस डिज़ाइन करा कर छुट्टी पाए। मानस ने एक ड्रेस डिज़ाइन कराने के लिए हाँ कर ‌दी।

कुछ दिनों बाद मिलिंद का उसके पास फोन आया कि वह उसके मेज़रमेंट लेना चाहता है। तब मानस अपने स्टड फार्म पर था। मिलिंद ने पेशकश की कि वह वहीं आकर नाप ले सकता है।

मिलिंद नाप लेने के लिए स्टड फार्म पहुँच गया। पर नाप लेने के बहाने उसने जो करने की कोशिश की वह मानस को पसंद नहीं आई। उसने उसे डांट कर भगा दिया।

अगले दिन मिलिंद का फिर फोन आया। मानस ने उसे फोन पर बुरी तरह लताड़ लगाई। लेकिन मिलिंद पर कोई असर नहीं हुआ। उसने फिर वही पुरानी बात दोहराई कि वह मानस को चाहता है। मानस उसे इस तरह अपनी ज़िंदगी से बाहर ना करे।

मानस परेशान था। उसके हिसाब से जो जिन्न बोतल में बंद हो चुका था वह बाहर खड़ा होकर उसे डरा रहा था। मानस ने सोंचा कि वह समझदारी व धैर्य से इस समस्या का हल निकालेगा। वह जानता था कि यदि मिलिंद यह बात लोगों के सामने ले आया तो बहुत बुरा होगा। श्वेता से उसका रिश्ता टूट‌ जाएगा। समाज में उसका नाम खराब हो जाएगा।

उसने मिलिंद को फोन कर मिलने बुलाया। जब वह पहुँचा तो मानस ने उसे समझाया कि जो वह सोंच रहा है संभव नहीं। वह श्वेता से प्यार करता है। उसके साथ नहीं रह सकता है। इसलिए उसे परेशान ना करे। उसे अपने फैशन हाउस के लिए जो मदद चाहिए वह करने को तैयार है। पर उससे और कोई उम्मीद ना रखे।

मानस ने सोंचा था कि शायद मिलिंद समझ गया होगा। पर वह कुछ नहीं समझा। उसके बाद भी उसे फोन कर वही बात करता था।

इंगेजमेंट से एक रात पहले उसने मानस को फिर फोन किया। मानस ने उसे फिर समझाने की कोशिश की।

लेकिन बातचीत के अंत में मिलिंद ने जो कहा उसने मानस को उससे मिलने पर मजबूर कर दिया।

उसने मिलिंद को अपने स्टड फार्म के पास वाले जंगल में आने को कहा।

मिलिंद ने मानस से कहा था कि उसके पास कुछ ऐसा है जो उसे मुसीबत में डाल सकता है। उसे सारे समाज में बदनाम कर सकता है।

मानस जब मिलिंद से मिला तो उसने बताया कि उसके पास उन रिकॉर्डिंग्स की कापी है जिसके लिए वह पहले पैसे ले चुका था। उसने रिकॉर्डिंग सौंपने से पहले उसकी कॉपी बना ली थी। अब उसे उसके बदले एक करोड़ रुपए चाहिए। नहीं तो वह रिकॉर्डिंग की कॉपी मीडिया को दे देगा।

उसकी बात सुनकर मानस के होश उड़ गए।

*****