meri bhool ka ahsaas in Hindi Poems by SARWAT FATMI books and stories PDF | मेरी भूल का एहसास

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मेरी भूल का एहसास

एहसास

तेरा एहसास हर पल हैं
पर क्यू इस एहसास में भी तूम नहीं हो
साथ थे तो दूर दूर थे
अब दूर दूर हो तो
एहसास में भी नहीं हो
गलती हो तो सुधार लू
पर गलती अगर तूम रहे तो?


होंगी मुलाक़ात तुमसे
तो पूछूंगी आराम से
मेरी भूल थी तुमसे मिलना
या भूलने की वजह तलाशोगे

नहीं चाहिए ऐसी मोहब्बत तुमसे
जिसमे सिर्फ और सिर्फ भूल मेरी रहे

कोशिश तो बहुत किया मैंने
पर अब बस..

मेरा तेरे साथ रहना
तेरे हर दुख में खड़े रहना
तुझे खुशियाँ देना
ये सब मोहब्बत तो थी मेरी
पर शायद तुमने समझा ही नहीं

धोखा देना तो तेरा मुकद्दर बन गया
अब किसी को आजमाने की कोशिश मत करना
टूट कर बिखरना, हर किसी को तो नहीं आता

तेरे पे ऐतबार बेशुमार था
पर शायद तुमने एतबार को समझा ही नहीं

दोस्तों के साथ मेरे भूल को यू
अपने पैरो तले कुचलना
याद कर के भी तुझे कुछ ना बोलना
शायद यही भूल का मज़ाक बन जाना
लोगो के बिच

डर हैं मुझे के कही तेरा वो हस्ता हुआ
चेहरा
कही लोगो के बिच में मुरछा ना जाये

इसलिए तो तेरे हर भूल को भी भुला कर
खुदा से तेरी खुशियाँ मांग लेती हूँ

तेरे अश्क़ को अपने हथेली में फिर से छुपा लू
तेरे चेहरे पर फिर वो खुशियां ला दू
पर शायद तुमने मुझे इस काबिल समझा ही नहीं

बेशक़ जाओ तूम अपने मंज़िल की और
फिर मूड कर ना देखना

तेरी आँखे दूर तक जा कर फिर लौट आएगी
तेरी हर भूल तेरे से छूट जाएगी

मत कर, शायद मैं कह पाती
कभी मौका दिआ ही नहीं

चल कोई नहीं अपनी खुशियो को
युही बरकरार रखना

फिर ना कहना के कभी भूल हुयी थी मुझसे
रास्ते में कभी मिलो तो पास आने की कोशिश
ना करना जनाब

क्यू की शायद मैं ना कह दूँ
मेरी भूल सामने खड़ा हैं
सुन सुन कर तो मैं एक भूल ही बन गयी तेरे लिए

पर ये अल्फाज़ तूम ना सुन पाओगे
भूल

पास थे तो इज़्ज़त समझा ही नहीं
अब दूर हो कर समझ जा

तेरी यही भूल तेरी जिंदगी थी
शायद ये समझने में
तुमने भूल कर दी

तेरे एहसास बन कर रह गयी
जो कभी तूम मेरे लिए हुआ करते थे

अकेले बैठ कर किसी अपने का इंतज़ार करना
अब शायद तेरा मुकदर ना बन जाये

जिंदगी से सिखयात ना करना मेरे दोस्त
जब वो देती हैं तो हम समझते नहीं हैं
और जब समझ आती हैं
तो वो दूर चली जाती हैं

बेसक तूम मिलने आना मुझसे
पर उम्मीद से नहीं

दिल को मजबूत बना लिया हैं मैंने
रोया हैं दिल मेरा बहुत बार

अब अपने हाले दिल किस को सुनाऊँगी
इसलिए अपने भूल को भुला कर
जिंदगी जीना सिख लिया हैं मैंने

दूर दूर रहना तो तेरी फितरत थी
खुश रह अपनी इस फितरत के साथ

मैंने कोशिश तो बहुत किया
के समझाऊं तुझे
पर तुझे फुर्सत कहा थी
मुझे सुनने को

तेरी ना हो कर खुश हूँ मैं
अपनी भूल के साथ, अपने टूटे एहसास के साथ


तेरी भूल को भूलना आसान नहीं
इसलिए तो परछाई को दोस्त बना लिया हैं मैंने

तेरे गुरुर को यू रुस्वा होता देख
लोगो ने बात बनाना शुरू ही कर दिया

जनाब दिल को हथेली पर रख
घुमा नहीं करते
कब गिर जाए हम वो खुद को पता नहीं होता