Let it be behind the screen in Hindi Classic Stories by r k lal books and stories PDF | पर्दे में रहने दो

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पर्दे में रहने दो

पर्दे में रहने दो

आर० के० लाल

एक अर्से बाद प्रियंका और सुनयना दोनों सगी बहने एक साथ इकट्ठा थीं। सुनयना की तेरह साल की बेटी सोनम भी अपनी कज़िन हर्षिता के साथ धमा-चौकड़ी कर रही थी। लोग कह रहे थे कि आजकल के बच्चे कितना बिगड़ गए हैं । प्रियंका और सुनयना भी बच्चों को नसीहत देने लगीं तो सोनम ने कहा, “मौसी! आप लोग सदैव बच्चों को और खास तौर पर लड़कियों को क्यों नसीहत देती रहती हैं? ऐसा करो, ऐसा न करो । प्रियंका ने कहा, “जब नसीहत में पली-बढ़ी एक लड़की ससुराल जाती है तो वह दहेज से ज्यादा अपने माता पिता के संस्कार और नसीहतें ले जाती हैं जो जीवन भर उनके काम आती है”।

सोनम ने अपनी मम्मी से पूछा कि आप नाना-नानी की नसीहतों का कितना पालन करती थी? क्या आप बताएंगी कि आपने क्या-क्या गुल खिलाए थे। यह सुनकर प्रियंका ने उन दोनों को डांट कर वहाँ से भगा दिया मगर उन्हें अपना बचपन याद आ गया । प्रियंका ने अपनी दीदी से कहा, “बचपन में हम लोग भी कुछ कम नहीं थे। मैं तो बहुत बिगड़ गई थी परंतु आप की वजह से अक्सर बच जाती थी। आप कैसे सब संभाल लेती थीं”?

सुनयना ने कहा, “चलो मैं आज तुम्हारा ही एक प्रसंग बताती हूँ। एक बार पापा ने मुझे अपने कमरे में अकेले बुलाया और बोले कि तुम्हारी छोटी बहन अब बड़ी हो गई है और डिग्री कॉलेज में पढ़ने जाती है। मुझे शक है कि वह थोड़ा बहक रही है, उसके चाल-भाव कुछ दिनों से बदले से नजर आते हैं। इसलिए तुम बिना उसे बताएं सब कुछ पता करो। मैंने कहा, “ठीक है पापा मैं पता करती हूं”। मैंने तुम्हारी तरफदारी करते हुये कहा था कि जहां तक मुझे पता है प्रियंका कोई गलत काम नहीं कर सकती है । पापा ने कहा कि तुम समझदार हो मगर वह तो नादान है, अगर किसी गलत संगत में पड़ गयी तो हम सब की बदनामी होगी और उसका भी जीवन बर्बाद हो जाएगा। इसलिए हमें काफी सजग रहना चाहिए।

अगले ही दिन मैंने तुम्हारी गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया था और तुम्हारा पीछा किया। एक दिन दोपहर के एक बजे थे, तुम अपने कॉलेज से निकल कर सड़क पर आ गई और एक ऑटो में बैठ गयी । मैं स्कूटी पर थी, तुम्हारी आटो से थोड़ी दूरी बनाते हुये सिविल लाइंस पहुंच गई तो देखा तुम अपनी सहेली स्नेहा के साथ मॉल के बगल में एक लेडीज टेलर की दुकान पर चली गयी। यहां पहुंचते ही टेलर ने तुम्हें एक पैकेट निकाल कर दिया जिसे लेकर तुम ट्रायल रूम में चली गयी और स्नेहा बाहर तुम्हारा इंतजार करती रही। मैं दुकान के बाहर स्कूटी रख कर आइसक्रीम खाने लगी। थोड़ी देर में तुम ट्रायल रूम से बाहर आयी। यह क्या? तुम्हारा तो पूरा हुलिया ही बदला हुआ था। तुमने कालेज ड्रेस की जगह टाइट जींस और टॉप पहन लिया था, अपने चेहरे पर स्कार्फ का नकाब तथा आंखों पर एक बड़ा गॉगल चढ़ा लिया था । अब तुम्हारे हाथ में स्कूल बैग भी नहीं था। इसके बाद स्नेहा भी ड्रेस चेंज करके आ गयी । फिर तुम दोनों मॉल के सामने आकर सीढ़ियों पर बैठ गयी थी । शायद किसी की प्रतीक्षा हो रही थी। मैं भी मॉल आकर मेक-डोनल्स शॉप में बर्गर खाने लगी थी जहां से मैं तुमको देख और सुन सकती थी। मैं अपने को एक बड़ा जासूस समझ रही थी सोच रही थी शाम को पापा को बताऊँगी तो वे मेरी बहुत बड़ाई करेंगे। फिर प्रियंका और सुनयना हंसने लगती हैं।

सुनयना ने बात आगे बढाई, “थोड़ी देर में तुम लोगों के पास एक तीसरी लड़की आ गयी थी। मेरी नजर तो उस पर अटक कर रह गई। वह लड़की बाइक पर एक लड़के की कमर में हाथ डाल कर बैठी थी। लड़की लाल रंग की स्लीवलेस टॉप और काले रंग की टाइट स्लैक्स पहने हुए थी। उस लड़की ने भी दुपट्टे से अपना चेहरा ढँक रखा था । वह लड़की तुम्हारे पास चली आई और लड़का बाइक जमा करने पार्किंग में चला गया ।

तभी पापा अपने किसी दोस्त के साथ सड़क पर जाते हुये दिखे। तुमने भी उनको देख लिया था। तुम उन्हें देखकर घबरा गयी थी। मैं देख पा रही थी कि तुम्हारी तो जान ही सूख गयी थी कि अब क्या होगा। परंतु पापा बिना रुके आगे निकाल गए। तुमने स्नेहा को बताया, “आज तो मैं पकड़ गई। पापा बिलकुल सामने से जा रहे थे। मुझे इस समय स्कूल में होना चाहिए था मगर मैं तुम्हारे साथ यहां बैठी हूं। आज घर पर मैं क्या जवाब दूंगी”?

स्नेहा तुम्हें समझाने लगी थी, “तुम बेवजह परेशान हो । तुम्हारे पापा ने तुम्हें पहचाना ही नहीं होगा क्योंकि तुमने मेरे कपड़े पहन रखे हैं। तुम्हारे चेहरे पर नकाब भी है। अगर तुम्हारे पापा तुमको पहचान जाते तो वह तुरंत रुक जाते और तुम्हारे पास आ जाते। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है”। तभी तुम्हारे और स्नेहा के बॉयफ्रेंड वहाँ आ गए थे । जब तुमने उन्हें बताया तो उसने कहा था कि उसका एक दोस्त एक दिन अपनी गर्लफ्रेंड रीना के साथ था और बगल में उसके पापा आ गए थे, पर क्या मजाल कि उन्होंने रीना को पहचाना हो। कुछ नहीं होगा । अभी तो पिक्चर देखने चलते हैं”। मैं वहाँ बैठ कर क्या करती। घर जाने के लिए स्कूटी लेने गयी तो पता चला कि टेलर इस काम के लिए पचास रुपए हर एक से लेता है।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे यह बात पापा को बताऊं। सोचा कि हो सकता है बात और न बिगड़ जाए । तुम जो अभी चुपचाप यह सब करती हो ,कहीं खुल्लम-खुल्ला न करने लगो और घर वालों से बगावत कर दो। मैं चाहती थी कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, इसलिए मैंने तुम्हारे तथाकथित प्रेमी के बारे में सब कुछ पता करने का निश्चय किया कि तुम्हारा यह सिलसिला कहां तक पहुंच गया है। मुझे पता चला कि वह लड़का दिल्ली का रहने वाला था। लोग सोचते हैं कि कॉलेज के सभी लड़कों और लड़कियों का कोई न कोई बॉयफ्रेंड अथवा गर्लफ्रेंड होना जरूरी है। धाक उसी की जमती है जिसका बॉयफ्रेंड एक अमीर घर का हो, जो उसको वैलेंटाइन डे एवं अन्य मौकों पर अच्छा-खासा गिफ्ट दे। इन्हीं बातों से आकर्षित होकर तुम उससे दोस्ती कर बैठी थी। मगर उसकी आदतें अच्छी नहीं थी। वह हमेशा तुम्हें कॉलेज बंक करके घूमने के लिए उकसाता था ।

प्रियंका ने शरमा कर कहा, “हाँ दीदी, मैं उस पर जान देती थी। उससे फोन पर घंटों बात करती। गिफ्ट पा कर हम दोनों के मन में आकर्षण बढ़ता जा रहा था। कुछ दिनों में ही पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि हम दोनों एक दूसरे के लिए तड़पने लगे थे”।

एक दिन पापा ने फिर मुझसे पूछा था तो मैंने तुम्हारे बारे में उन्हें कुछ नहीं बताया और गलत बोल दिया कि तुम सीधे घर से कॉलेज जाती हो और सीधे घर आती हो। किसी सहेली के यहां भी नहीं जाती। वैसे मैं प्रियंका का मोबाइल भी चेक कर लूं तो सही बात का पता चल जाएगा। पापा ने कहा ठीक है।

एक दिन मुझे पता चला तुम लोगों को डेटिंग का भी चस्का लगने वाला है। मैंने सोचा कि अगर इस चक्कर में तुम फंस जाओगी तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा, इसलिए तुम्हें अप्रत्यक्ष रूप से पहले एक दफे समझाने का प्रयास करती हूं। मैंने यूट्यूब पर एक फिल्म देखी थी उसे तुम्हें दिखा कर तुम्हारी प्रतिक्रिया जान कर तुम्हें समझाने की सोची।

मैंने तुम्हें वह फिल्म दिखाई जिसमें कॉलेज में पढ़ने वाली जोशीजी की बेटी और उसकी सहेलियाँ अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ कॉलेज बंक करके रास्ते पर हो-हल्ला मचाते हुए पिकनिक पर गए थे । वहाँ पहुंचकर उन्होंने जमकर ड्रिंक किया फिर सब लड़कियों के साथ छेड़खानी करने लगे। जोशीजी की बेटी के साथ भी दूसरे लड़के छेड़खानी कर रहे थे मगर उसका बॉयफ्रेंड कुछ नहीं बोल रहा था। वह दूसरी लड़कियों के साथ डांस करने में मगन था। जोशीजी की बेटी ने एतराज किया और वहां से भाग कर जाने लगी तो कुछ लड़कों ने दौड़ा कर उसे पकड़ लिया और उसके साथ बदतमीजी करने लगे। उसके बॉयफ्रेंड ने कहा बेबी तुम भी एंजॉय क्यों नहीं करती हो? यहां किस लिए आई हो ? बाद में वह लड़की पास की नदी में कूद पड़ी क्योंकि उसे लग रहा था आज उसकी इज्जत चली जाएगी।

प्रियंका ने याद करके कहा, “हां दीदी! तुमने यह फिल्म मुझे दिखाई तो थी और मैंने उस लड़की के बॉयफ्रेंड को बहुत गालियां दी थी। एक बात जो मैंने आज तक तुम्हें नहीं बताई थी आज बताती हूँ। फिल्म देखने के बाद तुम तो सोने चली गई थी मगर मेरी आंखों की तो नींद उड़ गई थी । मुझे लगा जोशीजी की बेटी की रूप में कहीं मैं तो नहीं हूं और मेरा प्रेमी ही वह बॉयफ्रेंड है। मैं कहीं पकड़ी गई तो मेरे माता-पिता मेरे बारे में क्या सोचेंगे। उनकी कितनी बदनामी होगी। तुमसे भी कोई शादी नहीं करेगा। मुझे लगने लगा कि एक दिन तो इसका नतीजा गलत ही होगा। मैंने तुमसे कुछ नहीं कहा लेकिन मैं दूसरे दिन जब कॉलेज गई तो मैंने उस लड़के को बुलाकर स्पष्ट रूप से कहा कि तुम मुझे अच्छे लगते हो मगर मुझे ऐसा कोई बॉयफ्रेंड नहीं चाहिए जो मुझे गलत रास्ते पर ले जाए और पढ़ाई में बाधक हो। हमारी दोस्ती यहीं समाप्त होती है। मैंने स्नेहा से भी कट्टी कर ली थी क्योंकि वह गलत कामों में मेरी मदद करती थी। तुम्हें पता है दीदी! उस लड़के ने स्नेहा से मंदिर में शादी कर ली थी मगर उसे अपने घर कभी नहीं ले गया अब तो उसका तलाक भी हो गया है।

सुनयना बोली, “मुझे पता चल गया था कि तुम सुधर रही हो और तुम टेलर के यहां जाकर ड्रेस नहीं बदलती हो। इसलिए मैंने पापा को यह सब कभी नहीं बताया। मैंने सोचा कि जब सब कुछ ठीक है तो उस बात को पर्दे में ही रहने दो। प्रियंका ने सुनयना से कहा, “दीदी यू आर ग्रेट” । सभी को बड़ों की बात माननी चाहिए। ।

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