Huf Print - 3 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | हूफ प्रिंट - 3

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हूफ प्रिंट - 3

हूफ प्रिंट

Chapter 3

इंस्पेक्टर अर्सलान ने सबसे पहले मानस के कॉल डिटेल निकलवाए। उनके हिसाब से बीते कुछ दिनों से मानस और मिलिंद के बीच कई बार फोन पर बात हुई थी। स्टड फार्म जाने से एक रात पहले उन दोनों के बीच लगभग तीस मिनट तक बात हुई थी।

एसपी नताशा मानस की कॉल डिटेल देखकर बहुत खुश हुई।

"अर्सलान, एक रात पहले मानस और मिलिंद के बीच लगभग आधे घंटे बात होती है। अगले दिन मानस सत्तर किलोमीटर दूर अपने स्टड फार्म पहुँच जाता है। उसका कहना है कि वह बस ऐसे ही वहाँ गया था। पर अगले दिन इंगेजमेंट थी। बहुत से काम रहे होंगे। फिर वह स्टड फार्म क्यों गया ? उसी समय मिलिंद की भी हत्या होती है। मानस के स्टड फार्म जाने और मिलिंद की हत्या के बीच कनेक्शन है। हमें इस कनेक्शन को स्थापित करना है।"

"हाँ मैम तभी हम इस मानस को घेर पाएंगे। मैं सोंच रहा था इधर कुछ महीनों में मानस और मिलिंद की गतिविधियों के बारे में पता करूँ।"

"एक बात और है। मुझे लगता है हमें मिलिंद के पार्टनर रमन के साथ भी पूछताछ करने की जरूरत है। तुम मानस और मिलिंद की गतिविधियों का पता करो। मैं सब इंस्पेक्टर नेहा गौतम को रमन के पास भेजती हूँ।"

रमन सिंघवी बस रोए जा रहा था। नेहा उसे समझा रही थी कि अपने पर काबू रखे।

"मैम आई कांट टेल यू हाऊ डेवस्टेटिड आई एम। मैं मिलिंद को बहुत प्यार करता था।"

"आई एम सॉरी बट आपको मेरे सवालों का जवाब देना होगा।"

"पूँछिए क्या पूँछना है आपको ?"

"कब से जानते थे आप मिलिंद को ?"

"दो साल से.."

"तब से आप दोनों साथ रह रहे थे।"

"नहीं... हमने कोई दस महीने पहले एक साथ रहना शुरू किया था। पर मैं उसे शुरू से ही प्यार करता था।"

नेहा ने कमरे में नज़र दौड़ाई। एक दीवार पर कुछ फ्रेम थे। जिनसे पता चल रहा था कि उन दोनों का रिश्ता कैसा था।

"रमन एक बात बताइए। मानस और मिलिंद के बीच किस तरह का रिश्ता था ?"

"मानस उसका क्लाइंट था।"

"उनका रिश्ता बस प्रोफेशनल था।"

"मिलिंद ने बताया था कि वह और मानस स्कूल में साथ पढ़े थे। पर मैंने कभी उन्हें दोस्तों की तरह पेश आते नहीं देखा।"

नेहा कुछ देर सोंचने के बाद बोली,

"ये तो आपको पता है कि मिलिंद की लाश मानस के स्टड फार्म के पास मिली थी। आपको क्या लगता है मिलिंद वहाँ क्यों गया होगा ?"

"मैम मैं अपने पार्टनर के जाने से बहुत दुखी हूँ। मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ।"

"वैसे आप क्या काम करते हैं ?"

"मैं मॉडल कोऑर्डिनेटर हूँ।"

नैहा को और कुछ नहीं पूँछना था। पर चलते समय उसे एक बात याद आई।

"मिलिंद का अंतिम संस्कार आपने किया। उसके परिवार से कोई नहीं आया।"

"मिलिंद का कोई भाई बहन नहीं था। माँ की मृत्यु उसके कॉलेज के समय पर ही हो गई थी। मिलिंद के गे होने की बात सामने आने पर उसके पिता ने उससे सारे रिश्ते तोड़ लिए थे। यहाँ तक की उसके मरने की खबर भी उनका गुस्सा कम नहीं कर सकी।"

"ओह...."

रमन एक बार फिर भावुक हो गया। नेहा ने उसे हौसला रखने को कहा और वापस आ गई।

इंस्पेक्टर अर्सलान मानस और मिलिंद दोनों के अतीत को खंगालने का काम कर रहा था।

मानस के अतीत से उसने कुछ जानकारियां जुटाई थीं।

मानस ने मुंबई के एन एम कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स किया था। उसके बाद उसी कॉलेज से एमबीए किया। वैसे तो स्कूल के समय से ही उसकी आशिक मिजाज़ी सामने आने लगी थी। लेकिन कॉलेज के पाँच सालों में उसके अनगिनत अफेयर्स ने उसकी छवि कैसेनोवा की बना दी।

एमबीए के बाद उसने अपने पिता का बिज़नेस संभाल लिया। जहाँ एक तरफ वह पेज थ्री रिपोर्टर्स की पहली पसंद रहता था तो बिज़नेस वाले पेज पर भी छाया रहता था। लोगों का कहना था कि वह अपनी पर्सनल व प्रोफेशनल जिंदगी के बीच एक बैलेंस बना कर रखता था। एक को दूसरे पर हावी नहीं होने देता था।

उसे घुड़सवारी का शौक था। उसने एक स्टड फार्म खरीद कर उसे हूफ प्रिंट नाम दिया।‌ घुड़दौड़ के लिए घोड़े पालना शुरू किया।‌ उसके फार्म के कई घोड़ों ने रेस में खिताब जीते थे।

अपने कई अफेयर्स के बाद जब वह श्वेता से मिला तो पहली बार उसे लगा कि बस अब यही लड़की है जिसके साथ उसे जीवन बिताना चाहिए। जब उसे यह महसूस हुआ कि श्वेता भी यही चाहती है तो उसने उसे प्रपोज़ कर दिया‌। श्वेता ने भी उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

मिलिंद जब फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स कर रहा था तभी उसकी माँ की मृत्यु हो गई। यह उसके लिए एक बड़ा भावनात्मक धक्का था। वह बचपन से ही अपनी माँ के बहुत करीब था। उसका अति कोमल स्वभाव उसके पिता को पसंद नहीं था। जब रिश्तेदार उन्हें ताना मारते थे कि बेटे के शरीर में उन्हें बेटी मिली है तो वह बहुत अपमानित महसूस करते थे। वह उसे अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने को कहते थे। लेकिन मिलिंद के लिए स्वयं में बदलाव कर पाना संभव नहीं हो रहा था। उसने जब फैशन डिज़ाइनिंग को अपने करियर के लिए चुना तो उसके पिता को यह निर्णय भी पसंद नहीं आया।

मिलिंद एक उम्र के बाद समझ गया था कि वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं है। पर वह जानता था कि यह बात उसके पिता को पसंद नहीं आएगी। इसलिए उसने इस विषय में कुछ नहीं बताया। उसने सोंचा था कि जब समय आएगा तो बता देगा। उसे उम्मीद थी कि माँ हर बार की तरह इस विषय में भी उसकी मदद करेंगी।

अपना कोर्स पूरा करने के बाद मिलिंद ने माने हुए फैशन डिजाइनर अनीस शेख के साथ काम करना शुरू कर दिया। वह अपने पैरों पर खड़ा हो गया था। उसके पिता ने उस पर शादी के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। अब उसके लिए उन्हें सच बताना आवश्यक हो गया। लेकिन उसका सच जानकर उसके पिता ने उससे अपना संबंध तोड़ लिया।

यह वक्त मिलिंद के लिए बहुत कठिन था। वह भावनात्मक रूप से टूट गया था। अपना कहने वाला उसके पास कोई नहीं था। इसके अलावा उसे अपने रहने की भी व्यवस्था करनी थी। इस कठिन दौर में ही वह मानस से मिला था। मानस ने उसकी बहुत मदद की थी। उसकी मदद से ही उसने अपना फैशन हाउस खड़ा किया। मुंबई के बड़े बड़े लोग उसकी क्लाइंट की लिस्ट में शामिल थे।

नेहा और अर्सलान ने अपनी जांच की रिपोर्ट एसपी नताशा के सामने पेश की। लेकिन अब तक जो कुछ भी सामने आया था उससे मानस और मिलिंद के बीच कोई संबंध साबित नहीं हो रहा था। सिर्फ यही पता चल रहा था कि मानस ने मुश्किल समय में उसकी मदद की थी और वह उसका एक क्लाइंट था।

केवल एक ही बात थी जिसके आधार पर मानस से पूछताछ की जा सकती थी। पिछले कुछ दिनों से दोनों की फोन पर काफी बातें हुई थीं। स्टड फार्म जाने से एक रात पहले मिलिंद से उसकी लगभग आधा घंटे तक बात हुई थी।

एसपी नताशा ने तय किया कि वह मानस से इस बारे में सवाल करेगी। उसने मानस को पूछताछ के लिए बुलाया।

एक कमरे में एसपी नताशा और इंस्पेक्टर अर्सलान मौजूद थे। मानस सामने एक कुर्सी पर बैठा था।

एसपी नताशा ने मानस से कहा,

"आपने कहा था कि आप बस मिलिंद के एक क्लाइंट थे।"

"मैं अभी भी वही कहता हूँ।"

"ये सही नहीं है कि आप और वो एकसाथ स्कूल में पढ़े थे।"

"हाँ सही है।"

"मिलिंद जब अपने बुरे दौर से गुजर रहा था आपने उसकी सहायता की थी। आपने ही मिलिंद को उसके फैशन हाउस अदा के खड़ा करने में मदद की।"

मानस ने पहले जैसे आत्मविश्वास के साथ कहा,

"हाँ मैंने उसकी मदद की। पर किसी की मदद करना बुरा तो नहीं है। हम समाज में एक दूसरे की मदद करते ही हैं।"

इस बार इंस्पेक्टर अर्सलान बोला,

"सही कहा आपने मिस्टर भगनानी। पर एक बात हमें परेशान कर रही है। आप मिलिंद के क्लाइंट थे। तो फिर पिछले कुछ दिनों से आपके और मिलिंद के बीच इतने सारे फोन कॉल क्यों हुए ?"

इंस्पेक्टर अर्सलान ने कॉल डिटेल की कॉपी उसके सामने रखते हुए कहा,

"ये आपके और मिलिंद के बीच हुई कॉल्स की लिस्ट है। अधिकतर कॉल्स मिलिंद ने आपको की हैं। आपके सटड फार्म में जाने से एक रात पहले भी मिलिंद ने आपको फोन किया। आपके बीच लंबी बात हुई।"

इंस्पेक्टर अर्सलान ने अंतिम कॉल पर उंगली रखते हुए कहा,

"मिस्टर भगनानी हमें बताइए कि ऐसी क्या बात हुई आप लोगों के बीच कि अगले दिन ही आप अपने स्टड फार्म चले गए।"

अब तक आत्मविश्वास से हर सवाल का जवाब दे रहा मानस इस सवाल पर बगलें झांकने लगा। फोन कॉल्स की डीटेल्स इस बात की तरफ इशारा कर रही थीं कि उनके बीच अक्सर बात होती रहती थी।

मानस को चुप देखकर एसपी नताशा ने कहा,

"बोलिए मिस्टर मानस। आपके और मिलिंद के बीच फोन पर इतनी बात क्यों होती थी ?"

मानस कोई जवाब नहीं देना चाहता था। उसने एसपी नताशा से कहा,

"आगे मैं सारे जवाब अपने वकील आकाशदीप भुल्लर की उपस्थिति में ही दूँगा।"

"ठीक है फिर हम भी आपके खिलाफ पुख्ता सबूत इकट्ठे करेंगे।"

मानस पुलिस स्टेशन से निकल गया। नताशा ने अर्सलान से कहा,

"तुमने देखा कि कैसे उसके चेहरे का रंग उड़ गया था। अर्सलान हमें इसे गिरफ्तार कर इसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना है। एक बार फिर हत्या वाली जगह जाकर जांच करो। शायद कुछ ऐसा मिल जाए कि हम इसे अपने शिकंजे में कस सकें।"

इंस्पेक्टर अर्सलान ने आश्वासन दिया कि वह पूरी कोशिश करेगा कि मानस के खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठे कर सके।

*****