Ashwtthama ho sakta hai -14 in Hindi Fiction Stories by Vipul Patel books and stories PDF | अस्वत्थामा ( हो सकता है ) 14

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अस्वत्थामा ( हो सकता है ) 14

पच्चीस साल बाद :

गुजरात राज्य के जुनागढ शहेर की भक्त कवि नरसिंह महेता युनिवर्सिटी मे करार आधारित लेक्चरर की भर्ती के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही थी । यूनिवर्सिटी के वाइस चांसेलर भवन मे ओफिस के अंदर वाइस चांसेलर जिग्नेश रावल और दुसरे पांच प्रोफेसर इंटरव्यू लेने के लिए मौजुद थे। जिनमे से एक यूनिवर्सिटी के रजिस्टार थे। और बाकी चारो अलग अलग डिपार्टमेन्ट के हेड थे। वो सब बैठे थे वहा हरेक के सामने टेबल पे उन सब के नाम की नेम प्लेट रखी हुई थी। जिसपे उसके नाम और होदे लिखे हुए थे। बाहर वेइटिंग होल मे बैठे केंडीडेट बारी बारी से इंटरव्यू देने के लिए ओफिस मे आ रहे थे ।

तभी दूसरी ओर एक पच्चीस छब्बिस साल की युवती पिंक साडी मे सज्ज होके, तेजी से अपनी स्कूटी (बाइक) चलाते हुए यूनिवर्सिटी की ओर आ रही थी। यूनिवर्सिटी पे पहोचते ही उसने अपनी स्कूटी सिधी वाइस चांसेलर भवन के बाहर पार्किंग मे खडी कर दी । और वहा भवन के बाहर इंटरव्यू की सूचना के लिए रखे हुए बोर्ड की ओर एक नजर डालती हुई सिधी भवन मे चली गई । जब वो भवन के वेइटिंग होल मे पहोचि तभी वहा ओफिस के बाहर बैठे प्युन ने अपने पास रहे लिस्ट मे देख के नाम पुकारा “ सुगंधा उपाध्याय” । अपना नाम सुनते ही वो युवती “यस” बोलती हुई अपनी साडी को ठीक करके ओफिस मे दाखिल हुई।

ओफिस मे जाते ही सुगंधा ने वहा बैठे सभी को दो हाथ जोडकर नमस्कार किए। और गुड मॉर्निंग विश किया । सामने वहा बैठे सभी की और से प्रोफेसर मकवाना ने उसे मोर्निंग विश करते हुए कहा बैठिए मिस सुगंधा । ये सुनके सुगंधा वहा रखी चैर पे बैठ गई , और अपने पास रही एकेडेमिक फाइल को वहा टेबल पे रख दी। तभी वाइस चांसेलर जिग्नेश रावल ने वो फाइल उठाइ और फाइल के पेज उथलाने लगे। यू पन्ने उथलाते हुए उनकी नजर सुगंधा के बायोडेटा मे उसके पूरे नाम पे पडी। उसका पूरा नाम था “ मिस सुगंधा जगदीशभाई उपाध्याय”। ये नाम पढ के वो चौक गए। एकदम से वो अपनी खुर्सी पे टट्टार हो गए । तभी वहा बैठे प्रो. गोधविया ने सुगंधा से पूछा “ हा तो मिस सुगंधा आपने हिस्ट्री के लिए एप्लाय किया है .. हा ? सुगंधा बोली जी सर । फिर गोधविया सर ने पूछा की इतिहास हम मनुष्यो के लिए क्या माइने रखता है ? मिस सुगंधा ने जवाब दीया की इतिहास से सिख लेके ही मानवजाती भूतकाल मे की गई अपनी गलतिओ को वर्तमान मे दोहराने से बच सकती है । और अपने बहेतर भविष्य की नीव रख सकती है । फिर सुगंधा ने कहा की मेरा तो ये मानना है कि हिस्ट्री कि मदद से ही आज का सायन्स अपना कद बढा सकता है । सुगंधा की ये बात सुन के वाइस चांसेलर जिग्नेश रावल को अपना भूतकाल याद आ गया । क्युकि जिग्नेशभाई को उनकी टीचर कम दोस्त मालतीजी ने भी एक बार उसे हिस्ट्री के बारे मे यही बात कही थी । जो इस वक्त सुगंधा ने कही। लेकिन तुरंत भूतकाल की याद से बाहर निकल के सावध हो के वाइस चांसेलर ने सुगंधा से पूछा की आपके पिताजी अभी क्या व्यवसाय करते है ? सुगंधा बोली जी सर बरसो पहेले उनका देहांत हो गया है । ये सुन के जिग्नेश सर बोले आइ एम सोरी । पर क्या तुम्हारे पिताजी प्रोफेसर थे ? सुगंधा ने जवाब दीया जी हा सर । मैने तो उन्हे कभी नही देखा है । क्युकि मेरे जन्म से पेहेले ही वो एक कार एक्सिडेन्ट मे चल बसे है । ये सुनके जिग्नेश सर बोले मै जानता हू तुम्हारे पिताजी को। मै अहेमदाबाद मे उन्ही के पास पढा हूँ। वो हमारे प्रोफेसर कम और दोस्त ज्यादा थे । फिर उसने सुगंधा की ओर देखते हुए कहा एक काम करो, अब तुम थोडी देर बाहर बैठो। फिर हम तुम्हे बुलाते है। ये सुन के सुगंधा ओफिस से बाहर चली गई। और बाहर बैठी बैठी वेइट करने लगी। तभी थोडी देर बाद प्रो. गोधवीया ने ओफिस से बाहर निकल के एनाउंस किया की इतिहास के विषय के लिए जो भी उमेदवार आए है वो सब कृपया जा सकते है । हिस्ट्री के लिए सिलेक्शन हो चुका है । फिर उसने सुगंधा से कहा अभिनंदन , आपका सिलेक्शन हो गया है । सुगंधा आनंदित होके बोली थेंक्स , सर । गोधविया सर ने कहा इट्स ओ.के.। अब आप कार्यालय से अपना जोइनिंग लेटर ले लीजिए। ये सुन के सुगंधा उत्साहित हो के कार्यालय की ओर चली गई।

आज कई दिनो के बाद वाइस चांसेलर जिग्नेश रावल अपने घर पे बैठ के आराम से टीवी देख रहे थे। वो रिमोट कंट्रोल से बारी बारी टीवी पे चैनल फिरा रहे थे। तभी अचानक से एक न्यूज चैनल पे आ रहे समाचार को देख उसके हाथ रुक गए। और वो ध्यान से उस समाचार को देखने और सुनने लगे। टीवी पे न्यूज एंकर बता रही थी की आज से लगभग पच्चीस साल पहेले गुजरात यूनिवर्सिटी मे हुई प्रोफेसर ईश्वर पटेल की मृत्यु के घटना स्थल से जो बरामद हुए थे वो ताम्रपत्र पुलिस लोकर से चोरी हो गए है । और खुद पुलिस डिपार्टमेंट ने भी ईस बात की पुष्टि की है । आगे न्यूज एंकर बता रही थी की इतने सालो के बावजूद भी पुलिस डिपार्टमेंट उस ताम्रपत्रो की गुत्थी सुलजाने मे या तो ईश्वर पटेल के कातिल को पकडने मे सरेआम नाकाम रही है। फिर मुस्कुराते हुए न्यूज एंकर बोली वैसे देखा जाएँ तो पुलिस डिपार्टमेंट को तो उन ताम्रपत्रो की चोरी हो जाने से तो फायदा ही हुआ है । कम से कम अब वो लोग कहे तो सकेंगे की ताम्रपत्रो की चोरी ना हुई होती तो आज नहि तो कल हम उसकी गुत्थी सुलजा ही देते !

यूनिवर्सिटी मे जोइन किए हुए सुगंधा को आज लगभग दो महीने होने को आए थे। यूनिवर्सिटी मे अपने हररोज के नियम अनुसार वो आज भी फ्रि होके अपनी ओफिस मे अकेली बैठी थी। तभी अचानक प्युन ने आके उससे कहा आप को चांसेलर साहब ने अपनी ऑफिस मे बुलाया है । प्युन की बात सुनके अपने काले लंबे बालों को ठीक करती हुई वो फौरन वाइस चांसेलर की ओफिस की ओर जाने लगी।