निशांत - ये लीजिये दयानंदजी आपकी फाइल, ओर ये फोटो जो उसमे से मैने निकाला है , ये लड़की मुजे पसंद है,
दयानंद - दिखाईये ज़रा ये लड़की? अरे ये तो 21 साल की है और आप...
कोई नही जी अब आपने चुना है तो ठीक है; वैसे 60000/- इसकी फीस है , ओर कागज़-पतर का खर्चा आपका रहेगा,
दयानंद - ओर हा, जैसा में पहले कह चुका हूं, एक साल का कागज़ बनेगा, ओर कोई शारीरिक संबंध वर्जित है,
लड़की अगर चाहेगी तोहि ये शादी होगी , उसके रहने खाने का ओर कपड़े-लत्ते सब आपको करना है, ठीक है?
निशांत - जी बिलकुल, तो अब कागज़ कैसे बनाये सारि फोर्मालिटीस के बारेमे बात दीजिये ।
दयानंद - हा उसके लिए पहले आप फीस जमा करवाईये तब तक मे अगिरमेन्ट फोर्म निकलवा लेता हूं सभी सरकारी मोहर लगने के बाद आप इसमें अपने दस्तखत कर दीजिएगा ,
एकाद दिन में ये सारा काम मे करवा लूंगा, ओर कागज़ के पैसे भी आप फिज़ के साथ ही जमा कार्रवादेंगे तो चलेगा ।
निशांत - जी ठीक है, में कल ही पैसे जमा करवा दूंगा वो क्या है नोकरी से छुट्टी लेके आया हु परसो तक वापस पहोचना भी है,
लेकिन दयानंदजी ये सारी प्रोसेस करवाने से पहले क्या में क्यारा से एक बार बात कर सकता हु कही अकेले में, अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो में सोच रहा था एक घंटे के लिए कही बाहर ले जाऊ,
दयानंद - अरे ; बात क्या करनी है वो थोड़ी मना करेगी इतने अच्छे रिश्ते के लिए, लेकिन ठीक है आप अगर बात करना ही चाहते है तो में अभी भेजता हु उसे ।
(दयानंद ऑफिस से बाहर निकलते हुए )
(निशांत क्यारा को पीठसे हिलाता है )
निशांत - क्यारा कहा खो गयी तुम , कबसे वहां से आवाज़ दे रहा था,
देखो में तुम्हारे लिए क्या लेके आया,
(बुढ्ढी के बाल दिखाते हुए क्यारा को कहा)
क्यारा -(खुश होते हुए) अरे वाह मुजे कितने दिनों से ये खाने की इच्छा हो रही थी पता है ?
निशांत -(हँसते हुए चेहरे के साथ) तो कहा क्यों नहीं में थोड़ी तुम्हे मना करता पागल,
क्यारा - पता है निशांत जब हम पहली बार मीले थे ,
तभ्भी तुम मुजे ऐसे ही एक गार्डन में लेके आये थे,
पता है में बहोत डरी हुई थी, मेरी बहेनो ने तुम्हारे बारे में बहोत कुछ बताया था मुजे, तुम उर्म में बड़े हो , नॉन-वेज नही खाते ये-वो,
मुजे तब ज़िंदगी में दूसरी बार था जब डर लगा था,
【one year and one month ago】
(निशांत ऑफिस की कुर्शी पर बैठा है और पीछे ऑफिस के दरवाजे पर एक तक तक कि आवाज़ आती है, निशांत पूछे मुड़ कर पहली बार क्यारा को देखता है, कुर्शी से खड़ा हो जाता है)
थोड़ी देर खामोशी की चादर ओढ़ने के बाद क्यारा बोली,
क्यारा - जी साहेब ने कहा आप मुझसे मिलना चाहते है ?
निशांत - जी जी, मिलना नही बात करना चाहता हु कुछ ..., लेकिन यहां नही कही बाहर चले ?
क्यारा - जी जैसा आप ठीक समजे,
(गाँव के बीच का छोटासा गार्डन )
निशांत - कुछ खाएंगी आप ? मे किछ ले आउ ?
क्यारा - जी नही आपको नही पता लेकिन यहां आसपास कोई दुकान नही है और कुछ मिलेगाभी नही , तो कहिये क्या बात करना चाहते है आप,
निशांत - देखो क्यारा, ये जो कुछ हो रहा है मेरे लिए ये थोड़ा अजीब है , ओर में नही चाहता के आप भी ऐसा ही महसूस करे इसलिए आप मुझसे अगर कुछ कहना चाहती है तो कहिये, आपकी बात का पूरा मान रख्खा जाएगा,
क्यारा - जी आप ... जी आप कोनसी कंपनी में काम करते है ?
निशांत - (मुस्कुराते हुए) एक इंटरनेशनल है उसमें में आई.टी सेक्टर में काम करता हु, कंपनी कस्टमर सर्विस का काम करती है और बहोत बड़ी कंपनी है । पगार भी अच्छा है और शहर में खुदका घर भी है, एक गाड़ी है थोड़ी छोटी है पर है, घर अच्छे मोहोल्ले में है और घर मे A.C भी है,
क्यारा - में आपसे ये सब तो नही पूछा था , मुजे भी नोकरी करने की इच्छा हुई थी जब मैने अपनी बारवी पास की थी उसके बाद लेकिन हमें यहां उसकी परमिशन नही है,
में एक बार एक जगह इंटरव्यू के लिए भी गयी थी यहां से भाग के हैदराबाद, लेकिन वहां से रिजेक्ट हुई तो वापस आना पड़ा उसके बाद आज पहली बार है जब में वहां से बाहर निकली हु,
निशांत - ओह, मुजे लगा कि आपको बता दु मेरे घर पारीवार सबके बारे में ताकि आपको सोचने में कोई दिक्कत ना आये,
क्यारा - पता है में जब बारहवीं क्लास में आई ना तो हमारे स्कूल में एक लाइब्रेरी थी वहां जाने का मौका मिला, वहां पहली जो किताब मेरे हाथ मे आयी वो बुक के पहले पन्ने पर एक वाक्य लिखा था, क्या था पता है?
निशांत - क्या ?
क्यारा - “Never judge a book, by it's cover” मुजे कभी ये सोचने का मौका नही मिला के घर क्या होता, है मोहोल्ला क्या होता है, सहूलतें केसी होती है , ओर मुजे उससे वेसे खास फर्क भी नही पड़ता, में कभी ऐसा नही सोचती,
निशांत - तो क्या आप इस रिश्ते के लिए राजी है , देखिये में आपको यहां आपके विचार जानने के लिए ही लेके आया, में नही चाहता किसी के दबाव में आकर आप अपनी ज़िंदगी का फैसला करे आप आज़ाद है आप जो- जैसा चाहेंगी वेसा होगा,
क्यारा - (हस्ते हुए) निशांतजी आपको पता है आज़ादी क्या होती है , वो कहने से नही मिलती , कीमत चुकानी पड़ती है, आपकी या मेरी मर्ज़ी की मालकिन नही है आज़ादी, चलिए चलते है वहा सब मेरा इंतेज़ार कर रहे होंगे और आपको भी आज बहोत काम होगा , कल पैसे भी तो भरने होंगे, चलिए....।
【आगे की कहानी अगले द्रष्टान्त में】