An uncomplicated Love- 1 in Hindi Fiction Stories by Singh Srishti books and stories PDF | वो अधूरा इश्क़ - 1

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वो अधूरा इश्क़ - 1

फ़ुरसत का दिन था दोपहर भर के बाद करीब शाम के तीन सवा तीन का वक्त होगा मैं दोस्तों के साथ गपशप करके घर लौट ही रहा था कि अचानक से मेरी बाइक से आगे एक तेज़ से चली आ रही नब्बे की स्पीड में स्कूटी से मेरी बाईक टकरा गई। मुझे होश ही नहीं रहा कि मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है। हम दोनों अपनी-अपनी गाड़ियों से गिर गए अचानक से तेज " धड़ाम "की आवाज से पूरा चौराहा गूंज गया और लोग इकट्ठा होने लगे ।

"क्या हो क्या?

अरे देखो देखो बहुत तेज आवाज़ अाई है।

अरे एक्सिडेंट हो गया पता नहीं कौन बच्चा भी की नहीं!"


हमने हेलमेट निकालकर उस लड़की का हाल पूछने की कोशिश की तो उस लड़की में ही खो गया ।उसने जैसे ही अपना हेलमेट हटाया तो उसके काले घुंघराले बालों का पर्दा उसके मुंह को ऐसे छिपाने लगा जैसे, मनों एक मां अपने बच्चे को बुरी नज़र से छिपाना चाहती हो । फिर धीरे से उसने अपने हाथों की सफ़ेद दूध की तरह पतली पतली उंगलियों से उन बालों को पीछे किया । पर्दा हटते ही उसके हुस्न का दीदार कुछ यूं हुआ जैसे तिलिस्मी दुनिया का नायाब तिलिस्म देखने को मिल रहा हो। उसकी आंखे बिल्कुल हिरन की जैसी थी जिसे जब वो खोलती और बंद करती तो ऐसा लगता जैसे गहरी रात में चांदनी को बदली अपनी गोद में छुपाने कि कोशिश कर रही हो। उसके पतले पतले होठ जिसमें उनसे लाली तो लगाई थी फ़िर भी सागर की गहराई के साथ एक छोटे बच्चे की चंचलता छिपी थी। सर से पांव तक पूरी बेमिसाल थी। अपनी भोऊं को सिकोड़ते हुई ना जाने और धीरे-धीरे बड़ बड़ते व गुस्से से मेरी तरफ बढ़ती चली आ रही थी, फिर भी ना जाने क्यों मुझे उसमें एक डर सा छुपा हुआ दिखाई दे रहा था। मैं उसको न चाहते हुए भी उसमें ना जाने क्यों खोता चला जा रहा था। और फिर वह आकर मेरे कंधे पर हाथ से एक ज़ोरदार धक्का मारकर बोलने लगी

"हेलो मिस्टर बहरे हो क्या ?सुनाई नहीं पड़ता!

कब से देखे जा रहे हो"

मैं एकदम से स्वप्न की दुनिया से बाहर आकर उसके सामने खुद को पाया और मैं जब तक कुछ सोचता बोलने के लिए तब तक लोगों ने उस लड़की को डांटना शुरू कर दिया ।मैंने कहा नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं।

" आप ठीक तो हैं ?"मैंने उससे पूछा

"हां मै ठीक हूं!"उत्तर देते हुए उसने मेरी तरफ देखा तो मेरे कान के नीचे से खून निकलता देख कर वह घबरा गई।

अरे आपको तो बहुत चोट लग गई है।

प्लीज़ कोई हेल्प करो! कोई तो इसको हॉस्पिटल ले चलो।

सॉरी आई एम सो सोरी!

मदद के लिए वह लोगों से बोलने लगी ।

अरे परेशान मत हो मैं ठीक हूं ज्यादा नहीं लगा है।

नहीं नहीं बहुत खून निकल रहा है, हे भगवान ये क्या हो गया!

उसने तुरंत अपनी स्कूटी की डिक्की से फस्ट्रेट बॉक्स निकाल कर मेरा ख़ून साफ़ करते हुए हलकी सी पट्टी की और पास के एक

अस्पताल में ले जाकर डॉक्टर से दवा दिलाई और फ़िर से एक बार सॉरी बोलते हुई जाने लगी। मैं अभी से उसको दीवाने मजनू की तरह तब तक देखता रहा जब तक वह मेरी आंख से दूर ना हो गई। और फिर मैं उसकी दूसरी मुलाक़ात की तलाश के इंतज़ार में बैठ गया .........

To be continue..