Hedboy in Hindi Short Stories by Lalit Rathod books and stories PDF | हेडबॉय

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हेडबॉय

स्कूल में हेडबॉय बनना अर्थात विधायक बनने जैसा था। गांव के प्रगति स्कूल में 10वीं कक्षा तक पढ़ाई होने से वह मेरा अंतिम साल था। इस वजह से बड़ी चाहत थी कि मैं भी एक दिन स्कूल का हेडबाॅय बनूं। जीवन को बेहतर यादगार बनाने मुझे हेडबॉय बना था l जब बड़ा हो जाऊ वह दौर मेरी स्मृति में बना रहे. स्कूल में हेडबॉय निर्वाचन प्रक्रिया से चुना जाता था। जुलाई में स्कूल खुलते ही तैयारी शुरु कर दी थी। आम नेता की तरह सभी से सहजता से बात करना और जूनियरों का हालचाल पूछना मेरी दिनचर्या में शामिल हो चुका था। संबंध अच्छे होते ही उन्हें सीधा मुद्दे की बात कह देता कि इस बार मुझे हेडबॉय के चुनाव में खड़ा होना है देख लाईयो यार.. सितंबर माह में घोषणा हुई आज हेडबॉय का चुनाव किया जाएगा। प्रचार के लिए बचे शेष घंटे आचार सहिता की तरह लग रहे थे। सभी से अपना मत दे के लिए सभी प्रत्याशियों का निवेदन विनती का दौर चल रहा था। उस दिन स्कूल में लगभग 250 छात्र आए हुए थे। प्रचार का समय खत्म होते ही सभी ने पर्ची में स्कूल हेडबॉय का नाम लिखकर मत देना शुरू किया। इस दौरान जूनियर मेरा काफी मनोबल बढ़ा रहे थे कि आप ही जीतेंगे भैया, निश्चित रहें हम सभी ने आपको मत दिए हैं। उनकी यह दिलासा मेरे अंदर उम्मीद की किरणें जगा रहीं थीं। छात्रों ने मतदान पूरा किया और शिक्षकों ने मतगणना शुरू की। मुझे तो बस नतीजे का इंतजार था। तभी कुछ देर में शिक्षक ने कहा, आज तो कमाल हो गया ललित को मत तो ज्यादा मिले हैं लेकिन जरुरत से ज्यादा मिल गए हैं! पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया, बाद में पता चला जितने स्कूल में छात्र नही पहुंचे थे उससे दो गुना मत मुझे मिलें थे। मन में काफी निराशा और सारी उम्मीदों में पानी फिर गया। स्कूल में सभी को भारी मतों से जिताने को कहा था जरूरत से ज्यादा मत देने को नही! यह करामत मेरे जूनियरों ने की थी।
अब हेडबॉय का फैसला प्राचार्य महोदय को करना था उन्होंने पुनः चुनाव करवाने को कहा। इस बार सभी ने उपस्थिति के आधार पर मत किया। यही से फैसला होना था कि स्कूल में कितने छात्र मुझे चाहते हैं लेकिन मन उदास होने से मुझे दूसरी बार विश्वास नहीं था कि सभी मुझे मत देंगे। दूसरी मतगणना ख़त्म हुई। प्राचार्य ने नतीजे घोषित करने सभी को हाल में बैठने को कहा। अब इंतजार केवल नतीजे सुनने का था। टीवी चैनलों की तरह पहले तो शिक्षको ने सभी छात्रों से एग्जिट पोल जानने को चाहा बताओ कौन जीतेगा..सभी ने एक स्वर में कहा ललित। फिर नतीजे घोषित किये गये मुझे हेडबॉय के लिए सर्वधिक 120 मत मिले और मैं 2014 का हेडबॉय चुना गया। छात्रों की तालियों से हाल गूंज उठा यह पल मेरे जिंदगी के सुनहरे और यादगार पलों में से एक बन गया। एक सपना था जो उस उम्र में पूरा हो चुका था जिसकी ख़ुशी जीवन के अंतिम समय तक जेहन में समाई रहेगी।