Ye ishq nahi aasaan - 3 - last part in Hindi Love Stories by Sohail K Saifi books and stories PDF | ये इश्क नहीं आसान - 3 - अंतिम भाग

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ये इश्क नहीं आसान - 3 - अंतिम भाग


अब नील का खेल शुरू होता है। वो एक दिन परिणीता के खाने में नींद की दवाई की ओवर डोज़ मिला कर उसको खिला देता है। जिसे खा कर परिणीता मरने की हालत में पहुँच जाती है। तभी उसको नील उठा कर हॉस्पिटल ले जा कर उसकी जान बचा लेता है। और हॉस्पिटल में पुलिस से झूठ बोलता है। " परिणीता ने सभी नींद की गोली उसके सामने खाई थी। वही दूसरी ओर पुलिस को ये भी बोलता है। " ये उसने सुसाइड अटेम्पट नहीं किया बल्कि मुझे यकीन है। ये सब उसने गलती से किया। इसलिए उससे पूछताछ न कि जाए। और फिर अपनी पहुँच का उपयोग करके उन पुलिस वाले को वहाँ से बिना परिणीता से मिले नील ने विदा कर दिया।

इन सब से हुआ ये के डॉक्टर और पुलिस की नज़रों में परिणीता एक मानसिक रोगी सिद्ध हो जाती है। जो बिना वजह अपनी जान लेने पर उतारू है। और नील एक ऐसा पति सिद्ध होता है। जो हर हाल में अपनी पत्नी की रक्षा करने पर तुला है।
दूसरे चैप्टर के अनुसार उसने परिणीता की सहेली आकांशा को किसी प्रकार परिणीता के मानसिक रोगी होने का विश्वास दिलाया। जिस पर चिंतित हो कर आकांशा कई मानसिक चिकित्सकों के पास जा कर उन से अपने और परिणीता के बीच हुए ऐसे इंसिडेंट को बताती है। जिसमें उसने खुद की जान लेने की कोशिश की थी और उनसे इसका कोई सटीक हल माँगती है। चिकित्सक आकांशा से परिणीता की स्वयं जांच करने के लिए बोलते हैं। पर आकांशा ये कह कर परिणीता को लाने से मना कर देती है। कि वो खुद को मानसिक रोगी नहीं मानती और किसी भी बात से साफ साफ मुकर जाती है। के उसने कभी ऐसा नहीं किया।
सबूत के तौर पर वो डॉक्टर को उस दिन की रिपोर्ट दिखती है। जिस दिन पुलिस के अनुसार उसने अपनी जान लेने की कोशिश की थी और उसकी जान बाल बाल बची, और इसको दिखाने के बाद आकांशा बोलती है। इस घटना का पूछने पर भी वो हर बार यही बोलती है। वो फ़ूड पॉइसनिग के कारण हॉस्पिटल पहुंची थी।
अब डॉक्टर को भी आकांशा की बातों पर यकीन हो जाता है। लेकिन वो उसको परिणीता के लिए कोई दवाई लिख कर नही देते।

अब अगले दिन आकांशा बेहद खुश एक घर में जाती है। और वहाँ पर नील पहले से ही मौजूद होता है जो आकांशा को गले लगा कर बड़ी खुशी से घूमा कर रुकता है। रुकते ही आकांशा बोलती है। अब हमारी कहाँनी का अंतिम पड़ाव आ गया है।

असल में आकांशा और परिणीता के बीच में ऐसी कोई बात नहीं हुई थी जो आकांशा ने डॉक्टर को बताई थी बस एक बात के सिवा जो पॉइसनिग वाली बात थी और वो भी परिणीता इसलिए बोलती है। क्योंकि नील ने परिणीता को उसके बीमार पड़ने का यही कारण बताया होता है।

अब नील आकांशा को एक छोटा पर तेज़ धार का चाकू देता है। और बोलता है।
" कल किसी तरह तुम इस पर परिणीता के उंगलियों के निशान ले लेना और फिर परिणीता की उपस्थिति में तुम अपने पेट में ये चाकू घोंप कर पुलिस को काल करना और परिणीता ने तुम्हें चाकू मारा है। ये बोलना मैं भी पास में होने के कारण पुलिस के आने से पहले तुम्हारे पास आ जाऊंगा ताकि गवाही दे सकूँ के परिणीता ने ही तुम्हें चाकू मारा है। उसके बाद वो पुलिस की हिरासत में होगी और हम उसको आसानी से मानसिक रोगी साबित करके। हमेशा के लिये पागल खाने भिजवा देंगे। इसके बाद फिर बस तुम और मैं इस दुनिया से कही दूर अपना एक आशियाना बनाएंगे। और दोनों एक बार फिर भावुक हो कर गले लगते है।


नील के प्लान के मुताबिक आकांशा वैसा ही करती है। और खुद को चाकू मार लेती है। तभी नील वहाँ आकर चौक ने का अभिनय करते हुए परिणीता पर चीखता चिल्लाता हुआ, उससे बोलता है। ये तुमने क्या किया। ये तुमने क्या कर दिया। परिणीता हैरान परेशान काँपते हुए, हालातों को समझने की कोशिश करती है। और नील को यकीन दिलाने लगती है। ये मैंने नहीं किया। मगर निल उसकी बात नहीं सुनता, तभी पुलिस साइरन बजने की आवाज़ आती है। और जैसे ही साइरन बन्द होता है। तो आकांशा अपनी जगह से उठ कर परिणीता के पास चली जाती है। ये देख कर नील कुछ समझ नहीं पाता के आखिर ये हो क्या रहा है। के तभी परिणीता एक विजय मुस्कान नील को दिखाती है। जिसे देख कर नील को कुछ कुछ समझ आ जाता है। और वो गुस्से में गाली बकता हुआ, आकांशा की ओर उसको मारने के लिए अपने कदम बढ़ाता है। तभी वहाँ पुलिस आ पहुँचती है। और नील को बेकाबू देख कर उसपर गोली चला देती है। नील एक गोली से नहीं रुकता तो मजबूरन पुलिस को उसे जान से मारना पड़ता है।
असल में कहाँनी नील और परिणीता की कभी थी ही नहीं बल्कि शुरू से ये कहाँनी परिणीता और आकांशा के प्रेम की थी आकांशा ने जब निल से चाकू लिया तो उसको साफ नहीं करा जिसके कारण उसके निशान भी चाकू पर थे और जब आकांशा ने पुलिस को काल की थी। तो नील का नाम लिया था। ना कि परिणीता का और आकांशा शुरू से ही नील के नजदीक इसलिए आई, ताकि वो और परिणीता मिल कर कुछ ऐसा करें जो रामा अनुज और नील को हमेशा लगता रहे के प्लान उनके ही हिसाब से चल रहा है। और वो सही समय आने पर दोनों को ठिकाने लगा कर एक दूसरे के साथ अपना जीवन बिताए।

और अब दोनों प्रेमी यानी आकांशा और परिणीता अपनी एक खुशनुमा और रंगीन दुनिया में बेपरवाह बिना रोक टोक के जी रहे है।