Prem do dilo ka - 1 in Hindi Fiction Stories by VANDANA VANI SINGH books and stories PDF | प्रेम दो दिलो का - 1

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प्रेम दो दिलो का - 1

इस कहानी की सुरुवात इक गाव से होती है। जो सहर से थोड़ा दूर है,जहा दो दिलो मे एक प्रेम उत्पन्न हो रहा था। प्रेमी और प्रेमिका एक दुसरे के दिल मे अपना घर बना रहे थे जिसकी उन दोनो को भी भनक ना थी की उनके साथ क्या होने लगा है। हम इस कहनी के पहले पन्नो के नामों का दर्सन करेंगे।
प्रेमी-निर्मल
प्रेमिका-नीरू
प्रेमी के माता पिता - रामा और कुंवर
प्रेमिका के माता पिता - रूमा और विजय
आगे के पात्रो का हम दर्सन आगे करेंगे । निर्मल लम्बा कद , घुंघराले बाल , बड़ी दो आँखें गुलाब की पंखुडि की तरह गुलाबी, होठ किसी फिल्मी नायक से कम नही। नीरू भी ऊचा कद , लम्बे काले बाल , कटीली आँखें , गोरा रन्ग और आवज तो जैसे शहद घोलती है।
निर्मल नीरू के घर दुध देने जाता था। निर्मल के पापा धन्धे से दुध और अच्छी किसानी करते थे । कुंवर और विजय की अच्छी दोस्ती के कारन निर्मल किसी भी वक्त्त घर आ जा सकता था।नीरू के और भाई बहन जैसे रुचि , रमन और राहुल थे
रमन से निर्मल की अच्छी दोस्ती हो गई।
अभी तक नीरू की उतनी बात निर्मल से ना होती थी। क्यों की निर्मल घर से दूर सहर में रहकर अपनी पढ़ाई करता है वह थोड़ा समय से घर रहने लगा है।
एक रोज नीरू को बुख़ार हो जाता है ।जब निर्मल घर गया तो नीरू दिखाई नहीं देती हैं वह किसी से पूछ भी नही सकता की नीरू कहा है वह चुपचाप दुध देकर अपने घर चला जाता है। तभी उसके घर के बाहर कोई निर्मल निर्मल तेज तेज से आवाज दे रहा होता है। जब बाहर निकलता है तो देखता है वहा तो रमन है।वह पुछता है तुम यहा अचानक से कैसे
रमन - दीदी की तबीयत बहुत खराब है।
निर्मल - क्या हुआ है कहा ( निर्मल घबरा कर पूछता है )।
रमन - ( उसको कहता है ) दीदी अपने कमरे मे है।
घर दूर होने के करण निर्मल जल्दी से अपनी साईकल निकालता है और नीरू की घर की तरफ चल पडता है। 500 मी. की दुरी किलोमीटर मे बदल गया हो जैसे
निर्मल सईकल को जल्दी से नीरू के दरवाजे पर खड़ा करता है।घर के अन्दर जाते ही चाची - चाची पुकारता है। रुचि बाहर आंगन मे आती है आओ भईया नीरू की तबीयत बिगड गयी है रोते हुए कहती है। निर्मल जल्दी से कमरे मे जाकर देखता है की नीरू आँख बन्द करके लेटी है । निर्मल को जैसे निरु को अपनी गोद मे भर लेने का मन होता है। वह रूमी से कहता है चाची जल्दी से पानी लाओ और रुचि को बूलाओ कहा है दिखाई नही दे रही है वह जल्दी के स्वर मे बोलता है। रूमा जल्दी पानी लाती है निर्मल नीरू को उठाते हुए पनी के छींटे मरता है। जैसे नीरू को होश आता है वह निर्मल के गले लग कर रोने लगती है । नीरू को इस बात की बिलकुल खबर नही रही की उसकी माँ भी मौजूद है। गाव मे कोई ठीक वेवस्था ना होने के वजह से नीरू को कही दिखाया नही जा सकता था । उसके पिता गावँ के अच्छे जमिदारो मे से थे। वह सहर गये हुए थे, तब कोई फोन न होने के वजह से उनसे सम्पर्क करना मुमकिन नही था ।