Kom Ke Dhongi in Hindi Moral Stories by Paras Vanodiya books and stories PDF | कोम का ढोंगी

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कोम का ढोंगी



भारत वर्ष में सदियों छे कहीं जाती के लोग बसते है इसमें पुराणों मे भी कहीं 4 जाती के लोगो का उल्लेख किया गया है इसमें लड़ने वाले को योद्धा, पढ़ाने वाले को ब्राम्हण कहा जाता है..
इसके बाद कहीं समय बीत जाता है मेरे ख्याल छे 200/300 साल ऑर भारत की जमीन पर बहुत सारी ऐसी भी जाती के लोग पाए जाते है जिस में कहीं बाहर छे आए है ऑर काफी सारे लोग भारत के है। हम सब जानते है कि हिन्दू लोग को भारत का माना जाता है ऑर पारसी, ख्रिस्ती ऑर मुस्लिम लोगो को बाहर का माना जाता है। बाहर का मतलब ओ लोग बाहर के देश में आकर यहां पर बस गए।

इसके बाद हिंदुस्तान को बिंसंप्रदाईक का दर्जा दिया गया इसमें सभी लोगो को जोभी धर्म या मजहब अपनाना हों तो ओ अपना सकते है। ए सिर्फ भारत देश मेही ही है।

इसमें
1) हिन्दू: ८०.५%
२) मुस्लिम: १३.४%
3) सीख: १.९%

मेरे हिसाब छे जो ये सभी जाती ओका आंकड़ा बता रहे है ओ गलत है। क्योंकि भारत जो बिंसप्रादायिक देश है। लोगो को जो मजहब पालना है ओ वो पाल सकता है तो इसमें हिन्दू के इतने है मुस्लिम के इतने है ए सब बता ने की क्या जरूरत है।

हमारे देश में एकता बहुत है सभी लोग मिल जुल कर रह रहे है। हम सब एक हैं। इसमें सभी लोग एक जैसे नहीं होते एक दो ही होते है जो पूरी कोम को या पूरे धर्म को बदनाम करते है। ऑर वो एक होता है जो पूरी कोम को बदनाम करता हैं जिसको हम कोम मा ढोंगी कहते है।

इसीलिए किसकी ने क्या खूब लिखा है

⚖️ नस्लों का करे जो बटवारा।
_रहेबर ओ कोम मा ढोंगी है।
_क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था।
_ या फिर राम ने मजीद थोड़ी है|🇮🇳

इस बात में बहुत कुछ सीखा गया है नाही राम ने मझीद तोड़ी है। ऑर नाही तो खुदा ने मंदिर तोड़ा है जो कुछ भी किया है ओ सब इंसानों ने किया है। ऑर इंसानों की इस लड़ाई में हम भगवान या खुदा को क्यों बीच में ला रहे है। क्या कभी हम हमारी स्कूल की लड़ाई में अपने मा बाप को बिचमे लाते है। "आज सभी लोगो को अपना मजहब प्यारा ऑर दूसरे क्या गलत ऐसा कहेने वाला कुत्तों की नस्लों का होता होगा"।

हम सभी लोगो को ए बात अपने दिमाग में फिट कर लेनी होगी कि हम दूसरे धर्म को गलत नहीं बोल सकते क्युकी जैसे हमारा धर्म हमे ए सिखाता है कि अपने धर्म की राह पर चलो तो उसका भी धर्म उसिको वहीं बताता है कि अपने धर्म की राह पर चलों। इसलिए हम उसको ए नहीं कह सकते कि तुम हमारे धर्म की राह पर चलों ऑर नाही ओ हमे कह सकते हैं।

ज्यादा से ज्यादा धर्मो की परिभाषा हमे यही सिखाते है जाहे गीता हो या फिर कुरान हो ओ हमे यही सिखाते है कि

"दूसरे धर्मो का आदर सत्कार करो नाही की उसको नीचा दिखाने की कोशिश करो।"
पर आज कल के लोग धर्म को नीचा दिखा नेकी कोशिश करते है ओ इंसान नहीं बल्कि कोम मा ढोंगी कहलाता है।....

🤲🏻मानो तो रमजान भी एक ही है।
🙏मानो तो श्रावण महीना भी एक ही है।