LASH in Hindi Human Science by Devendra Prasad books and stories PDF | लाश

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लाश

इस संसार में अगर को सत्य बात है तो वह है मृत्यु / एक न एक दिन सभी की मृत्यु आनी ही है चाहे कोई पशु हो पक्षी हो या इंसान हो सभी प्राणियों की मृत्यु निश्चित है जो भी प्राणी इस संसार में जन्मा है उन सब की मृत्यु तय है/ यह बात सभी धर्मो के ग्रंथो में भी दी गई है भगवान बुद्ध का क्षणिकवाद का सिध्यांत भी यही बतलाता है की जो वास्तु आज है वो कल नहीं हर किसी चीज की एक सीमा है और एक उद्देश्य है जब वह व्यक्ति या वास्तु अपने उद्देश्य को पूरा कर लेती है तो वह अपनी सीमा को पार कर जाती है जो उसका अंत अथार्त मृत्यु है भगवान ने भी जिन अवतारों में जनम लिया वे भी अपने उद्देश्य को प्राप्त कर अपने शरीर को त्याग चले / इस संसार में जब कोई बच्चा जन्मता है तो वह रो कर इस संसार में आता है क्योकि शायद उसे यह पता है कि यह संसार बहुत बुरा है और वह जानता है कि जिस दुनिया में वह जन्मा है उसे एक न एक दिन इसे छोड़कर जाना ही होगा / एक नव जन्मित बच्चे और एक लाश में यह अंतर होता है कि नव जन्मित बच्चा स्वयं रो कर अपने जीवित होने का संकेत देता है तो वही जब व्यक्ति मर जाता है तो उस समय वह नहीं बल्कि उसकी जगह दुसरे व्यक्ति रोते है / व्यक्ति अपने जनम से ही इस संसार के बंधन में जकड जाता है और उम्र बढ़ने के साथ साथ उसके अंदर क्रोध नफरत लालच तेजी से बढ़ने लगते है / मृत्यु जब आती है तो वह कोई न कोई बहाने के साथ आती है कभी दुर्घटना, कभी आपदा तो कभी बीमारी बनकर आती है \ जिन व्यक्तियों के साथ हम कई साल बिता देते है वे ही हमारी मृत्यु के बाद हमें भूल जाते है और इस संसार के परिवर्तन के साथ जीने लगते है शायद यही सत्य है और परिवर्तन के साथ जीना ही संसार का नियम है / व्यक्ति अपनी सारी जिंदगी सिर्फ लालच और पूंजी इकठ्ठा करने में बिता देता है और अपने जीवन में विलासिता वस्तुओं को पूरा करने में लगा रहता है लेकिन जब तक वो जीवित है तब तक ही इनका उपयोग कर सकता है मरने के बाद तो उसकी लाश के ऊपर लगाया गया कफ़न भी यही जल जाता है और जिस प्रकार वो इस संसार में खाली हाथ आया था उसी प्रकार खाली हाथ चला जाता है और उसके सगे सम्बन्धी जो उसकी लाश को लेकर समसान तक जाते है और कइयो के पास तो वहा जाने तक का समय नहीं रहता और जो बिरले जाते भी है वे भी यही पूछते है कि और कितना वक्त लगेगा / हमारे समाज के कुछ अनोखे रीती रिवाज ऐसे है जिनमे व्यक्ति जकड़ा हुआ है जिन्हे वह समाज के डर से करता है जिस व्यक्ति को जीते जी कभी पकवान नसीब नहीं हुए मरने के बाद उसके नाम से पकवान बनाकर लोगो को खिलाये जाते है / लेकिन यह भी सच है कि एक जिन्दा आदमी से ज्यादा लोग एक लाश को प्यार करते है वे लोग जो हमसे नफरत करते थे हमारे मरने के बाद वो भी हमें प्यार प्रगट करते है और वे लोग जो हमसे प्रेम करते थे धीरे धीरे हमें भूला देते थे सच में यही सत्य है और यही नियम है इस दुनिया में कोई किसी का नहीं होता लेकिन एक लाश कि इज्जत एक जीवित व्यक्ति से अधिक है /