Raghuvan ki kahaniya - shahad ke chor in Hindi Children Stories by Sandeep Shrivastava books and stories PDF | रघुवन की कहानियां - शहद के चोर

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रघुवन की कहानियां - शहद के चोर

रघुवन में ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हुए थे | मधुमक्खियों का दल दिन भर फूलों से रस चूसता और अपने छत्ते में जाके शहद बनाता| जब शहद से छत्ता भर जाता तो वो उसको अपने दोस्त भोलू भालू को खिलाती थीं | कोई और रघुवन का जानवर अगर शहद लेने जाता तो वो उसे भिन भिन कर के अपना गुस्सा दिखाती और फिर भी नहीं मानता तो उसे काट भी लेतीं | यही क्रम हमेशा चलते रहता |

रघुपुर गांव के रहने वाले लोग अक्सर लकड़ियां बटोरने के लिए रघुवन में आ जाते थे। ऐसे ही एक दिन कुछ लोग टहलते हुए आये | उन्होंने देखा की रघुवन में बहुत सारे मधुमक्खी के छत्ते हैं। एक आदमी बोला " वाह कितने सारे शहद से लदे हुए छत्ते हैं, कितना स्वादिष्ट और मीठा शहद होगा इनका तो"। दूसरा आदमी बोला "हां क्यों ना उनको तोड़ के शहद निकाला जाए।" उनमें एक बुज़ुर्ग बोला "अभी नहीं। मधुमक्खी हमें काट लेंगी। हम बाद में पूरी तैयारी से आएंगे।" फिर वो सारे लोग रघुवन से बाहर निकल गए।

रघुवन में सारे जानवर आज होने वाली घटना से अंजान थे। मधुमक्खियां रोज के जैसे फूलों से रस चूस के शहद बनाने के काम में लगीं हुई थीं। भोलू शहद खाने के लिए , रानी मधुमक्खी के निमंत्रण की प्रतीक्षा कर रहा था। सुबह बीतते ही रघुवन में गांव वाले प्रवेश किए। इस बार वो लोग अपने साथ कई औजार और डब्बे भी लेके आए थे। वे लोग मधुमक्खी के छत्ते की और चल रहे थे।

रघुवन में बाहरी आदमी की आहट जानवरों से छिपती नहीं है। लल्लू लक्कड़बग्घा दूर से ही सूंघ के आदमी के इरादे भांप गया। रघुवन में किसी भी प्रकार का नुक़सान वहां का कोई भी जानवर स्वीकार नहीं करता।

लल्लू ने अपने दोस्त टिल्लू तेंदुए को जाके सारी बात बताई। टिल्लू बोला "बस इतनी सी बात , चल अभी जाके उनको मजा चखाते हैं।" लल्लू और टिल्लू उन शहद के चोरों की दिशा में चल पड़े और जल्दी ही उनके पास पहुंच गए। वो लोग एक पेड़ के नीचे खड़े हुए थे। एक आदमी एक पेड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। टिल्लू ने जोर से एक दहाड़ मारी और झुरमुट से बाहर निकला। टिल्लू को देख कर उन लोगो की घिग्घी बन गई। पेड़ पर चढ़ा आदमी नीचे आके गिरा। एक चिल्लाया " भागो और सारे भागने लगा।" नीचे गिरा आदमी चिल्लाया "मुझे भी उठाओ। मुझसे उठा नहीं जा रहा।" वो लोग वापिस आए और उसे कंधे पे उठा के भागे। टिल्लू ने एक दहाड़ और मारी वो लोग सरपट तेज तेज भाग खड़े हुए।

लल्लू और टिल्लू ने मधुमक्खी के छत्ते और शहद को बचा लिया। थोड़ी देर में रानी मधुमक्खी ने भोलू को आमंत्रित किया।

भोलू, लल्लू, टिल्लू सबने मिल कर बहुत सारा शहद खाया। मधुमक्खियों ने चोरों से उनका शहद बचाने के लिए सबका धन्यवाद किया। सबने रानी मधुमक्खी का अभिवादन किया।

सभी लोग चोरों पर मिली विजय से बहुत खुश थे।

फिर सबने मिलके पार्टी की।

नोट: यह एक कल्पकथा है और पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी गई है।