मैं बस सोने ही जा रही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई, मैंने घड़ी में time देखा तो दस बज रहे थे, मैंने सोचा इतनी समय कौन हो सकता है, दरवाजा खोला तो सामने सुलक्षणा खड़ी थी मेरे बचपन की सहेली__
अरे,तू इतनी रात को,ना कोई phone ना कोई खबर और अकेले कैसे आ गई,तेरी तो बहुत तबियत खराब थी___
सब दरवाजे पर ही पूछ लेंगी कि अन्दर भी आने देगी, लगता है राधिका तुझे मेरे आने से खुशी नहीं हुई जो तू इतने सवाल पूछ रही हैं........
अरे नहीं,तू अचानक बिना खबर दिए आ गई तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा, चल अंदर आजा ,तेरा सामान कहां है?और सुना कैसी है__राधिका ने पूछा।
मैं तो ठीक हूं,वो क्या है ना मेरा बेटा सौरभ है ना ,इलाहाबाद अपने पास लाया था इलाज के लिए तो मैं वहीं से वानारस की बस पकड़ कर तुझसे मिलने चली आई सोचा रातभर रूककर सुबह वापस आ जाऊंगी इसलिए कुछ सामान भी नहीं लाई ,सुलक्षणा बोली।
और मुझे तो बहुत भूख लग रही है, इलाहाबाद में ही भूख लग आई थी लेकिन मैंने सोचा राधिका के साथ ही खाना खाऊंगी,सुलक्षणा बोली।
अच्छा चल हाथ-मुंह धोकर कपड़े बदल ले, मैं अभी अपने कपड़े दे देती हूं, हम दोनों तो हमेशा पहले भी एक-दूसरे के कपड़े पहन लेते थे, फिर कुछ खाने का भी साथ मिलकर कर लेंगे,तू कपड़े बदल जब तक मैं अदरक वाली चाय बनाती हूं तेरे लिए, राधिका बोली।
सुलक्षणा change करके आ गई,चाय पी और बोली खाने को कुछ है,
राधिका बोली सुबह की भिंन्डी की सब्जी है, जीरा आलूहै, और चार-पांच रोटियां होगी, सुबह रवि की flight थी दिल्ली जाना था कुछ जरूरी meeting थी, तो सुबह ग्यारह बजे खाना खा कर गये थे तभी बनाया था
ऐसा कर रोटियां तो है थोड़ा गर्म चावल बना लेते हैं और एक सब्जी बना लेते हैं, fridge में क्या-क्या है? सुलक्षणा बोली।
कुछ बैंगन पड़े होंगे, कुछ हरी धनिया होगी,
यार, ऐसा कर तू भरवां बैंगन अच्छा बनाती है, राधिका ने कहा, वहीं बना लें और दोनों ने मिलकर खाना बनाया और खाकर बिस्तर पर आकर बातें करते-करते सो गई।
राधिका की रात में अचानक नींद खुली, घड़ी देखी तो दस बजा रही थी, घड़ी रूकी हुई है, लगता है घड़ी की battery खत्म हो गई है, उसने phone उठाया तो switch off था, उसने जैसे ही phone charging में लगाया रवि का phone आ गया, उसने उठाया तो रवि बोला कब से phone लगा रहा हूं, landline भी मिलाया लेकिन शायद dead पड़ा है, नेहा भी Bangalore से try कर रही थी लेकिन उसने भी कहा कि मां का phone नहीं लग रहा है,उधर दीपक भी जयपुर से try कर रहा था उसने भी कहा कि मां का phone नहीं लग रहा है,अब जाके रात को तीन बजे तुम्हारा phone लगा है।
अच्छा मेरी बात सुनो मैं सुबह नौ बजे तक पहुंच जाऊंगा और तुम तैयार रहना , हमें इलाहाबाद के लिए निकलना है वो तुम्हारी सहेली सुलक्षणा उसके बेटे का phone आया था कि वो अब नहीं रही और रवि ने phone काट दिया
राधिका हैरत में पड़ गई, तो वो कौन आई थी, उसने सब जगह check किया , बिस्तर पे भी कोई नहीं था, kitchen भी सब ब्यवस्थित था, और खुद के कपड़े जो उसने सुलक्षणा को दिए थे वो भी तह करके रखें थे और सोचा शायद सपना होगा, यही सोचते-सोचते वो सो गई।
सुबह छै बजे phone का अलार्म बज उठा, इतने में सुशीला ने जो कामवाली थी घंटी बजाई, राधिका ने दरवाजा खोला।
राधिका ने कहा जल्दी से झाड़ू-पोछा करले, क्योंकि बर्तन तो तू शाम को धोकर गई थी फिर मैंने खाना नहीं बनाया।
और जो fridge में खाना है उसे निकाल कर अपने लिए रख ले और बर्तन धो लें, हमें कहीं निकलना है,नौ बजे तक साहब आ जाएंगे।
सुशीला ने पूछा, कहां जाना है?
मेरी बचपन की सहेली नहीं रही इसलिए इलाहाबाद जाना है,
और सुशीला ने fridge से खाना निकाला, भिंडी की सब्जी और जीरा आलू
और सुशीला अचानक बोल पड़ी___
आप तो कह रही थी कि, आपने शाम को कुछ नहीं बनाया,ये भरवां-बैगन कहां से आए........
राधिका ये सुन कर वहीं सोफे पे बैठ गई।
सरोज वर्मा_____