अध्याय 2
अभिनेत्री और प्रेमी
पायल चटर्जी ‘भीका जी कामा प्लेस’ के पास बस से उतरी और अपनी सहेली के फ्लैट की ओर बढ़ चली, जो एक बहुमंजिली हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में था। उसने फैंसी लाइटों के एक बड़े शोरूम की खिड़की के सामने ठहर कर, उसके शीशे में अपना अक्स को निहारा और इतरा कर मुस्कुराते हुए गर्दन को जुम्बिश दी। उसने एक निहायत ही ख़ूबसूरत युवती को देखा था,, जिसका महताबी चेहरा असीम जीजीविषा से परिपूर्ण था। उसके काले लम्बे बाल कंधों के नीचे तक थे। भौंहें अच्छे से तराशी हुईं तथा आँखें बादाम के आकार की और बिल्लौरी थीं। उसकी ठुड्डी चेहरे को एक आकर्षक आकार प्रदान करती थी। उसकी उँगलियों के लम्बे नाखूनों पर लाल रंग चढ़ा हुआ था और हथेलियाँ बिल्ली के पंजों जैसी थी - जैसा कि उसके मित्र भी कहा करते थे। वह पांच फीट तीन इंच लम्बी और हष्ट-पुष्ट देह वाली थी। वह सफ़ेद शर्ट, भूरी पतलून और काले मखमल की हाई-हील सैंडल पहने हुए थी। उसने शीशे से अपनी झलक हटाई और एक बार फिर आत्मविश्वास से दमकता चेहरा ऊपर उठाये हुए भीड़ से अलग अपनी एक विशिष्ट चाल से चल पड़ी। उस वक्त दोपहर के डेढ़ बज रहे थे, जब वह फ्लैट के डोरबेल को बजा रही थी। उसकी सहेली ने दरवाजा खोला। उसने नाईटी पहना हुआ था और बालों को पीछे की ओर ‘पोनी टेल’ की शक्ल में बांधा हुआ था। शालिनी भी पायल के उम्र की एक ख़ूबसूरत युवती थी, लेकिन वह उससे तीन इंच ज्यादा लम्बी थी और उसके बाल भी थोड़े घने थे।
“आओ डार्लिंग।” उसने पायल को अन्दर आने का रास्ता देते हुए स्वागत भरे लहजे में कहा। ‘डार्लिंग’ शालिनी का रटा-रटाया शब्द था। ग्रेगरी पेक से लेकर उनके भारतीय संस्करण देवानंद तक सभी, जिनमें पायल भी शामिल थी, उसके ‘डार्लिंग’ थे।
“क्या तुम अभी तक नहायी नहीं हो?” पायल ने फ्लैट में दाखिल होते हुए पूछा- “क्या तुम्हें मालूम भी है कि ये दिन कौन सा समय है?”
“क्या तुम गुड़गाँव के कॉल सेंटर की मेरी नौकरी के बारे में जानते हुए भी मुझसे ये आशा करती हो कि मैं जल्दी नहा लूं? वह भी तब, जब पूरी रात ड्यूटी करने के बाद सुबह-सुबह लौटी होऊँ?” शालिनी ने फ्लैट का दरवाजा बंद करके सोफे पर पायल के बगल में बैठते हुए कहा और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए आगे पूछा- “बताओ डार्लिंग। कास्टिंग डायरेक्टर के साथ तुम्हारी मुलाक़ात कैसी रही?”
“काम नहीं मिला”
“उसने किसी और को क्यों चुन लिया?” शालिनी ने पोजीशन बदलकर पैरों को एक के ऊपर एक रखकर बैठते हुए पूछा- “क्या तुमने उसे कुछ ‘और’ ऑफर नहीं किया था?”
“तुम सोचती हो कि मैं उस प्रकार की लड़की हूँ?”
“तुम उस तरह की लड़की नहीं हो डार्लिंग।” शालिनी ने दार्शनिक लहजे में कहा- “लेकिन ये मर्द हमेशा अपनी वाहियात चालें चलते रहते हैं।”
“वह छिछोरा था और मुझे ऐसे घूर रहा था, जैसे मुझसे पहले उसने कोई लड़की ही न देखी हो। ये पुरुष हमेशा एक ही घटिया बात सोचने के अलावा कुछ और क्यों नहीं सोच सकते हैं?”
“हम्म। जबकि वे ग्रेगरी पेक, देव आनंद या शशि कपूर की तुलना में बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं।”
“तुमसे बहस करना बेकार है। बाई द वे, आज लंच में क्या है? मुझे तेज भूख लग रही है।”
“अगर तुम्हें लंच करना है तो ये तुम्हें खुद से ही बनाना होगा। फिलहाल मेरा इरादा जमकर नहाने का है।”
“क्यों? क्या आज कुछ स्पेशल है?”
“हाँ। नरेश आया हुआ है। सुबह तुम्हारे जाने के बाद उसने कॉल किया था। वह शाम को हम दोनों को लेने आयेगा और फिर हम बाहर गुड़गांव के किसी फाइव स्टार होटल में डिनर करने जायेंगे।”
“तुम दोनों के बीच मैं क्या करूंगी? केवल तुम दोनों ही जाना। मैं रात के खाने में अपने लिए कुछ बना लूंगी।”
“ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं हो सकता कि शालिनी अपनी मासूम सी पायल को अकेले छोड़कर जाए। मैंने नरेश से बात कर लिया है। उसने तुम्हारे लिए एक जवान और ख़ूबसूरत बन्दे के साथ डेट फिक्स किया है, जो कनाट प्लेस के एक ट्रेवल एजेंसी में काम करता है और तुम्हारी ही तरह सिंगल है।”
“मेरा मूड नहीं है शालू, सच में।”
“वह पूरी तरह से सभ्य इंसान है। नरेश ने आश्वस्त किया है कि वह घटिया किस्म की छिछोरी हरकतें करने वालों में से नहीं है। उसका नाम अभय बतरा है और वह स्कूल के दिनों से ही नरेश का दोस्त है। अब प्लीज ना मत कहना। नरेश ने पहले ही उसे हमारा साथ देने के लिए मना लिया है और अब अगर तुम
उदारता नहीं बरतोगी तो ये हम दोनों के लिए बेहद शर्मिन्दगी भरा होगा।”
“ठीक है।” पायल ने कहा- “अगर तुम इतना जिद कर रही हो तो मैं भी आ जाऊँगी।”
“लव यू डार्लिंग।” शालिनी ने उसके गाल पर एक छोटा सा चुम्बन जड़ा और वाल क्लॉक की ओर देखते हुए बोली- “हे भगवान। समय तो देखो...। तुम लंच तैयार करो। मैंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया है।”
“ठीक है मैं जाकर लंच में कुछ बनाती हूँ।” पायल ने उठते हुए कहा जबकि उसकी सहेली बाथरूम में चली गयी।
पायल फ्लैट के बेडरूम में कपड़े बदलते हुये शालिनी के छ: फीट लम्बे बॉयफ्रेंड नरेश खुराना के बारे में सोचने लगी। वह अपनी मूछों के साथ बेहद आकर्षक और रोबीला नजर आता था, लेकिन वह या उसके जैसा कोई अन्य पुरुष पायल की तलाश नहीं था। बच्चों से भरा वैवाहिक जीवन उसके लिए नहीं था, क्योंकि वह अभिनय के क्षेत्र में एक लम्बी पारी खेलने का मन बना चुकी थी। किचन में सेम की सब्जी तैयार करते हुए पायल अपने पिता के बारे में सोचने लगी, जिनके वह बेहद करीब थी। आज वे उसकी तरक्की के बारे में सुनकर कितना खुश होते। वह हर एक दिन के अंतराल पर उन्हें फोन किया करती थी। वह अपनी माँ, जो उसके एकमात्र संतान होने के बावजूद भी उसके प्रति बेहद सख्त थीं, की बजाय पिता के साथ ज्यादा सहज थी। वहीं दूसरी ओर शालिनी अपनी माँ के करीब थी, जो उसे न्यू जर्सी से हर रोज फोन करती थीं। पिता द्वारा हर महीने भरे जाने वाले तगड़े बिल से बेपरवाह होकर शालिनी को देर तक बात करने की आदत थी। इसके पीछे उसका साधारण सा तर्क ये होता था कि जब पापा, मम्मी को उससे दूर ले गए हैं, तो उसके एवज में ये बहुत थोड़ा ही है, जो वे उन दोनों के लिए सहजता से कर सकते हैं। यहाँ तक कि वह अंतरराष्ट्रीय फोन कॉल पर मम्मी से उनकी रेसिपीज पूछने के साथ-साथ इस बारे में भी बात करती थी कि उसने क्या खाया है।
जयपुर और बंगलौर में शालिनी की चचेरी बहनें भी थीं, जो हर महीने उससे मिलने आती थीं, लेकिन जब शालिनी की मौसी उसके साथ रहने आती थीं तो वे पायल की जिंदिगी हराम कर देती थीं। वे अमेरिका में रहने वाली अपनी डॉक्टर बहन के एन उलट रुढीवादी, संकीर्ण सोच वाली और केवल दसवीं तक पढ़ी हुई एक उम्रदराज महिला थीं, जो शालिनी की हर चीज़ और रहन-सहन की बुराई करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती थीं। वे विशेष रूप से पायल के प्रति कुंठित और गंदी और घृणात्मक सोच रखती थीं। ब्राह्मण परिवार में व्याहिता होने के कारण वे मछली खाने वाली बंगाली लड़की को असहमति और संदेह की दृष्टि से देखती थीं। उन्होंने शालिनी को इस बात के लिए मनाने का बहुत प्रयास किया था कि वह उसे फ्लैट से बाहर कर दे, लेकिन वह असफल रही थीं।
पायल उस चालबाज और चिड़चिड़ी बुढ़िया को नजरअंदाज करने का भरसक प्रयास करती थी। उसने कई बार उस वह फ्लैट से निकल जाने और अलग रहने का फैसला भी कर लेती थी लेकिन वहन न किया जा सकने वाला अत्यधिक किराया, असुरक्षा की भावना और शालिनी की नाराजगी, उसे अपना फैसला स्थगित करने पर विवश कर देती थी।
खाने से आती भाप ने उसे विचारों से बाहर लाया और वह कुकिंग पर ध्यान केन्द्रित करने लगी। हालांकि वह शानदार डेट के नाम पर शालिनी के बॉयफ्रेंड के साथ आने वाले शख्स के प्रति ज्यादा उत्साहित नहीं थी, किन्तु फिर भी उसे थोड़ी बहुत तरजीह देना चाहती थी।
बहिर्मुखी और दबंग स्वभाव वाली उन दोनों लड़कियों के लिए चकाचौंध रौशनी से भरी वह रात रोमांचक और मजेदार थी। विशेष रूप से पायल के लिए, जो कि हालांकि किसी छोटे शहर से तो नहीं थी लेकिन पर्यटकों से भरा रहने वाला उसका पैदाइशी शहर शिमला, दिल्ली या उससे सटे हुए शहर गुड़गांव की तुलना नहीं कर सकता था। काले शीशे वाली ‘फोर्ड एण्डेवर’ में शुरू हुई उनकी यात्रा शानदार थी। वे शहर के उन बढ़िया सड़कों से गुजरे, जो हमेशा चर्चित हस्तियों, अमीरजादों और महानगर के शिक्षित पेशेवरों की महंगी कारों से भरी रहती थी।
ये युवा, उत्साही, सुसंस्कृत, सभ्य और नए आधुनिक भारत का चेहरा था, जो उस भारत से बिल्कुल अलग था, जो कभी पाश्चिम में हाथियों, सपेरों और ताजमहल के देश के रूप में जाना जाता था। अभय ने गाड़ी को ‘लीला’ होटल की पार्किंग जोन में ला खड़ा किया। लाल पगड़ी वाले यूनिफार्म में सुसज्जित दरबान ने पायल, शालिनी, नरेश और अभय का झुककर स्वागत किया। पायल पाँचतारा होटलों के माहौल से अनजान नहीं थी, लेकिन फिर भी वह ऎश्वर्यशाली होटल और उसकी बड़ी लॉबी को देखकर हैरान रह गई। वह सोचने लगी कि सफल अभिनेत्री बन जाने के बाद वह भी ऐसी ही जगहों पर ठहरेगी। यह विचार मात्र ही उसे अनंत ऊंचाइयों तक उड़ाने के लिए पर्याप्त था।
रेस्टोरेंट में पहुंचकर डिनर का ऑर्डर करने के बाद उन्होंने बातचीत का सिलसिला शुरू किया। नरेश ने कहा - “मैं फ्लैट पर थोड़ा सा औपचारिक परिचय तो पहले ही दे चुका हूँ, क्यों न अब हम इस शैम्पेन के जरिये रिश्तों पर जमी हुई बर्फ को पिघलाए?”
उन्होंने क्रिस्टल के महंगे गिलास को उठाऐ और ‘चीयर्स’ बोलते हुए उन्हें आपस में खानकाया । पायल ऊंची कद-काठी वाले नरेश से भली-भांति परिचित थी, जो कि अपना वक्त सामान रूप से इंग्लैंड और इंडिया में गुजरता था, जहाँ क्रमश: उसके माँ-बाप और दादा-दादी रहते थे। वह महंगे सूट, सिल्क शर्ट तथा काली पतलून पहने था और हमेशा की तरह रोबीला नजर आ रहा था। पायल हमेशा ही उसके बालों को सलीके से कढ़ा हुआ पाती थी। वह पायल को हमेशा बॉलीवुड एक्टर जैकी श्रॉफ की याद दिलाता था।
पायल ने देखा कि नरेश का दोस्त अभय बतरा, जो की उसकी ‘ब्लाइंड डेट’ था, वह लगभग तीस-पैंतीस साल का एक नौजवान था। उसका शरीर भारी था और वह समय से पहले आधा गंजा हो चुका था। उसने डायमंड पिन के साथ अच्छा सा सूट पहना हुआ था। वह स्वभाव से शर्मीलाऔर अंतर्मुखी लगता था। वह चमकदार हीरे से जड़ी प्लैटिनम की अंगूठी और कलाई में महंगी रोलेक्स घड़ी पहने हुए था। यह सब उसके धनवान होना साबित करता था। पायल ने उसे कई दफे अपनी ओर घूरता पाया था, किन्तु नजर पड़ते ही वह तुरंत दृष्टि घुमा लेता था।
“तो आप कनाट प्लेस की ट्रेवल एजेंसी में काम करते हैं?” पायल ने पूछा।
“हाँ।” उसने उत्तर दिया, जबकि शालिनी और नरेश आपस में बात करने लगे थे- “मैं एस.इ.टी.ओ. वर्ल्ड ट्रेवल में असिस्टेंट डायरेक्टर हूँ। भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में हमारी शाखाएं हैं। भारत और विदेशों के टूर पैकेज के साथ-साथ हम एयर टिकट और लग्जरी शिप बुकिंग जैसी सभी सुविधाएं प्रदान करते हैं।”
“अच्छा है।” वह प्रभावित तो हुई किन्तु प्रत्यक्ष में उसने सामान्य स्वर में ही कहा।
“और आप मॉडलिंग करती हैं?”
“असल में मै एक्टिंग करती हूँ।" उसने उत्तर दिया- “मैं शिमला से हूँ और यहाँ टेलीविजन सीरियलों में अवसर की तलाश में आयी हूँ और फिल्मों के लिए भी, अगर चांस मिला तो।”
“क्या आपको अब तक कोई सफलता मिली हैं?”
“इसने अपने होमटाउन में एक ब्यूटी कांटेस्ट जीता था।” शालिनी ने बीच में टोका- “ये कितनी ख़ूबसूरत है, नहीं?”
“हाँ। ये...बहुत ख़ूबसूरत हैं।” अभय के मुंह से निकल पड़ा।
“आप मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हैं।” पायल ने शरारती ढंग से पूछा।
“बिल्कुल भी नहीं। मैं आपको सच बता रहा हूँ। मेरा हर रोज लड़कियों के साथ मिलना-जुलना होता है, लेकिन मैंने आप जैसी लड़की आज तक नहीं देखी। आपकी आँखें बाल, चेहरा , स्किन सबकुछ परफेक्ट है।”
“काश कि ये टेलीविजन सीरियल के प्रोड्यूसर होते। तुम क्या कहती हो डार्लिंग?” शालिनी ने कहा।
सभी हंस पड़े और मेज पर सर्व किये हुए जायकेदार डिनर का लुत्फ़ उठाने लगे। दिल्ली की पंजाबन होने के कारण शालिनी मुगलाई खाने पर टूट पड़ी, जबकि नरेश ने और भी बहुत कुछ आर्डर किया हुआ था, जिनमें से अभय और पायल ने थोड़ा-थोड़ा सभी कुछ लेना पसंद किया, ताकि वह हर व्यंजन का लुत्फ़ उठा सकें। उन्होंने थाई भोजन को चुना और झींगा मछली के सॉस की स्वाद से भरपूर हरे पपीते के सलाद के साथ शुरुआत किया। डिनर में मुख्य कोर्स में सफेद चावल के साथ झींगा कढ़ी थी। जहाँ पुरुषों ने स्कॉच को प्राथमिकता दी, वहीं शालिनी ने ‘ब्लडी मेरी’ (एक प्रकार का कॉकटेल) का आर्डर दिया, पायल ने सिर्फ थोड़ी सी पी थी, जो उसके हिसाब से उस शाम के लिए पर्याप्त था।
“आप कहां रहते हैं मि. अभय?” ‘डेसर्ट’ (भोजनोपरान्त परोसा जाने वाले मीठा) में ताज़ा फलों से भरी फ्रूट क्रीम की कटोरी आ जाने के बाद पायल ने पूछा।
“मैं राजौरी गार्डन में एक बंगले में रहता हूं।”
“आपके माता-पिता और बाकी लोग?”
“दो साल पहले मेरे माता-पिता एक कार-दुर्घटना में मारे गये। मेरा कोई भी भाई बहन नहीं है, इसलिए उनकी जाने का बाद में एकदम अकेला हूं।”
“ओह। सुनकर दुख हुआ।”
“कोई बात नहीं। आप अपने बारे में बताइए।”
“मेरे पापा शिमला के एक रेजॉर्ट में सीनियर मैनेजर हैं और मम्मी गृहिणी हैं। मैंने लॉरीटो कॉन्वेंट से स्कूलिंग की है और शहर के ही एक कॉलेज से आगे की पढ़ाई की है।”
“मैंने मॉडर्न स्कूल से स्कूलिंग की है और भगत सिंह कॉलेज से ग्रेजुएशन। मैं कनाट प्लेस में एक ट्रवेल फर्म के लिए काम करता हूं।”
“आपकी रुचियाँ और शौक क्या-क्या हैं?”
“म्युजिक सुनना, किताबें पढ़ना, इंटरनेट, घूमना-फिरना, फिल्में देखना और कभी-कभी टेलीविजन भी। यानी कि वह सभी कुछ, जो एक सामान्य आदमी करता है।”
‘डेसर्ट’ खत्म करके वे रेस्टोरेंट से बाहर आए और वापस दिल्ली के लिए चल पड़े। पूरी रात काम करने वाले ऑफ़िस और कॉल सेन्टर्स के इमारतों की लाइटें जल चुकी थीं। हाइवे के किनारे मौजूद वे ऊंची इमारतें एक शानदार नज़ारा प्रस्तुत कर रही थीं। वीकेंड होने के कारण ट्रैफिक भारी था, लेकिन अभय ने अपने कुशल चालक होने का परिचय दिया और पौने एक बजे तक दोनों लड़कियों को उनकी बिल्डिंग के सामने छोड़ दिया। एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह उसने उन दोनों के बिल्डिंग-कम्पाउण्ड में सुरक्षित दाखिल हो जाने तक प्रतीक्षा भी की। नरेश को उसने पहले ही साकेत में ड्रॉप कर दिया था। पायल और शालिनी को गुडबॉय कहने के बाद वह अकेले अपने घर को रवाना हो गया।
क्रमशः
फिर क्या हुआ? जानने के लिए अगली कड़ी का इंतज़ार करे.
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