बिखरते सपने
(6)
ट्रिन.........ट्रिन......ट्रिन....
डोरबेल की आवाज सुनकर, ‘‘पता नहीं कौन है...? बार-बार बेल बजा रहा है...।’’
सपना जाकर दरवाजा खोलती है। सामने मिस्टर गुप्ता को देखकर,‘‘शिकायती लहजे में कहती है, ‘‘आपने भी हद कर दी, बार-बार घण्टी बजाये जा रहे हैं...आवाज नहीं दे सकते थे।’’
मिस्टर गुप्ता सपना की बात को अनसुना करते हुए खुशी से उछल कर कहते हैं, ‘‘सपना, आज मैं बहुत..बहुत...बहुत खुश हूं...।’’
‘‘अच्छा, क्या आपका परमोशन हो गया, या कहीं कोई गड़ा हुआ खजाना मिल गया...?’’
‘‘सपना, अगर खजाना मिल जाता या मेरा परमोशन हो जाता, तो मुझे इतनी खुशी नहीं होती।’’
‘‘तो फिर क्या मिल गया...?’’
‘‘लो, पहले मिठाई खाओ, फिर बताऊंगा, कि मैं आज इतना खुश क्यों हूं...?’’
मिठाई का डिब्बा सपना की तरफ बढ़ाते हुए मिस्टर गुप्ता ने कहा, तो सपना ने डिब्बे में से मिठाई का एक पीस ले लिया और कहने लगीं, ‘‘हां, अब बताओ, क्या बात है, क्यों हो रही है आपको इतनी खुशी...?’’
ब्रीफकेस एक तरफ रखकर, सोफे पे बैठते हुए भाव-विभोर होकर, ‘‘सपना, मुझे ऐसा लगा रहा है, जैसे अब मेरे सारे सपने, सारे अरमान पूरे हो जायेेंगे।’’
‘‘हूं...हूं...अपनी लगाये चले जा रहे हैं....जो मैं पूछ रही हूं, वो नहीं बता रह हैं।’’
‘‘सपना, तुम सुनोगी, तो तुम भी खुशी से उछल पड़ोगी...सपना, आज रोहन ने मेरे आॅफिस में फोन किया था...जानती हो उसने फोन पर क्या कहा था...?’’
‘‘हाँ, जानती हूं क्या कहा था।’’
‘‘अच्छा, जानती हो तो बताओ क्या कहा था उसने...?’’
‘‘यही कि अपने मुन्ना का जूनियर बैडमिन्टन टूर्नामेंट के लिये सेलेक्शन हो गया है।’’
‘‘सपना की बात पर मिस्टर गुप्ता चैंक कर कहते हैं, ‘‘अच्छा, इसका मतलब रोहन ने तुम्हें भी फोन कर के बता दिया...। गुड़ गोबर, सब गुड़ गोबर ....रोहन ने सब गुड़-गोबर कर दिया....सपना मैं तो तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था, लेकिन, सब बेकार हो गया। ...अच्छा रोहन ने तुमसे और क्या-क्या कहा...?’’
‘‘आप गलतफहमी में हैं, मुझे रोहन भईया ने नहीं, बल्कि अपने मुन्ना ने बताया था।’’
‘‘मुन्ना ने बताया...? इसका मतलब मेरा मिठाई लाना भी बेकार रहा...।’’
‘‘चलो, इस बहाने आपकी जेब से मिठाई के लिए पैसे तो निकले, वरना आप जैसे कंजूस इंसान से मिठाई की उम्मीद करना बेकार है।’’ सपना ने मजाक करते हुए कहा।
उसी समय मुन्ना और स्नेहा भी वहां आ जाते हैं। दोनों ने मिस्टर गुप्ता से कहा,‘‘गुड इवनिंग पापा।’’
‘‘गुड इवनिंग बच्चो।’’
‘‘पापा आपके लिए एक गुड न्यूज है, सुनेंगे तो खुशी से उछल पड़ेंगे।’’ मुन्ना ने खुशी से उछलते हुए कहा, तो वह एकदम बोले, ‘‘बस रहने दो, मुझे मालूम है तुम्हारी गुड न्यूज। तुम्हारी उसी न्यूज के चक्कर में मेरा दो-तीन सौ रुपये का नुकसान हो गया।’’
मिस्टर गुप्ता की बात पर सपना जोर से हँसती है, तो मुन्ना कहता है, ‘‘क्या हुआ मम्मी, आप हँस क्यों रही हैं...?’’
‘‘लो, पहले मिठाई खाओ, फिर बताऊंगी, कि मैं क्यों हँस रही हूं...।’’
पहले स्नेहा मिठाई लेती है फिर मुन्ना डिब्बे में से मिठाई का पीस लेकर मुँह में रखता ही है कि एकदम उसके मुँह से दर्द भरी कराह निकलती है। उसके हाथ से मिठाई का पीस गिर जाता है। वह अपना सीना पकड़कर जमीन पर बैठ जाता है। मिस्टर गुप्ता और सपना घबरा जाते हैं।
दोनों एकसाथ मुन्ना से कहते हैं, ‘‘क्या हुआ...?’’ मुन्ना कुछ नहीं बोलता है, बस अपना सीना पकड़कर दर्द से अजीब मुँह बनाता है तो सपना और घबरा जाती है और कहती है, ’’अरे, क्या हो गया मेरे बेटे को...मुन्ना...मुन्ना...।’’
‘‘घबराओ नहीं सपना, सब ठीक हो जायेगा, .स्नेहा...जा जल्दी से डॉक्टर सिन्हा को फोन करके कहना कि भईया की अचानक तबियत खराब हो गयी है, पापा ने आपको तुरंत घर बुलाया है।’’
‘‘ठीक है पापा, मैं सिंन्हा अंकल को फोन करती हूँ...। कहकर वह डॉक्टर सिन्हा को फोन करती है।
ट्रिन.........ट्रिन......ट्रिन....
डॉक्टर सिन्हा, फोन रिसीव करते हुए, ‘‘हेलो....कौन...?’’
स्नेहा एकदम घबराकर कहती है, ‘‘हेलो अंकल, मैं मिस्टर गुप्ता की बेटी स्नेहा बोल रही हूँ..।’’
‘‘हाँ स्नेहा बेटी, बोलो क्या बात है...?’’
‘‘अंकल, मुन्ना की अचानक तबियत खराब हो गयी है, पापा ने आपको तुरंत घर पर बुलाया है।’’
‘‘ठीक बेटी, पापा से कहना परेशान न हों, मैं आ रहा हूं।’’
‘‘ओ.के. अंकल।’’ कहकर स्नेहा फोन रखकर मुन्ना और अपने मम्मी-पापा के पास आती है। उसे देखकर मिस्टर गुप्ता कहते हैं, ‘‘क्या हुआ...? डॉक्टर सिन्हा से बात हुई...?’’
‘‘हाँ पापा, वह यहां आने के लिए चल दिये हैं।’’
‘‘यह अचानक मेरे बेटे को क्या हो गया...?’’ सपना लगभग रोते हुए बोली।
‘‘घबराओ नहीं सपना, डॉक्टर सिन्हा आने वाले हैं, सब ठीक हो जायेगा।’’
मिस्टर गुप्ता की बात पूरी होने से पहले ही डोर बेल बजती है। मिस्टर गुप्ता स्नेहा से कहते हैं, ‘‘बेटा, देख शायद डॉक्टर सिन्हा आ गये।’’
स्नेहा दरवाजा खोलती है। दरवाजा खुलते ही डॉक्टर सिन्हा कहते हैं, ‘‘कहां है मुन्ना...?’’
‘‘जी, उधर ड्राइंगरूम में।’’
‘‘क्या हुआ मिस्टर गुप्ता..?’’
‘‘पता नहीं, अभी हम लोगों के साथ बातचीत कर रहा था। अच्छा खासा खुश भी था कि अचानक बात करते-करते अपना सीना पकड़ कर जमीन पर बैठ गया और दर्द से कराहने लगा।’’
‘‘घबराने की कोई बात नहीं है, मैं अभी चेकअप करके देखता हूं कि क्या बात है।’’
कहकर डॉक्टर सिन्हा मुन्ना का चेकअप करते हैं। चेकअप करते-करते वह एकदम सीरियस होने लगते हैं। फिर मिस्टर गुप्ता से कहते हैं, ‘‘मिस्टर गुप्ता, क्या इससे पहले भी मुन्ना को इस तरह का दर्द उठा था?’’ ‘‘नहीं, इससे पहले तो कभी कुछ नहीं हुआ।’’ सपना ने कहा।
‘‘याद कीजिए मिसेस गुप्ता, कभी इसने अपने सीने में दर्द बताया हो...?’’
‘‘हाँ, याद आया, बहुत पहले इसने एकबार अपने सीने में हल्का-सा दर्द बताया था, लेकिन उसके लिये हमने इसे कोई दवा भी नहीं खिलायी थी, ये अपने आप ही ठीक हो गया था। उसके बाद आज तक कभी कुछ नहीं हुआ...?’’
सपना की बात ध्यान से सुनने के बाद डॉक्टर सिन्हा क्षण भर के लिए कुछ सोचते हैं तो सपना घबराते हुए कहती है, ‘‘ क्या बात है डॉक्टर साहब क्या हुआ हमारे मुन्ना को...?’’
‘‘घबराने की कोई बात नहीं है मिसेस गुप्ता, फिर मिस्टर गुप्ता से कहते हैं, ‘‘ मिस्टर गुप्ता एक मिनट के लिए मेरे साथ आइए।’’
कहकर वह मिस्टर गुप्ता को दूसरे कमरे में लेकर जाते हैं और कहते हैं, ‘‘मिस्टर गुप्ता, मैं आपको डॉक्टर चड्डा के नाम एक लेटर लिख कर दे रहा हूं, आप मुन्ना को लेकर फौरन वहां चले जाइये...मैं भी थोड़ी देर में वहां पहुंच रहा हूं।’’
कहकर डॉक्टर सिन्हा एक लेटर लिखकर मिस्टर गुप्ता को देते हैं, ‘‘यह लीजिए, मैं चलता हूं, अपने क्लीनिक से सीधे डॉक्टर चड्डा के हॉस्पिटल पहंच रहा हूं।’’
‘‘लेकिन मुन्ना को ऐसा हुआ क्या है, जो आप उसे डॉक्टर चड्डा के यहां भेज रहे हैं...?’’
‘‘कहा न मिस्टर गुप्ता, घबराने की कोई बात नहीं है। मुन्ना के हार्ट पर हल्का-सा असर हुआ है, जिसे डॉक्टर चड्डा चुटकियों में ठीक कर देंगे। अच्छा, अब आप लोग देर मत करो, जाओ, जल्दी चले जाओ।’’
कहकर डॉक्टर सिन्हा अपने क्लीनिक चले जाते हैं और मिस्टर एण्ड मिसेस गुप्ता मुन्ना को डॉक्टर चड्डा के हॉस्पिटल ले जाते हैं।
डॉक्टर चड्डा के हॉस्पिटल में मरीजों की भारी भीड़ देखकर सपना कहती है, ‘‘यहां तो पहले से ही इतनी भीड़ है, फिर मुन्ना का नम्बर कितनी देर में आयेगा...?’’
‘‘तुम चिन्ता मत करो सपना, मैं डॉक्टर सिन्हा को फोन करके कह देता हूं। डॉक्टर सिन्हा डॉक्टर चड्डा को फोन करके हमारे मुन्ना को जल्दी देख लेने के लिए कह देंगे।’’
‘‘ठीक है, आप डॉक्टर सिन्हा को फोन करिए।’’
ट्रिन.........ट्रिन......ट्रिन....।’’
डॉक्टर सिन्हा फोन रिसीव करते हुए, ‘‘हाँ मिस्टर गुप्ता बोलिए क्या बात है...?’’
‘‘डॉक्टर साहब, यहां तो बहुत भीड़ है।’’
‘‘मुझे मालूम है, लेकिन आप चिन्ता मत करिए मैंने डॉक्टर चड्डा को फोन कर दिया है, वह अभी मुन्ना को देख लेंगे।’’
‘‘ठीक है।’’
मिस्टर गुप्ता की बात खत्म ही होती है, उसी हॉस्पिटल का एक लड़का आकर मिस्टर गुप्ता से कहता है, ‘‘मिस्टर गुप्ता आप ही हैं...?’’
‘‘हाँ, मैं ही हूं गुप्ता...?’’
‘‘अपने बेटे को लेकर मेरे साथ आइए।’’ वार्ड ब्याय के साथ मिस्टर गुप्ता मुन्ना को स्टेªचर पर लिटा कर डॉक्टर चड्डा के रूम में ले जाते हैं। सपना, और स्नेहा भी उनके साथ अन्दर जाती हैं। डॉक्टर चड्डा मुन्ना का चेकअप करते हैं। मिस्टर गुप्ता, सपना और स्नेहा चुपचाप खड़े मुन्ना को देखते हैं। सबके चेहरे लटके हुए हैं और यह जानने के लिए उत्सुक हो रहे हैं कि मुन्ना को क्या हुआ है। चेकअप करने के बाद डॉक्टर चड्डा मिस्टर गुप्ता से कहते हैं, ‘‘मिस्टर गुप्ता, आप मेरे साथ आइए।’’
‘‘आइये बैठिए’’ अपने केबिन में आकर डॉक्टर चड्डा कहते हैं, ‘‘मिस्टर गुप्ता, आपके बेटे के दिल में हल्का-सा सुराख है, जिसके लिए हम पूरी कोशिश करेंगे कि वह दवा से ही ठीक हो जाये....और अगर दवा से फायदा नहीं हुआ, तो मजबूरी में हमें आपके बेटे का आॅपरेशन करना पड़ेगा, लेकिन....’’
‘‘लेकिन क्या डॉक्टर साहब...?’’
‘‘यही कि आपको अपने बेटे का बहुत ध्यान रखना पड़ेगा।’’
‘‘जैसे...?’’
‘‘जैसे कि न तो उसे कभी डांटना-डपटना, न ही कभी उससे ऐसी कोई बात कहना, जिससे उसको कोई सदमा लगे।’’
‘‘पर वह खेल-कूद तो सकता है...?’’
‘‘हाँ, खेल-कूद तो सकता है, लेकिन बहुत ज्यादा दौड़-भाग वाला खेल नहीं खेल सकता।’’
‘‘यह आप क्या कह रहे हैं डॉक्टर साहब...? मिस्टर गुप्ता एकदम सन्न रह गये। उनकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और वह एकदम खामोश हो गये।
क्रमशः .......
बाल उपन्यास : गुडविन मसीह
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