Do balti pani - 11 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 11

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दो बाल्टी पानी - 11

पिंकी धीरे से नीचे उतर कर आती है तो सुनील आवाज को दबाते हुए मुंह पर हाथ रख कर बोला - "अरे यार क्या करती हो कितनी देर से हम मुर्गे की तरह एक टांग पर खड़े हैं और तो और तुम्हारी अम्मा लाठी और पड़वा देती हमे सांप बताकर" |

पिंकी - "चुप करो.. अब रात भर नींद नहीं आएगी तो सुबह जल्दी कैसे जागेंगे, हां बोलो.."|

सुनील - "तो रात भर नींद क्यूँ नहीं आती"|
पिंकी - "तुम जो हो.. तुम्हें चैन कहां है? चले आते हो हमारे सपनों में भी |

सुनील फूल के गुब्बारा हो गया और बोला - "हाय.. कसम बजरंगबली की, तुम्हें तो ना सेना में होना चाहिए" |

पिंकी भौंहे टेड़ी कर के - "काहे भला… सेना में काहे" |

सुनील - "अरे तुम्हारी स्माइल कोई तोप से कम है का, सीधा दुश्मन की छाती पर लग कर घायल कर देती है" |

पिंकी शर्म से लाल हो कर- "हाय राम.. तुम भी ना, हमारी इत्ती तारीफ करते हो, यही तो हमें पसंद है"|

सुनील और पिंकी मीठी-मीठी बातें करते हुए अपनी दुनिया मे दोनों खो जाते हैं और कुछ देर बाद नल पर पहुंचते हैं, जहां पहले से ही स्वीटी और सरला खड़ी थी | एक गांव वाले ने अपनी दो बाल्टी भरकर जैसे ही बाल्टी हटाई तो सरला जो स्वीटी के पीछे खड़ी थी उसने अपनी बाल्टी नल के नीचे लगा दी, यह देखकर स्वीटी चिल्लाती, "यह क्या बात हुई? हम पागल हैं जो इतनी देर से खड़े हैं" ? |

उसने बाल्टी को हटाते हुए अपनी बाल्टी लगाने की कोशिश की पर सरला आगबबूला होकर बोली, "अरे कल की पैदा हुई जुबान लड़ाती है हमसे, अरे ये जो खा खाकर भैंस हुई है उसे दो हाथ में छाँट देंगे, ससुर के…." |

स्वीटी चुप हो गई और सरला पानी भरने लगी तभी उसकी नजर सुनील पर पड़ी, सरला उसे देखते ही झन्ना गई "|
सरला - "लल्ला.. रे लल्ला.. अरे तू कहां घूम रहा है, और यह कलमुही कौन है"?

सुनील और पिंकी तो ऐसे अपनी बातों में खोए थे कि उन लोगों ने ध्यान ही नहीं दिया कि सरला उनके सामने खड़ी है, सुनील को देखते ही स्वीटी की धड़कन बढ़ गई |

सरला ने भरी बाल्टी उधर रखी और फिर बोली, "अरे सांप सूंघ गया का…. नासपीटे बोल… "|

सरला की आवाज सुनकर सुनील की हवाईयाँ उड़ गईं |
सुनील - "क क का… बताएं अम्मा.. अरे बस, वो.. वो ऐसा था कि.. वो तुम.. अरे तुम हमेशा ऐसे…" सुनील मारे डर के बस इतना ही बोल पाया | पिंकी जल्दी से अपनी बाल्टी भरने लगी और स्वीटी सुनील को देखती रहे |

सुनील -" अरे अम्मा हमने सोचा, हम तुम्हारी मदद कर दे, बूढ़ा शरीर कितना काम करेगा भला.. इसीलिए जैसे ही आंख खुली हम बस दौड़े चले आए "|

सरला - " अरे बूढ़े हो हमारे दुश्मन, अभी तो हम में इतनी जान है कि जवानों का पानी निकाल दे" |

सुनील - "अच्छा चलो तुम अम्मा, बाल्टी हम ले आते हैं"|
सरला - "अरे पहले ये बता ये कलमुही तेरे साथ काहे घूम रही थी"|

सुनील - "अरे अम्मा… वो तो बेचारी इसके पीछे कुत्ते पड़ गए थे, हम आ रहे थे तो ये कहने लगी हमे कुत्तों से बचा लो, तो हम इनके साथ आ गए, हमने कहा हमारी अम्मा हमेशा कहती है कि परेशान आदमी की मदद हमेशा करनी चाहिए इसीलिए अम्मा" |

सरला - " ऐसा मैंने कब कहा रे, और अगर गलती से कह भी दिया तो यह तो लड़की है"|

सुनील ने जल्दी बाल्टी उठाई और सरला को सफाई देते हुए चला गया | पिंकी भी पानी लेकर चली गई | स्वीटी अभी भी सुनील को देखे जा रही थी, ध्यान टूटा तो वह पानी भर कर उदास होकर घर चली आई |

आगे की कहानी अगले भाग में....