Ashlilta in Hindi Human Science by Rajesh Kumar books and stories PDF | अश्लीलता

Featured Books
Categories
Share

अश्लीलता

सामाजिक तौर पर अश्लील शब्द नकारात्मकता का सूचक है अश्लील शब्द उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जिस का चरित्र काम वृत्ति प्रधान हो वह भी सामाजिक माहौल में खुले तौर पर। जिसका आचरण उसके व्यवहार से उसके कार्यों से डिग गया हो और जो साहित्य विचार क्रियाकलाप दूसरे लोगों में कामवासना को बढ़ावा देते हैं खुले वातावरण वे सभी विचार साहित्य क्रियाकलाप आदि सभी अश्लीलता की श्रेणी में आते हैं मोटे तौर पर देखा जाए तो यह एक गाली ही है और यह भी कटु सत्य है लगभग सभी मनुष्यों के जीवन का हिस्सा भी है बस इसे खुले और सामाजिक तौर पर गोपनीय रखा गया है और शायद इसीलिए इसे खुले तौर काम वृत्ति और नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है। जो मनुष्य अपनी काम वृत्ति पर अपने चित्त की शक्ति से विजय हो जाए वह अश्लीलता की चक्र से बाहर हो जाता है लेकिन सामान्य मनुष्य का यह अभिन्न हिस्सा है फिर क्यों अश्लीलता को गाली के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है।
मैं एक युवा हूं हर कोई अपने जीवन में युवा रहता है समय के सााथ उसमें क्रमिक विकास होते हैं और शास्त्र विदित मनुष्य के चार पुरुषार्थ में धर्म अर्थ काम मोक्ष का वर्णन है जिसमें काम एक है जैसे-जैसे मनुष्य का योवन बढ़ता है वैसे कामवासना की उत्पत्ति होती है। हमने कई बार कहानियों के माध्यम से सुना है कि कामवासना की प्यास इतनी तीव्र होती है सिद्ध पुरुष व स्त्रियों के शील भंग हो जातेे हैं। फिर हम सब तो एक साधारण मनुष्य हैं।
यौवन बढ़ने के साथ पुरुष का स्त्री के तथा स्त्री का पुरुष के प्रति आकर्षण स्वभाविक है सामान्य व्यक्ति भी संबंधों को इतनी प्राथमिकता देता है की वासना और यौवन का वेग भी शून्य हो जाता है और यह देख केवल गैर संबंध वाले लोगोंं के प्रति जागृत होता है। समाज ने काम वृत्ति के परिणाम को समझते हुए बहुत से अनुबंध तैयार किए जिसमें विवाह बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ जिससे मानव समाज का वंश संचालन सुचारू रूप से हो सके और कामवासना के कारण समाज के खुले वातावरण पर पड़ने वाले बलात्कार जैैैसे कुप्रभाव को रोका जा सके। यदि विवाह जैसे अनुबंध ना होते या पश्चिमी जगत की तरह विवाह का प्रावधान होता तो समााज में महिला शोषण व्यभिचार जैसी घटनाओं की त्रासदी से समाज परेशान होता लेकिन विवाह के कारण स्त्री और पुरुष काम वृत्ति के साथ साथ जीवन के अन्य तीनों पुरुषार्थओं के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं और दोनों संतुष्टि के साथ अपनी काम वृत्ति को शांत करतेे हुए जीवन यापन करते हैं लेकिन बहुत सी घटनाएं समाज में आज भी होती हैं जिनमें 80% घटनाएं युवा अवस्थाा के महिला पुरुषों के कारण होती हैं जो अविवाहित होते हैं पूर्व काल में विवाह अल्प आयुु में ही हो जाते थे जिसके कारण व्यभिचार और बलात्कार जैसी घटनाएं कम होती थी।
युवा अवस्था में काम वृत्ति बहुत तीव्र होती है यह हम सभी जानते हैं एक युवा होनेेे के नाते मैं इस अनुभव को और भी बेहतर समझ सकता हूं।समाज में अश्लीलता को बढ़ावा मिलने का एक कारण जगत का अनुसरण तथा सिनेमा जगत का अश्लीलता परोसना जिसे देख कर हम जैसे आप जैसे युवाओं में समय से पूर्व ही विचारों का उत्पन्न होकर काम वृत्ति की ओर अनियंत्रित होकर अग्रसर होना इसी का एक परिणाम है।
जब कोई युवा लड़की या लड़का अपने से विपरीत व्यक्ति को देखता है उसके विकसित यौवन को देखकर उसकी ओर आकर्षित होकर कामवासना के लिए आसक्त हो जाते हैं प्रयत्न किए जाते हैं कि वो उसकी प्यास बुझाने का साधन बने कई बार वह लोग सफल होते हैं कई बार असफल तो कई बार पुरुष वर्ग के द्वारा व्यभिचार को अंजाम दिया जाता है। शायद हमारा पूर्व समाज इतना सजग और दूरदर्शी था कि उसने विवााह जैसे पवित्र बंधन को समाज में स्थापित किया वह जीवन भर सुचारू रूप से चलने विधान बनाए गए।
अश्लीलता को समाज में पर्दे के भीतर इसलिए भी रखा गया जिससे आने वाली संतानों पर खुलेआम इसके बुरे असर ना पड़े। और समाज में एक आदर्श स्थापित हो सके जिससे व्यभिचार जैसी घटनाओं को रोका जा सके इस लेख में हमने कुछ नकारात्मक शब्दों का प्रयोग किया है परंतु विषय की घूमता को समझाने के लिए ऐसा किया गया है।
अगर आपको हमारे लेख पसंद आ रहे हैं तब कृपया मुझे फॉलो करें और मेरा समर्थन करें