Baat ek raat ki - 11 in Hindi Detective stories by Aashu Patel books and stories PDF | बात एक रात की - 11

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बात एक रात की - 11

अनुवाद: डॉ. पारुल आर. खांट

( 11 )

'आप मुझे कितने टाइम से कहते हो कि बॉलीवुड में बड़ा ब्रेक दिलाएँगे| मैं इन्तजार करके थक गई|' जुहु की एक फाइवस्टार हॉटल के एक रूम में एनकाउंटर स्पेशियालिस्ट पाटणकर के पास सो रही थियेटर एक्ट्रेस चांदनी शर्मा शिकायत कर रही थी| वह कई हिन्दी नाटक में लीड रोल कर चुकी थी, लेकिन उसका सपना बॉलीवुड की बड़ी हीरोइन बनने का था| नैनीताल की रहनेवाली चांदनी में छोटी उम्र से ही अभिनय के प्रति रूचि जागृत हो उठी थी| उसने तेरह साल की उम्र में पहली बार स्कूल के एक नाटक में छोटा-सा रोल किया था इसके बाद वह हर साल नाटकों में हिस्सा लेने लगी थी| लेकिन कॉलेज में आने के बाद उसने अपने माता-पिता से कहा कि मैं एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ| वह स्कूल और कॉलेज में नाटकों में अभिनय करती थी इसके सामने माता-पिता को प्रोब्लेम नहीं था, लेकिन चांदनी ने एक्ट्रेस के तौर पे कारकिर्दी बनाने की बात सोची इससे उसके रूढ़ीग्रस्त माता-पिता भड़क उठे थे| उन्होंने कहा था कि तुम्हारी थोड़े समय में शादी करनी है इसलिए ये सब बातें भूल जाओ! उन्होंने उसके लिए लड़का ढूँढने की शुरुआत कर दी थी| इसके बाद मौका ढूंढकर चांदनी उन्नीस साल की उम्र में घर से भागकर बम्बई आ गई थी| उसकी स्कूल समय की एक फ्रेंड उसके परिवार के साथ बम्बई में शिफ्ट हुई थी उसके घर वह पहुँच गई थी| हालांकि थोड़े ही दिन में उसकी फ्रेंड ने कह दिया था की तुम तुम्हारी रहने की और जगह व्यवस्था कर लेना| उसके माता-पिता को चांदनी के प्रति कोई लगाव नहीं था क्योंकि वह घर से भागकर आई थी| उन्होंने पहले तो उसे समझाने की कोशिश की थी कि तुम्हें वापस घर चले जाना चाहिए, लेकिन चांदनी मक्कम थी| उसे जो भी काम मिला स्वीकार कर लिया था और साथ-साथ अभिनय का चान्स प्राप्त करने की कोशिश भी शुरू कर दी थी| धीरे-धीरे उसे नाटकों में छोटे-छोटे रोल मिलने लगे थे| बाद में उसे महत्वपूर्ण रोल मिलने लगे थे| उसे कुछ हिन्दी फिल्म में भी अभिनय का चान्स मिला था, लेकिन फिल्मों में उसे नोंधपात्र रोल नहीं मिले थे| चांदनी के अभिनय की प्रशंसा होती थी, लेकिन कोई डाइरेक्टर या प्रोड्युसर उसे हीरोइन के तौर पे चान्स देने के लिए तैयार नहीं थे| ऐसे में एक दिन एक प्रोड्युसर की ऑफिस में उसका परिचय पाटणकर से हुआ था, तब से वे दोनों निकट आ गये थे| दोनों कई रातें जुहु की हॉटल में साथ बिताते थे| पाटणकर के बॉलीवुड में बहुत संपर्क थे और उसने चांदनी को विश्वास दिलाया था कि मैं तुम्हें बॉलीवुड में बड़ा ब्रेक दिलाऊँगा|

'मुझ पे भरोसा नहीं है तुम्हें?' पाटणकर ने चांदनी के रेश्मि बालों में हाथ फेरते हुए कहा|

'विश्वास है, लेकिन मेरा धैर्य समाप्त हो रहा है!’

‘क्यों मैंने तुम्हें तीन फिल्म तो दिलाई !'

'लेकिन हीरोइन की फ्रेंड के रुप में या हीरो की बहन के रुप में! मुझे हीरोइन बनना है| जैसी-तैसी लड़कियाँ साली हीरोइन बन जाती है| आई वोंट जस्ट अ चान्स| एक ब्रेक मिले तो मैं दिखा दूँगी मेरा केलिबर! आपके इतने कॉन्टेक्स है| उसका ईस्तेमाल कीजिए न|'

'तुम समझो| मैंने मेरे सभी फ्रेंड्स को कह दिया है, लेकिन सभी को वेल-नोन हीरोइन में रूचि है|'

'ऐसा नहीं है| दिलनवाझ खान की फिल्मों में नई-नई हिरोइन्स होती ही है| उसने और अमन कपूर ने करीबन 12 जैसी लड़कियों को ब्रेक दिया है| दिलनवाझ तो आपका करीबी दोस्त है|' चांदनी ने बहस की|

‘दिलनवाझ के साथ अभी मेरा इश्यु चल रहा है इसलिए कुछ वक्त तक मैं उसे कह नहीं सकता और वैसे भी अभी वह किसी नई लड़की के चक्कर में हैं।’

'कभी तो मुझे लगता है कि आपको मेरे लिए सच्चा प्यार ही नहीं, सिर्फ मेरे जिस्म में ही रूचि है!' चांदनी ने कहा।

चांदनी के ऐसे शब्दों से पाटणकर को दुख हुआ| उसने कहा, 'ऐसा लगता है तो हम मिलना बंद कर दे! तुम्हें फिल्म नहीं दिलाऊँगा तब तक मैं तुम्हारे सामने भी नहीं आऊंगा!'

चांदनी को लगा कि वह थोड़ा ज्यादा बोल गई है इसलिए उसने बात बदलने की कोशिश की, 'मैं ऐसा नहीं कहती, लेकिन पूरे बम्बई में तुम्हारे अलावा मेरा कौन है? मैं मेरा फस्ट्रेशन आपके सामने व्यक्त नहीं करूँगी तो किसके सामने करूँगी?'

'मैं समझता हूँ तुम्हारे हालत| लेकिन तुम मुझ पे भरोसा रखना| मैं तुम्हें हीरोइन के रूप में फिल्म दिलाऊँगा| नहीं तो मैं खुद तुम्हारे लिए फिल्म बनाऊंगा|' पाटणकर ने कहा और उसे अपनी ओर खींचा|

..............

'दिलनवाझ, तुम कभी तो रात में जल्दी घर आओ !' दिलनवाझ की गर्भवती पत्‍‌नी हीना ने नाराजगी से कहा|
'यु नो डियर, हेक्टिक शेड्युल होता है मेरा' ब्रेकफास्ट करते हुए दिलनवाझ ने पत्‍‌नी को समझाते हुए जवाब दिया|
'तुम्हारे पूरी रात के 'शेड्युल' के बारे में मुझे कुछ अंदाज आ रहा है | हीना ने 'शेड्युल’ शब्द पर जोर दिया तो दिलनवाझ खिन्न हो गया|
'कम ओन ! डोन्ट बिहेव लाइक टिपिकल वाइव्स!' पत्‍‌नी को बहलाने के इरादे से दिलनवाझ ने कहा|
'अच्छा?' तीखी नज़रों से पति की ओर देखते हुए हीना ने कहा|
'ट्राय टु अंडरस्टेंड' कहते हुए दिलनवाझ खड़ा हुआ| उसके गाल पर किस की बोला- 'आई एम गैटिंग लेट डियर, बाय|

दिलनवाझ और हीना ने प्रेमविवाह किया था| वे तब सम्पर्क में आए थे जब दोनों एक धारावाहिक की शूटिंग कर रहे थे| ये दिलनवाझ के हीरो बनने के लिए संघर्ष वाला दौर था जबकि हीना इससे लिड किरदार में थी| सह अभिनय के दौरान दोनों नजदीक आ गए| हीना दिलनवाझ को प्रेम करने लगी| हालांकि दिलनवाझ को हीना से ज्यादा प्रेम उसकी सम्पति से था| वह ऑटो से चलता था तब हीना बीएमडब्ल्यू से सेट पर आती थी| दिलनवाझ को यह भी पता चल गया था कि हीना करोड़पति माता-पिता की इकलौती संतान है| हीना के पिता सफल इंडस्ट्रियालिस्ट थे| उसका जुहू में विशाल बँगला था| हीना उसकी इकलौती पुत्री थी| हीना ने उन्हें कहा था की वह दिलनवाझ नाम के एक्टर के प्रेम में हैं| हीना के पेरंटस को दिलनवाझ पसंद नहीं आया था, लेकिन हीना की ज़िद के सामने झुकना पड़ा था|

दिलनवाझ ने हीना से प्रेमविवाह कर लिया| अब तक मुंबई में दिलनवाझ को रहने को लेकर संघर्ष करना पड रहा था लेकिन शादी करने के साथ ही जुहू के फ्लैट में रहने लगा| उसे पहली कार भी हीना ने अपने पैसों से दिलवाई| लेकिन उसे फिल्म के हीरो के रुप में ब्रेक मिला और उसकी पहली फिल्म सुपरहिट हुई| इसी के साथ हीना को दिलनवाझ ने हल्के से लेना शुरू कर दिया| ये अच्छा नहीं लगता कि सुपरस्टार की वाइफ सीरियल्स में एक्टिंग करे ऐसा कहकर उसने हीना की एक्टिंग करियर का अंत ला दिया था। हीना दिलनवाझ से सच्चा प्रेम करती थी इसलिए पति की खुशी के लिए उसने अभिनय को अलविदा कह दिया|

...................

'फिल्म सिटी ले लो' लेम्बोर्गीनी में बैठते हुए ड्राइवर को दिलनवाझ ने कहा| साथ ही वॉट्‍सएप पर मयूरी को मेसेज भेजा- 'हाय,स्वीटी!'
तुरंत ही मयूरी ने जवाब दिया 'हाय'
'मिस यु' दिलनवाझ ने फिर मेसेज भेजा
'आई मिस यु टु' जवाब आया|
दोनों के बीच चेटिंग चल रही थी| इस दौरान सहसा दिलनवाझ की कार की पीछेवाली सीट पे बैठे हुए बॉडीगार्ड का ध्यान लेफ्ट साइड के रिअर व्यु मिरर की ओर गया| उसे लगा कि एक बाइक सवार उन्हें फॉलो कर रहा है| उसने पीछे मुड़कर देखा| शायद वही बाइक सवार को उसने अंधेरी के पास देखा था| ये बाइक सवार कार के पीछे-पीछे आ रहा था| बॉडीगार्ड अलर्ट हो गया|

हालांकि दिलनवाझ की कार वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे के ओबेरॉय मॉल के पास स्थित फ्लाई ओवर के नीचे के सिग्नल पर खड़ी थी तभी वह बाइक सवार लेफ्ट टर्न लेकर गोरेगांव के एस. वी. रोड की ओर जाने वाली सड़क की तरफ मूड़ गया|
बॉडीगार्ड ने राहत की सांस ली|
उस बाइक सवार ने लेफ्ट टर्न लेते हुए क्या किया यह पता चलता तो बॉडीगार्ड की धड़कन बढ़ गई होती !

*****