Indian Superhero - 12 in Hindi Adventure Stories by Green Man books and stories PDF | भारतका सुपरहीरो - 12

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भारतका सुपरहीरो - 12

12. आंतकवाद अटैक

विक्रम, मल्लिका और उदय तीनों दो-तीन दीन लेबोरेटरी पर रहते थे और दो-तीन दीन घर पर रहते थे। एक दिन ऐसे ही तीनों लेबोरेटरी से, लेबोरेटरी के जहाज में घर की ओर निकल पड़े, शाम तक वो सब कर पर पहुंच गए थे। शाम के पांच बजे थे इसलिए विक्रम बाइक लेकर मूनसिटी में घूमने निकल पड़ा और मल्लिका ईशा के काम में हाथ बंटाने लगी। शाम को खाना खाने का समय हो गया था इसलिए विक्रम वापस घर पर लौट गया था, घर पर आते ही खाना लग गया था, तीनो ने खाना खाया और बाद में घर के चौक में लाइट चालू करके कुर्सी लेकर उधर तीनों बैठे बैठे बातें करने लगे। तीन चार घंटे तक उसकी बातें चली, रात बहुत हो चुकी थी इसलिए वो सब सोने के लिए चले गए।

रात के दो बजे थे, पश्चिम भारत की बॉर्डर पर बीस-पच्चीस लोग छुपकर इलेक्ट्रिकल करंट पास होने वाली जाली तक पहुंच गए। भारत में इस जगह पर एकदम गीच झाडियां थी इसलिए पहरा कम था, इस मौके का फायदा उठा के वह लोग इलेक्ट्रिक करंट पास होने वाली जाली को इलेक्ट्रिक औजार से काटने लगे। थोड़ी देर में उसने जाली में बड़ा छेद कर दिया और एक के बाद एक सब लोग भारत देश के अंदर घुस गए, वह लोग साथ में हथियार का टैंकर भी लेकर आये थे। सब लोग अंदर आ गए थे उतनी देर में पहरा देने वाले सैनिक ने टोर्च से उधर देखने लगा लेकिन सब लोग झाडियों में छुप गए जंगल एकदम गाढ था इसलिए कुछ उसे दिखा नहीं और वह सैनिक दूसरी ओर चल पड़ा। उन सभी आंतकवादियों ने सोचा कि अभी शहर में जायेंगे तो सबको पता चल जाएगा इसलिए वह सब टैंकर को उठा के बिना आवाज किए जंगल में चलने लगे। आधा घंटा जंगल में चलने के बाद उस लोगों को एक गुफा दिखी और उन सब ने इधर रूकने का सोच लिया।

सब लोग बिना आवाज किये पहले आसपास देखकर गुफा के अंदर घुस गए, अंदर उसने टैंकर को रख दिया और उस गुफा में आग जलाई। थोड़े लोगों ने लकड़ियां इकट्ठा की और आग को सत्तत जलाने लगे, आग के प्रकाश में वह सब ने अपना पहरवेश बदल दिया। एक ने टैंकर को खोला और उसमें से गोलियां निकाल कर सब लोग गन में सेट करने लगे, गन के सब पार्ट्स अलग अलग थे। सब ने वो गन के पार्ट्स अपनी अपनी बैग में रख दिया और सबने ग्रेनाइट बॉम भी ले लिया। यह सब तैयारी करने में उसको डेढ़ घंटे लग गए थे और उस वक्त सुबह के चार बज चुके थे। एक आतंकवादी ने गुफा के अंदर से देखा कि कोई आस पास तो नहीं है ना! रास्ता साफ था इसलिए अपने हाथ से सब को इशारा करके सबको चलने के लिए कहा।

सब लोग बाहर निकल कर पेड के पीछे तो कभी पत्थर के पीछे छुप कर और बिना आवाज के एकदम तेजी से आगे बढ़ने लगे। लगभग एक घंटे में मतलब पांच बजे उन लोगों ने जंगल में से दूर से शहर को देखा। किसी को पता न चले वैसे पांच-पांच की टुकड़ी में सब लोग, पन्द्रह मिनट के बाद शहर में जाने लगे। उन सब लोगों ने अपना प्लान पहले से ही बना लिया था, साढ़े छह बजे के अंदर सब लोग पांच-पांच के ग्रुप में अलग अलग जगह पर पहुंच चुके थे। उन सब लोगों की पांच टुकड़ियां थी और वो सब एक-एक टुकड़ी आसपास के अलग अलग शहरों में बिखर गई। एक-एक टुकड़ी में पांच लोग थे, वो भी शहर में अलग अलग जगह पर बिखर गए, दस बजे के आसपास सब लोग अलग अलग जगहों पर बिखर गए थे।

वह सब लोग शहर में कोई टॉयलेट में, कोई खंडहरों में, कोई सुनसान जगहों पर अपने बैग में से गन के पार्ट्स निकाल कर सब तैयारी कर ने लगे। गन तैयार होते ही बैग लेकर निकल पड़े और रास्ते में जो भी कोई मिलता था उसे मार देते थे। सुबह के नौ बजे आर्मी वाले को पता चल गया कि बॉर्डर की जाली काटकर कोई भारत में घुस आया है, यह समाचार सब तक पहुँचे उतने मैं ही सब आस पास के शहरों में अंधाधुंधी फायरिंग चालू हो गई थी। वह आतंकवादियों भीड़ वाली जगह जैसे कि मॉल, कॉलेज, बाजार वैसी जगहों पर जाकर ग्रेनाइट बॉम से धमाका करने लगे। सब जगह पर पुलिस की फोर्स भेज दी गई और आर्मी वाले को भी उधर पहुँचने का आदेश दे दिया। पूरे सिटी में पुलिस की ही गाड़ियों की आवाज आ रही थी। यह आवाज सुनकर सब आतंकवादी सतर्क हो गए और भीड़ वाली जगह से निकलने लगे, जिधर भी पुलिस नहीं दिखती थी उधर वह लोग ग्रेनाइट बॉम से धमाका करते थे। धमाके की वजह से कितने सारे लोग मारे जाते थे किसी की पत्नी मर गई थी, तो किसी का पति मर गया था, किसी के माता-पिता मर गए थे, तो किसी के पुत्र और पुत्री मर गए थे। आधे लोग घायल हो गए थे और खून से लथपथ थे, घायल हुए सभी लोगों के आंख में आंसू थे और दर्द की वजह से तड़प रहे थे।

सब शहरों में नाकाबंदी हो रही थी और सब को चेक कर रहे थे, एक शहर में से दूसरे शहर जाने वाली सभी गाड़ियों को रुकवा के सब की जांच कर रहे थे। एक आतंकवादी मॉल में घुस कर चुपके से अंधाधुंधी फायरिंग कर रहा था लेकिन उधर आर्मी वालों की फोर्स आते ही उसने अपनी गन के पार्ट्स अलग कर के बैग में डाल दिए और भीड़ के साथ दौडने लगा। रास्ते में उसको आर्मी वाले आते हुए दिखाई दिए, आर्मी वाले पास आते ही उसने आर्मी वालों से कहा कि वह आतंकवादी तीसरे फ्लोर पर है, ऐसा कहकर आर्मी वालों को चूना लगा के भाग गया। आर्मी वाले भाग कर तीसरे फ्लोर पर पहुंचे लेकिन उधर कोई नहीं मिला फिर आर्मी वालों को पता चला कि जो अपने को बता के गया वो ही शायद होगा। आर्मी वालों ने तुरंत ही उसका पीछा किया लेकिन वह ईतनी देर में भाग गया था, आस पास सब आर्मी वाले फेल कर उसे ढुंढ रहे थे लेकिन वो मिला नहीं।

आतंकवादी भारत में घुस आए हैं ऐसी खबर न्यूज में आ रही थी, न्यूज वाले सबको सतर्क कर रहे थे, न्यूज़ वाले बता रहे थे कि आप सब लोग घर से बाहर मत निकलना और अपना ख्याल रखना। यह न्यूज़ विक्रम ने भी सुनी और आर्मी के कमांडर को फोन लगा के उसको बोला कि मैं मदद कर सकता हूँ आप मुझे परमिशन दे, कमांडर ने परमिशन दी और विक्रम ईशा को और मल्लिका को बता के निकलने वाला था लेकिन मल्लिका ने भी चलने का फैसला किया। विक्रम ने बोला कि तुम बाइक लेकर जाओ और मैं भी नीकलता हूँ, जिस शहर में आतंकवादी घुसे थे वह शहर मुनसिटी से सत्तर किलोमीटर की दूरी पर था। विक्रम घर से बाहर निकलते निकलते वॉइस कोड डाला और घर से बाहर निकलते ही उसका सूट तैयार हो गया था। विक्रम ने उड़ान मोड एक्टिव किया और उस शहेरो की ओर चल पड़ा, मल्लिका ने बाइक निकाल कर उस शहेरो की ओर चल पड़ी।

विक्रम शायद पन्द्रह मिनट में एक शहर में पहुंच गया था, विक्रम उस शहर के ऊपर उडने लगा। विक्रम को एक मॉल के बाहर पुलिस और आर्मी इकट्ठा हुई दिखाई दी, यह देखकर विक्रम उधर उतरा। आर्मी और पुलिस ने मिलकर पूरे मॉल को चारों तरफ से घेर लिया था, विक्रम ने एक आर्मी वाले को पूछा कि आतंकवादियों के क्या समाचार है? उसने बताया कि यह मॉल के अंदर आतंकवादी हैं लेकिन कितने हैं वो नहीं पता, उन लोगों ने मॉल का दरवाजा बंद कर दिया है और अंदर सब लोगों को शायद मार दिया है। कुछ आर्मी के लोगों ने दरवाजा खोल कर अंदर जाने की कोशिश की लेकिन वह वापस नहीं आए। हम लोगों ने बार बार चेतावनी दी लेकिन उसकी ओर से कोई प्रत्युत्तर नहीं आया।

विक्रम ने उन लोगों को बोला कि चलो मेरे साथ, मैं आगे रहूँगा और तुम मेरे पीछे रहना, विक्रम के साथ जाने के लिए पन्द्रह आर्मी वालो की टुकड़ी तैयार हुई। विक्रम आगे चल रहा था और वह पन्द्रह लोग हाथ में गन लेकर उसके पीछे चल रहे थे, विक्रम ने वॉइस कोड डाल कर एक हाथ में गन और दूसरे हाथ में शिल्ड एक्टिव की। विक्रम ने मॉल के दरवाजे से देख लिया, कोई हिल चाल नहीं देखी इसलिए विक्रम ने अपने हाथ से इशारा किया और अपने पीछे आने को कहा। विक्रम मॉल के अंदर घुसा और आर्मी वाले उसके पीछे चल रहे थे, सब लोग दीवार के पीछे छुप कर आसपास देख रहे थे उतने समय मैं एक आतंकवादी ने उसे देख लिया और वो छुप गया और ग्रेनाइट बम निकाल कर तीसरे फ्लोर से उन सबकी ओर फेंका। ग्रेनाइट बम उसके थोड़ी ही दूर गिरा और सब ने देखा, यह देखकर विक्रम ने बड़ी आवाज से कहा मेरे पीछे आ जाओ, विक्रम ने शिल्ड अपनी आगे की और रखी। उतने में ग्रेनाइट बम का बड़ा धमाका हुआ, धमाका होते ही सब जमीन पर गिर पड़े। जो विक्रम के पीछे खड़े थे उसको कुछ नहीं हुआ लेकिन एक-दो बाहर रह गए थे वो घायल हो गए थे। उतनी देर में उस आतंकवादियों ने फायरिंग चालू कर दिया, यह पन्द्रह लोग और विक्रम एक कमरे की दीवार के पीछे छुप गए, लेकिन पन्द्रह लोगों में से एक को गोली लग गई थी और वो मौत की साँसे गिन रहा था।

मल्लिका एक घंटे में बाइक लेकर दूसरे शहर में पहुंच गई थी, उस शहर में एक होटल में आतंकवादी घुस कर फायरिंग कर रहे थे और बम से धमाका कर रहे थे। आर्मी और पुलिस उस होटल में दाखिल हुए। मल्लिका ने अपनी घड़ी पर टच किया और सूट तैयार होते ही होटल के अंदर दाखिल हुई, मल्लिका ने छुप कर देखा कि दो आतंकवादी पत्थर के स्तंभ के पीछे और आमने सामने छुपे हुए थे और छुपे हुए सैनिक पर फायरिंग कर रहे थे। दोनों आतंकवादियों ने ग्रेनाइट बम निकाल कर जीधर से आर्मी वाले फायरिंग कर रहे थे उधर उसने फेका। धमाके की वजह से कितने सारे लोग मारे गए और जो घायल हुए थे उन लोगों को उसने गन से मार दिया। बचे हुए लोगों पर वो फायरिंग कर रहे थे लेकिन उसने मल्लिका को नहीं देखा था। मल्लिका ने अपनी कमर में से ब्लेड निकाली, जब वह आतंकवादी फायर करने के लिए अपना हाथ बाहर निकला तभी मल्लिका ने जोर से ब्लेड फेकी। ब्लेड फेंकते ही उसका हाथ गन के साथ कट कर दूर गिर गया और उसकी ब्लेड वापस अपने पॉकेट में आ गई, अभी उसका एक ही हाथ बचा था, वह गन भी लेने नहीं जा सकता क्योंकि बाहर निकला तो वह मारा जाता। यह देखकर दूसरे आतंकवादी को मल्लिका के बारे में पता चल गया, मल्लिका जीधर छुपी थी उधर दूसरे आतंकवादी ने फायरिंग करना चालू कर दीया।

मल्लिका को पता चल गया कि दूसरा इधर छुपा है मल्लिका बाहर निकली और उस आतंकवादी ने छुपकर मल्लिका के ऊपर फायरिंग चालू कर दिया लेकिन गोलियां मल्लिका के सूट को छू कर नीचे गिर रही थी। यह देखकर उस आतंकवादी ने ग्रेनाइट बम मल्लिका की ओर फेका, बम मल्लिका के पास में गिरा यह देखकर मल्लिका भागने लगी, उतने में ही बम फटा और मल्लिका दीवार के साथ टक्कराई। मल्लिका तुरंत खड़ी हो गई और गुस्से में आकर उसने स्तंभ के पीछे छुपे हुए आतंकवादी की और एक के बाद एक ऐसे तीन ब्लेड फेंकी और ब्लेड वापस आ गई। उतनी देर में वह पत्थर का स्तंभ जमीन पर गिर पड़ा और साथ में उस आतंकवादी का गला भी कट कर जमीन पर गिर पड़ा। यह देखकर दूसरे आतंकवादी ने कुछ गोलियां खाली और वह जमीन पर गिर पड़ा, जमीन पर गिरते ही सब आर्मी वालों ने गोलियों से उसे भर दिया। दोनों आतंकवादी मर जाने के बाद कुछ लोगों ने डेड बॉडी आर्मी हेड क्वार्टर में भेज दी गई और मल्लिका वापस बाइक लेकर घूमने लगी कि अभी कोई आतंकवादी नहीं है ना? दूसरे शहरों में जीधर फायरिंग हो रही थी उधर कमांडो को उतारा गया लेकिन अभी तक पता नहीं चला था कि कितने आतंकवादी भारत में घुसे थे।

विक्रम को एक आतंकवादी को तो जिंदा ही पकड़ना था क्योंकि उसके पास से सब माहिती निकालनी थी। एक आतंकवादी तीसरे फ्लोर से पत्थर के स्तंभ के पीछे छुप कर बार बार फायरिंग कर रहा था, वह विक्रम ने देखा और अपना हथियार बदलकर धनुष एक्टिव कीया। विक्रम ने दीवार के पीछे छुप कर धनुष में तीर चढ़ाया और उस स्तंभ को निशाना बनाया और तीर छोड़ा। तीर स्तंभ को छूते ही रस्सी के रूप में आ गया और उस आतंकवादी के साथ स्तंभ को लपेट लिया। वह रस्सी एकदम टाइट से लपेट गई थी इसलिए उस आतंकवादी के हाथ में से गन गिर गई और वह हिल भी नहीं सकता था। यह आतंकवादी को बंधे हुए देख कर दूसरे दो आतंकवादी ने उसे गोलियों से ठार कर दिया और विक्रम के ऊपर फायरिंग करने लगे। विक्रम ने बाकी बचे चौदह लोगों को बिखर जाने को कहा और सब छुप छुप कर अलग हो गए और उन आतंकवादी पर फायरिंग करने लगे।

वह दोनों आतंकवादी आर्मी वाले पर फायरिंग कर रहे थे, उस वक्त उन लोगों की नजर विक्रम के ऊपर से हट गई। यह होटल चौरस थी और वो दोनों तीसरे फ्लोर पर थे और ऊपर जाने के लिए होटल के मुख्य दरवाजे के ऊपर तीसरे फ्लोर पर एक रूम की खिड़की खुली थी। विक्रम ने कोड डाला और उसके सूट के पॉकेट में से एक माइक्रो रोबोट निकला, विक्रम उसे खिड़की तक ले जा कर उसे घर में दाखील करवाया। माइक्रो रोबोट लाइव वीडियो विक्रम को दिखा रहा था, विक्रम ने देखा कि उस रूम में से दूसरी भी खिडकी थी और उसमें से वो दोनों आतंकवादी साफ साफ दिख रहे थे। वह आतंकवादी दाई तरफ थे और बीच में कोना आता था इसलिए वो विक्रम को देख नहीं सकते थे। फायरिंग में ओर दो सैनिक मारे गए, अभी सिर्फ बारह ही बचे थे। विक्रम ने अपना हथियार बदल कर रस्सी वाला धनुष एक्टिव किया। तीर के साथ स्टिरीयन धातु की रस्सी जुड़ी हुई थी, विक्रम ने निशाना लगाया और तीर जाकर रूम की दीवार पर खुच गया। विक्रम ने अपना हथियार समेट कर रस्सी की मदद से वह खिडकी में से रूम के अंदर पहुंचा, फिर विक्रम ने उस रस्सी को छुआ और उस रस्सी के क्रिस्टल वापस सूट के साथ जुड़ गए, विक्रम ने कोड डाला और माइक्रो रोबोट वापस पॉकेट में चला गया।

विक्रम ने देखा कि दोनों आतंकवादी साफ साफ दिख रहे थे लेकिन खिड़की बंद थी और खिड़की का कांच ऐसा था कि बाहर से नहीं देख सकते थे लेकिन अंदर से देख सकते थे। अभी खिड़की खोली जाए तो उस आतंकवादी को पता चल जाएगा इसलिए विक्रम ने लेज़र स्टिक एक्टिव की और उस खिड़की में छोटा छेद कर दिया। यह से दोनों आतंकवादी साफ दिख रहे थे, विक्रम ने लेज़र स्टिक बदलकर धनुष एक्टिव किया और तीर चढ़ाया। विक्रम ने एक आतंकवादी को खिड़की के छेद में से निशाना बनाया, विक्रम ने जिसको निशाना बनाया था, उसको आर्मी वाले ने मार दीया। विक्रम को अभी परेशानी होने लगी कि यह लोग इसको मार न दें वरना पूरा प्लान बीगड जाएगा, यह सोचकर विक्रम ने जल्दी से दूसरे की ओर तीर छोड़ा। तीर स्तंभ के साथ टकराया और उस आतंकवादी को रस्सी से स्तंभ के साथ लपेट लिया उतने में ही विक्रम ने खिड़की पर एक मुक्का मारा और कांच तोड़कर बाहर आकर सब लोगों को फायरिंग करने से रुकवा दिया।

होटल में तीन आतंकवादी थे और उसमें से दो मारे गए और एक अभी भी जिंदा था इसलिए आर्मी के बारह लोग हाथ में गन लेकर सीढ़ियों की मदद से तीसरे फ्लोर की ओर चल पड़े। विक्रम ने अपने हथियार बदल कर एक हाथ में गन और दूसरे हाथ में शिल्ड एक्टिव किया और छुप कर उस की ओर बढ़ने लगा। विक्रम ने दीवार के पीछे से छुप कर देखा वह आतंकवादी की गन नीचे गिर गई थी और वह रस्सी से बंधा हुआ था। अभी खतरा कम था इसलिए विक्रम ने हथियार समेट लिया और बाहर निकल कर उस आतंकवादी के पास पहुंचा। उस आतंकवादी की उम्र शायद अट्ठाइस साल के आसपास होगी, उस रस्सी ने ऐसा जकड़ लिया था कि वो हिल भी नहीं सकता था। उतनी देर में आर्मी वाले बारह लोग आ गए, विक्रम ने फायरिंग करने का मना बोल दिया।

विक्रम पहले जिस आतंकवादियों ने दूसरे आतंकवादी को मार दिया था उसके पास गया और रस्सी पर हाथ रखा और रस्सी को छूते ही वो सूट के साथ जुड़ गई। विक्रम बंधे हुए आतंकवादी के पास गया और बोला कि बता तुम कितने लोग हो? उसने कुछ नहीं बताया विक्रम ने दो तीन मुक्के मुंह पर और दो तीन मुक्के उसके पेट पर मारे। मुक्का मारने की वजह से उसके मुंह में से खून निकलने लगा फिर भी उसने नहीं बताया। विक्रम को अभी गुस्सा आ गया और उसने ड्रिल मशीन एक्टिव करके उस आतंकवादी के हाथ पर ड्रिल रखा। ड्रिल हाथ में खुचते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगा, उसके हाथ में से खून निकलने लगा फिर भी उसने नहीं बताया। विक्रम ने ड्रिल मशीन को बदल कर ग्राइंडर एक्टिव किया और उसकी दो उंगलियां काट दी। विक्रम चिल्लाकर बोला बता नहीं तो तेरी सब उंगलियां काट दूंगा। दर्द की वजह से उस आतंकवादी ने बोलना चालू कर दिया, जो वो पच्चीस लोग आए थे और पांच पांच की टुकड़ी में और कौन कौन से शहर में बिखर गए वो सब उसने बता दिया। जवाब मिलते ही विक्रम ने तलवार एक्टिव की और एक ही प्रहार में स्तंभ के साथ उसके दो टुकड़े कर दीए और विक्रम ने उसके शरीर पर बंधी रस्सी को छूते ही वह सूट के साथ जुड़ गई।

बारह आर्मी वाले लोगों में से एक ने कमांडर को आतंकवादियों की सारी बात बताई और कमांडर ने बताया कि रिपोर्ट मिला है कि दस लोग मर चुके है, अभी पन्द्रह बाकी है। विक्रम ने उड़ान मोड एक्टिव करके दूसरे शहर में चल पड़ा, विक्रम हर वक्त मल्लिका के साथ कॉन्टैक्ट में रहता था इसलिए वह एक दूसरे को जानकारी शेयर कर शकते थे। शाम के सात बजे तक सब लोगों ने मिलकर सब आतंकवादियों को मार गिराया। उसमें से तीन लोगों को मल्लिका ने मारे, पांच लोगों को विक्रम ने मारे, तीन लोगों ने पकड़ा जाने पर गोलियां खाके मर गए और बाकी बचे चौदह लोगों को आर्मी, पुलिस और कमांडो ने मार दिया था। सब शहर को मिला के बीस हजार के आसपास लोग मर चुके थे और पांच हजार के आसपास लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। मरे हुए लोगों का अंतिम संस्कार कर दिया और जख्मी लोगों को अस्पताल में भर्ती करवा दिया। आस पास के सभी शहरों में आतंकवादी हाथसे से काफी बड़ा नुकसान हुआ था। एक महीने के बाद पहले जैसा हो गया था लेकिन अपने लोगों को खो चुके थे।