dosti in Hindi Children Stories by Udita Mishra books and stories PDF | दोस्ती

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दोस्ती

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एक शहर में प्रसिद्ध हड्डी के डाक्टर अपने परिवार के साथ रहते हैं । उनके परिवार में उनके माता पिता, उनकी पत्नी, दो बेटियां हैं । बड़ी बेटी का नाम सोनम था। जो डाँक्टर बनने की पढ़ाई कर रही थी। और छोटी बेटी कक्षा आठ मे पढ़ रही थी जिसका नाम सुमन था। सुमन को पेड़ पौधे और पशु पक्षियों के बीच रहना बहुत पसंद था इसलिए उसके घर मे छोटा सा बगीचा था जिसमे कभी कभार पशु पक्षी पानी पीने खाना खाने खेल के लिए आते थे। एक दिन ऐसे ही जब सुमन ने अपने बगीचे में चार कुत्ते के बच्चे देखे जो अपनी मां के साथ खेल रहे थे। अब सुमन रोज उन्हें खाना देती और जब उसे पढ़ाई से कुछ समय मिलता वह उनके साथ खेलती थी। सुमन ने अपने बगीचे में उनके लिए छोटा सा घर बना दिया था ताकि वह लोग बारीश से बच सके। सुमन ने उन चारो कुत्तों के बच्चो के नाम रखे एक का नाम मोती दूसरे का नाम विरू तीसरे का नाम जैकी और सब छोटे कुत्ते का नाम उसने लिटिल रखा।

एक दिन सुबह सुमन ने देखा उन चार बच्चो में से सिर्फ दो बच्चे ही उस घर मे थे। सुमन ने यह बात अपनी दीदी को बताई तो उन्होने कहा चलो हम उन्हें खोजते हैं वह दोनो यहीं कहीं खेल रहे होगें और दोनो बहनों ने अपनी अपनी साइकल लेकर उन दोनो को खोजने मे लग गई पर उन दोनों बहनों को ज्यादा खोजना नही पड़ा क्योकि दोनो कुत्ते कुछ ही दूर पर एक मकान मे एक लड़के के साथ खेल रहे थे। उस लड़के का नाम रवि था सुमन ने उससे पूछा आपको यह दोनो कहां मिले उसने कहा मै रोज सैर को जाता हूँ आज सुबह यह दोनों और एक और कुत्ते का बच्चा मिला जो घायल था मैं उसे भी अपने साथ लाता पर वह अपने घर की ओर चला गया।

मेरे साथ नही आया मैने उसका पीछा किया और वही उसकी दवा कर दी वहां मुझे एक और बच्चा मिला जो तब सो रहा था। षायद यह चारो कुत्ते तुम्हारे हैं इसपर सुमन ने रवि को धन्यवाद कहा यह मेरे ही हैं।

रवि ने कहा अब यह कुत्ते मेरे साथ रहेंगे क्योंकि हम तीनों एक दूसरे से घुल-मिल गए हैैै सुमन ने कहा ठीक है पर आप इनका ध्यान रखना उसने कहा जरूर यह बाते करके सुमन जाने लगी तभी दोनो कुत्ते के बच्चे उससे मिलने के लिए दौड़े पर रवि ने उन्हें रोका क्योकि उस समय सड़क पर ट्रेफिक बहुत था।

सुमन ने कहा इन्हें अभी अंदर ही रखो मै कभी-कभी इनसे मिलने आऊंगी रवि ने कहा जरूर सुमन की दीदी ने कहा जल्दी चलो माती घायल है उसका इलाज भी तो करवाना है सुमन ने कहा आप सच बोल कर रही हो चलो दोनो ने घर जाकर देखा मोती दर्द के कारण बेहोश हो गया था। सुमन सीधे मोती को अपने पापा के पास ले गई और कहा इसका इलाज करवा दीजिए

तो उन्होने कहा इसका इलाज मैं कर दूंगा चलो मेरे हास्पीटल। हास्पीटल ले जाकर उन्होने मोती को भर्ती किया उसका इलाज वह खुद ही करा करते थे। मोती के पैर का घाव धीरे-धीरे ठीक होने लगा सुमन रोज शाम जिस समय खेला करती थी अब रोज उस समय वह अपने पापा के हास्पीटल जाकर मोती से मिलती थी। कुछ महीने के बाद मोती बिलकुल ठीक हो गया अब तक मोती और सुमन के पापा के बीच पक्की दोस्ती हो चुकी थी अब जिस रात सुमन के पापा को हास्पीटल रुकना पड़ता उनके साथ मोती रुककर रखवाली करता था और जिस दिन सुमन के पापा हास्पीटल की छुट्टी रखते उस दिन मोती घर में ही सुमन के साथ खेलता था। एक दिन सुमन शाम को अपने परिवार के साथ घूमने बाजार गई थी और उसके दोनों कुत्ते घर की रखवाली कर रहे थे। सुमन बाजार से उनके लिए उनकी मन पसंद खाने की चीजें लाई। कभी कभी सुमन मोती और लिटिल के साथ रवि वीरू और जेकी से मिलने जाती थी।

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