वंश
भाग-2
सिर्फ २ घंटे की देरी हे और कितना कुछ समेटना बाकि हे, रोनी आजाना प्यारे मेरी मदद करदे थोड़ी से. रिया रोनी को बुलाती हे क्योकि उसका पूरा कमरा सामान से और कपड़ो से फैला हुआ था | और वो अपना कमरा ऐसे ही फैला हुआ छोड़कर नहीं जाना चाहती |
रोनी आता हे और दोनों मिलकर सारा कमरा साफ कर लेते हे. रोनी रिया की किताब को उठाकर कबोर्ट में रखने जाता हे वही रिया की नजर उस पर जाती हे. वो बोलती हे अरे रुक रुक तू मेरी जान को कहा ऐसे कबोर्ट में बंद कर रहा हे!
मर जाएगी बिचारि, बिना स्वास लिए|
पापी कहिका कतल करेगा मेरी किताबो का!
रोनी जोर से हसने लगता हे और बोलता हे दी पागल हो गए हो क्या?
किताब में कोन सी जान होती हे जो वो बंद कबोर्ट में मर जाएगी ?
जी हा मेने माना की किताब में जान नहीं होती पर उसको जिन्दा रखने वाले तो हम जिन्दा दिल इंसान ही होते हैं ना।
एक लेखक अपनी पूरी जान लगा देता हे एक किताब को जिन्दा करने के लिए और हम जैसे लोग क्या करते हे?
उसे कही पर भी मजा आया फेक दिया उठाकर.
वैसे भी किसीने सच ही कहा हे की किताब एक ऐसा दोस्त हे जो कभी इंसान को अकेला नहीं छोड़ता.
में तो कहती हु की इन खोखले और फरियादी रिस्तो से कही ज्यादा ये किताब वाला रिस्ता अच्छा हे.
कभी कोई शिकायत तो नहीं करता.
एक लेखक की जान को जिन्दा रखने के लिए किताब का जिन्दा रहना बड़ा जरुरी हे |
रोनी सारी बाते सुनकर रिया को उतर देता हे, ठीक हे चूची तुजे जहा मजा आये वहा रख इसको.
रिया बोलती हे तुजे पता हे मुझे तो लिब्ररेरियन बड़ी किस्मत वाली लगती हे की उसको इतनी सारी किताबो से बाते करने का मोका जो मिलता हे.
हाहाहा...
रोनी ने हसते हुए कहा सही बात हे.
तभी निचे से किषोरदादा की आवाज अति हे बिटिया चलो जाना नहीं हे क्या ?
हो गया आपका सामान एकठा ?
ये आवाज सुनकर रिया रोनी से बोलती हे चल चल जल्दी से सारा सामान ले निचे दादा आ गए हे.
दोनों जल्दी से सारा सामान निचे लेकर जाते हे.
किषोरदादा उसके पिताजी के साथ बैठकर बाते कर रहे थे उतने में रीया आकर बोली .
नमस्कार दादाजान कैसे हो आप ?
अरे नमस्कार बेटाजी |
में ठीक हु आप बताओ .
उतने में रिया की माँ एक सकर और दही मिक्स किया हुआ कटोरा लेकर अति हे और रिया को वो खिलाती हे और बोलती हे बेटा संभल कर जाना और अपनी सेहद का ख्याल जरूर रखना |
रिया माँ को गले लगाकर कहती हे ।
अरे आप मेर्री चिंता छोड़ दो कुछ दिनों के लिए ,बस एस-एस करो मेरे बिना अकेले.
में अपना पूरा ख्याल रखूगी.
फिर रिया अपने पापा और भाई को मिलकर निकलती हे |
रिया का सारा सामान किषोरदादा गाड़ी में रख देते हे. और रिया जैसे ही गाड़ी में बैठती हे उसके पापा उसे बोलते हे बेटा घर की कोई चिंता मत करना और तू जिस मक्षत से जा रही हे वो पूरा करके आना. सफर छोटा भले ही हो पर ऐसा बनाना की वो याद रह जाये |
रिया अपने पापा से बोलती हे आप चिंता मत करिये में अपना काम पूरी ईमानदारी से करुँगी और कोई काम के लिए तो नहीं जा रही बस घूमने ही जा रही हु | पर जहा भी जाऊगी कुछ तो बढ़िया लेकर आउंगी अपने साथ .
ठीक हे सुखरिया अब में निकलती हु ।
बाय आप सब अपना ख्याल रखना।
रिया गाड़ी में बेठ जाती हे, और वहा से वो और किषोरदादा निकल पड़ते हे.दिल्ही की उलटी सीधी गलियों की तरह घर से निकलते ही रिया के दिमाग में बहुत सरे ख्यालात आना चालू हो जाते हे , की पहले कहा जायेगे ?शुरुआत कहा से करेंगे ? उसने कुछ प्लान नहीं कर रखा था की कहा जाना हे?
उसके मनमे ये बाते चल रही थी तभी दादा ने बोलै की बिटिया अपने घर पर तो बोल दिया हे की आप राजस्थान जा रहे हो पर क्या सच में वही जाना हे की कुछ और प्लान हे ?
जी है किषोरदादा को पता हे की रिया का कोई भी प्लान पहले से फिक्स नहीं होता हे . क्योकि वो ४ थी बार रिया के साथ टूर पर जा रहे हे|
तभी रिया बोली अरे दादूजान अपने तो मेरे मन की बात छीन ली. में वही सोच रही थी की जाना कहा पर हे .पर इसबार फॅमिली को धोखा न देंगे.हम राजस्थान का बोले हे तो राजस्थान ही जायेगे.
ठीक हे चलो तो निकलते हे राजस्थान.
ठीक हे दादा हम सबसे पहले जैसलमेर जाएंगे
अब दिल्ही से जयपुर का रास्ता हे २६८ किलोमीटर. तो १३ घंटे तो लगेंगे ही वहा पोहचने में .
रिया किषोरदादा को पूछती हे की अपने दादीजान से क्या बोलै हे कहा जा रहे हे ?
अरे बेटा उसमे बोलना क्या हे हमारा तो काम ही हे यही।
बोल दिया राजस्थान जा रहे हे बिटिया को लेकर टूर में बस.
ओर उसने आपको पूछा नहीं कब तक आओगे वापस?
ऐसा आजतक उसने कभी नहीं पूछा हे |
वाह बढ़िया हे नसीब वाले हो दादाजान आपतो
रिया हसकर बोलने लगी की सलाम है आपकी बेगम साइबा को की कोई इन्क्वायरी नहीं करती हे .हाहाहाः
फिर ऐसे ही बाते चलती रही और सफर आगे बढ़ता गया.
रिया के मनमे हजारो सवाल चल रहे थे की पहले वो कहा जाएगी. और क्या करेगी ?
अब एक काम करते हे थोड़ी देर यह पर रुकते हे आप भी फ्रेश हो जाओ लगतार 7 घंटे से आप ड्राइविंग कर रहे हो थक गए होंगे .
वो लोग छोटे से रेस्टोरेंट पर गाड़ी रोकते हे । और वह पर वो फ्रेश होते हे |
रात के १० बज चुके हे अब भूख भी लगी हे तो दोनों खाना खाकर वापस अपनी मंजिल के और निकल पड़ते हे.
पूरी रात यही गाड़ी में चली जाती हे और रिया को पता हे की उसे कल पूरा दिन घूमना हे तो आराम तो नहीं मिलेगा तो वो रस्ते में सो जाती हे.
सुबह ५ बजते ही वो जैसलमेर पोहच जाते हे |
वेसे तो रिया कही बार अपने फॅमिली के साथ राजस्थान घूमने आ चुकी हे पर उसने जयपुर और उदयपुर जैसे फेमस सिटी को ही विजिट किया हे.
तो इसबार वो जैसलमेर को विजिट करना चाहती हे |
यहां से शुरु हो रहा हे रिया का जैसलमेर का सफर.
अगले भाग में देखते हे की रिया कहा पर रूकती हे और सबसे पहले कहा पर जाती हे |