chunmun aur gilahari in Hindi Children Stories by Udita Mishra books and stories PDF | चुनमुन और गिलहरी

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चुनमुन और गिलहरी

चुनमुन और गिलहरी

एक प्यारी सी लड़की थी । जिसकी उम्र लगभग सात या आठ साल होगी । जिसका नाम आरूषि था । लोग उसे प्यार से चुनमुन कहते थे । वह अपने माता-पिता दीदी और दादा दादी के साथ एक छोटे से घर में रहती थी । उसकी दीदी का नाम सोनाली था बहुत दिनों से उसके घर में एक मेहमान रह रही थी, जो थी एक गिलहरी जिसका नाम चुनमुन ने गिल्लू रखा था । दरअसल चुनमुन के घर के आसपास कई बडे़ पेड़ थे । उनमें से एक पेड़ बादाम का भी था । उस पेड़ में अपने परिवार और सहेलियों के साथ रह रहीं उन गिलहरियों में से गिल्लू सबसे छोटी गिलहरी हुआ करती थी । चुनमुन सुबह उठकर बाहर देखती तो उसे बहुत मजा आता था क्योंकि गिल्लू अपने परिवार और सहेलियों के साथ रोज सुबह शाम पहले बादाम के पेड़ से बादाम गिराती और फिर उसे दोनों हाथों में ले कर दांतों से काट काट कर उसका छिलका छील कर खाती । यह देखना चुनमुन को बहुत अच्छा लगता था ।

गिल्लू और उसका परिवार शाकाहारी है और फल, सब्जी, पत्ती वगैरा सब कुछ खाती थी । चुनमुन उनके लिए दाल, चावल, नारियल रखती तो गिल्लू उसे बहुत मजे में खाती । पर चुनमुन ने पाया कि उन्हें सबसे ज्यादा मूगफली के दाने पसंद हैं । क्योंकि एक बार चुनमुन की मम्मी मूगफली को उबाल कर थोड़ी सी धूप में रखी थी और जब शाम को चुनमुन से मूगफली उठाने को कहा तो उसने देखा कि गिल्लू अपनी सहेलियों के साथ बड़े मजे से मूगफली खा रही थी और जैसे ही उन्हें लगा कि उन्हें कोई देख रहा है तब वे डरकर भागने लगी पर चुनमुन धीरे से पीछे हट गई तब थोड़ी देर में गिल्लू अपनी सहेलियों के साथ आकर फिर मूगफली खाने लगी चुनमुन ने धीरे से जाकर मम्मी को बताया तो उसकी मम्मी ने कहा कि उतनी मूगफली उन्हें खाने दो हम बाकी दूसरी छत में रख देगे वे वहां नहीं आएंगी पर ऐसा हुआ एक दो दिन में उस छत पर भी गिल्लू आने लगी यह देखकर चुनमुन ने मूगफली अंदर कर के जाली का दरवाजा बंद कर लिया यह सब गिल्लू देख रही थी उसने कई बार जाली काटकर मूगफली लेने की कोशिश की पर उसे हार कर जाना पड़ा उसके चले जाने के बाद चुनमुन ने चार पांच मूगफली बाहर डाल दी और गिल्लू ने शाम को आकर वह सारी मूगफली खा ली । ऐसा अब चुनमुन हमेशा करने लगी थी ।

चुनमुन की मम्मी रोज सुबह-शाम सूरज देवता को जल चढ़ाती थीं एक दिन सुबह वह सूरज देवता को जल चढ़ा रही थीं तभी गिल्लू आई और वह जल पीने लगी तब चुनमुन की मम्मी को लगा कि गिल्लू के रूप में स्वयं सूरज देवता जल पी रहे हैं पानी पीते पीते वह बीच बीच में उन्हें देख लेती थी । तब से मम्मी ने मिटटी के कटोरे में पानी रखना शुरू कर दिया और घर में जो भी खाना बनता या बाहर से आता वह थोड़ा सा गिल्लू के लिए रखने लगी उसके कारण कई पक्षी भी खाना खाने पानी पीने आने लगे जैसे गोरैया, कबूतर, बाज और भी कई तरह के पक्षी । यहां तक कि उल्लू भी ।

अब तक चुनमुन और गिल्लू अच्छे दोस्त बन गए थे और दोनो एक दूसरे की बोली समझने लगे थे । एक दिन सुबह चुनमुन ने सोकर उठकर बाहर देखा तो उसे बहुत मजा आया क्योकि गिल्लू ने दो बच्चे दिये और उन्हें बड़े प्यार से खाना खिला रही थी जो चुनमुन ने उसके लिए बाहर रखा था । अब चुनमुन उसके लिए ज्यादा खाना और पानी रखने लगी । अब गिल्लू अपने बच्चो के साथ आकर बिना डर के चुनमुन के सामने खाना खाती । चुनमुन के बगीचे में कभी-कभी एक बिल्ली आकर गिल्लू को परेशान करती थी । एक बार जब गिल्लू के पीछे वह बिल्ली पड़ी थी तो भागते हुए गिल्लू चुनमुन के कंधे पर चढ़ गई उस दिन से चुनमुन और गिल्लू की दोस्ती और पक्की हो गई ।

एक दिन चुनमुन ने मम्मी से पूछा कि हम गिल्लू और उसके बच्चों को अपने घर में रख लें क्योंकि उन्हें बिल्ली खा सकती है मम्मी ने कहा नहीं गिल्लू अपना और बच्चो का ध्यान रख सकती है उसे कैद होकर रहना अच्छा भी नहीं लगेगा । फिर भी चुनमुन का मन नहीं माना और वह सीधे गिल्लू के पास गई और उससे कहा कि अगर तुम तीनांे को इस बिल्ली से डर लगे तो मेरे घर आ जाना, गिल्लू ने अपनी बोली में कहा ठीक है ।

आज भी कभी-कभी वे तीनों चुनमुन के साथ खलने आती हैं ।

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