Chaplusi in Hindi Motivational Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | चापलूसी

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चापलूसी

चापलूसी

सेठ पुरूषोत्तमदास शहर के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। जिन्होने कड़ी मेहनत एवं परिश्रम से अपने उद्योग का निर्माण किया था। उनका एकमात्र पुत्र राकेश अमेरिका से पढ़कर वापिस आ गया था और उसके पिताजी ने सारी जवाबदारी उसे सौंप दी थी। राजेश होशियार एवं परिश्रमी था, परंतु चाटुरिकता को नही समझ पाता था। वह सहज ही सब पर विश्वास कर लेता था।

उसने उद्योग के संचालन में परिवर्तन लाने हेतू उस क्षेत्र के पढ़े लिखे डिग्रीधारियों की नियुक्ति की, उसके इस बदलाव से पुराने अनुभवी अधिकारीगण अपने को उपेक्षित महसूस करने लगे। नये अधिकारियों ने कारखाने में नये उत्पादन की योजना बनाई एवं राकेश को इससे होने वाले भारी मुनाफे को बताकर सहमति ले ली। इस नये उत्पादन में पुराने अनुभवी अधिकारियों को नजरअंदाज किया गया।

इस उत्पादन के संबंध में पुराने अधिकारियों ने राकेश को आगाह किया था कि इन मशीनो से उच्च गुणवत्ता वाले माल का उत्पादन करना संभव नही है। नये अधिकारियों ने अपनी लुभावनी एवं चापलूसी पूर्ण बातों से राकेश को अपनी बात का विश्वास दिला दिया। कंपनी की पुरानी साख के कारण बिना सेम्पल देखे ही करोंडो का आर्डर बाजार से प्राप्त हो गया। यह देख कर राकेश एवं नये अधिकारीगण संभावित मुनाफे को सोचकर फूले नही समा रहे थे।

जब कारखाने में इसका उत्पादन किया गया तो माल उस गुणवत्ता का नही बना जो बाजार में जा सके। सारे प्रयासों के बावजूद भी माल वैसा नही बन पा रहा था जैसी उम्मीद थी और नये अधिकारियों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिये थे। उनमें से कुछ ने तो यह परिणाम देखकर नौकरी छोड़ दी। राकेश अत्यंत दुविधापूर्ण स्थिति में था। यदि अपेक्षित माल नही बनाया गया तो कंपनी की साख पर कलंक लग जाएगा। अब उसे नये अधिकारियों की चापलूसी भरी बातें कचोट रही थी।

राकेश ने इस कठिन परिस्थिति में भी धैर्य बनाए रखा तथा अपने पुराने अधिकारियों की उपेक्षा के लिए माफी माँगते हुए, अब क्या किया जाए इस पर विचार किया। सभी अधिकारियों ने एकमत से कहा कि कंपनी की साख को बचाना हमारा पहला कर्तव्य है अतः इस माल के निर्माण एवं समय पर भेजने हेतु हमें उच्च स्तरीय मशीनरी की आवश्यकता है, अगर यह ऊँचे दामों पर भी मिले तो भी हमें तुरंत उसे खरीदना चाहिये। राकेश की सहमति के उपरांत विदेशो से सारी मशीनरी आयात की गई एवं दिनरात एक करके अधिकारियो एवं श्रमिकों ने माल उत्पादन करके नियत समय पर बाजार में पहुचा दिया।

इस सारी कवायद से कंपनी को मुनाफा तो नही हुआ परंतु उसकी साख बच गई जो कि किसी भी उद्योग के लिये सबसे महत्वपूर्ण बात होती है। राकेश को भी यह बात समझ आ गई कि अनुभव बहुत बड़ा गुण है एवं चापलूसी की बातों में आकर अपने विवेक का उपयोग न करना बहुत बड़ा अवगुण है। चापलूसी सदैव दिग्भ्रमित करती है और हमें अपने पुराने अनुभवी व्यक्तियों को कभी भी नजर अंदाज नही करना चाहिये क्योंकि व्यवसाय का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नही होता यदि व्यवसाय को भावना से जोड़ दिया जाये तो इसका प्रभाव और गहरा होता है।