Mohee in Hindi Fiction Stories by Yayawargi (Divangi Joshi) books and stories PDF | मोहि

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मोहि

चुपके से सुन इस पल की धुन इस पल मे जीवन सारा,सपनों की है दुनिया यही तेरी आखो से मैंने देखा....

रेडियो मे बज रहा गाना स्तुति के कानो मे यादों की मिसरी घोल रहा था ! अपने शहर के जाने-माने रेडियो स्टेशन मे इनटर्नशिप कर रही स्तुति ओर यह गाना जेसे उसकी ही कहानी सुना रहा था सपनों की दुनिया ही तो थी ये स्टुडियो ये छोटू सा स्टुडियो !

ये सफर का आगाज कब हुआ था? यह याद कर रही थी आरजे हंट से ? नहीं! औडिसंस से ! ना रेडियो डे से या फिर वो दीन जब उसका ब्रेक-अप हुआ था तब या फिर जब उसने पहली बार मोही से बात की !

मोही,
आरजे मोही

मोही का असली नाम मोहित था नाम वेसे गुण, जिसे देखते ही मोह जाए वो मोही!

डार्क येल्लो रंग की टी-शर्ट चहरे का गोरा ओर साफ रंग, मीठी सी धीमी किसी लवगुरु जेसी आवाज़, बड़ी-बड़ी आंखे जो कुछ पूछने पे ओर बड़ी हो जाती, आंखे मूँद के सोचने की आदत ओर किसी गढ़ रहस्य सी मुस्कान।

आज से लगभग एक साल पहले की बात जब स्तुति किसी लॉयर के वहा काम कर रही थी तब इस कहानी का आगाज हुआ था एलएलबी की स्टूडेंट होने की वजह से स्तुति को कुछ महीने इनटर्नशिप करनी थी ऑफिस से घर दूर था तो अक्सर रेडियो पे गाने कानो मे गुनगुनाते रहते !
जीने मरने की हम थे बेवजह ओर हमी बेवजह हो गए देखते-देखते….
गाना खतम ही हुआ के आरजे वशिष्ठ ने बात छेड़ी शेर विथ उस यौर ब्रेकअप की कहानी, बेस्ट स्टोरी को मिलेगा केरला जाने का मोका अपना नाम ओर पता मुजे फेसबुक पे भेजे !
देखते-देखते गाना सुनते सुनते उसे राहुल की याद तो आ ही गयी थी ( अब राहुल को है यह जानना ही हो तो SOMEWHAT लव पढ़ लेना ) सो उसकी ओर राहुल की फ्रेंड जॉन कम ब्रेक-अप स्टोरी उसने फेस्बूक मे वशिष्ठ को भेज दी ! दूसरे दिन वशिष्ठ का सीधा कॉल आ गया !
स्तुति की खुशी तो मानो दुगनी हो गयी छोटू सा ब्रीफ़ देके वशिष्ठ ने कहा शाम को आरजे मोही कॉल करेगा ओर आपकी कहानी सुनेगा !

अब वशिष्ठ को तो पूरा शहर जानता था लेकिन मोही का नाम तो ना सुना न जाना ! फिर भी वशिष्ठ के ठीक है पे स्तुति ने भी ठीक है कह दिया !
हैलो स्तुति ?
हाँ, आप कोन ?
जी मैं आरजे मोही आपकी सुबह आरजे वशिष्ठ से बात हुई थी ?
जी !
जी तो बस मे आपकी कहानी सुन ने के लिए उत्सुक हूँ ! आपकी ब्रेक अप स्टोरी के लिए
कहानी “बस वो ही सक्स जो मेरी हर किस्से मे आया जो कभी मेरे न हिस्से मे आया’’
वेसे मोही के लिए ये कोई नई बात नहीं होगी हजारो कॉल मे से ये स्तुति कहा याद होगी !
ये बात सोच स्तुति मुस्कुरादी!

“स्तुति चलो सर बुला रहे है,बोल रहे है मोही ओर लड़कियो को भेजो!”
मोही ओर लड़किया, क्या नाम रखा था हमारी टीम का !
हम चार लड़किया थी जिसमे से एक इस महीने के अंत मे स्टुडियो छोड़ जाने वाली थी एक कभी कबार आ जाती थी ओर एक जिसने स्तुति के साथ जॉइन किया था हेली !
ओर मोही एक छ फीट लंबी, हिलती-डुलती क्यूटनेस की दुकान !
कोई इतना क्यूट केसे हो सकता है यार हर बार स्तुति मोही को देखती ओर मन ही मन सोचती !
अभी तो स्टुडियो जॉइन किए 10-15 दिन ही हुई थे, के स्तुति मोही के मोहपाश मे जकड़ा ने लगी थी !

हर सुबहा जब भी देखू बिखरी सी है तेरी जुलफ़े
मन कहे जेसे इनपे हक हो मेरा वैसे सवार लूँ
गोरे उन हाथो को लेलु अपने हाथ मे
मन कहे मिलती कही है लकीर हमारी जान लूँ
जब जब उठाए तू अपने कदम
मन कहे हर रास्ते तेरे अपनी ओर मोड दूँ
कभी न रुकते अधर जब बोलते जाए
मन कहे चुप करवाके इसे छोटा सा पाप ही कर लूँ
मिलते ही नजर डर लगे गुम न हो जाऊ
क्षण व क्षण बदलते तेरे चहरे के ये भाव
किसी बिन पढ़ी किताब की तरह पढ़ना चाहूँ
ए अजनबी तुजे ओर करीब से जानना चाहूँ !

परफेक्ट है ! मोही के आवाज़ से स्तुति मानो किसी नींद से जागी क्योकि वो तो खो गई थी मोही के मोहिले सफर मे ! केसी अजीब बात थी मोही उसके सामने था ओर वो उसके ख्यालो मे खोई थी उसे भुलाए ये भुलाए के वो सामने था !
अब सवाल था इस अजनबी को जाने केसे? वो अजनबी जिसे रोज़ मिलती,जिसके मूह से सबसे जादा मेरा नाम सुनती, जो मेरा काम देखता,जो मुझे नई बाते सीखा रहा था, जो मेरा सेनिअर था,जो दिल को अच्छा लग रहा था,जो मन को भ रहा था , जिसपे क्रस हो रहा था
वरना आप ही बताओ आलास खाता कोई इतना क्यूट केसे लग सकता है

सोशीयल मीडिया !

सोशीयल मीडिया ही तो है जिससे भले ही असली इंसान को न जान पाओ लेकिन उसकी पसंद-नापसंद , करीबी लोग ओर घूमना की जगह तो जान ही जाओगे ओर ये भी के वो क्या चाहता है के दुनिया उसे केसे जाने !

बॉस, हमारे सर को तो फॉलो करता होगा
देखा, लेकिन नही मिला mohee

बाद मे एक दिन अकाउंट के मेम से बात कर रही थी के सब की अरेंडेंस केसे लिखी जाती है तो सबकी डीटेल जानने पे मोही का असली नाम पढ़ा मोहित सिंहा

अब मन तो किया के फटाक से सर्च करू लेकिन पीछे से वो प्रगट हो गया ओर देखा के मैं उसे देख रही हूँ तो ?

फिर भी स्तुति से रुका न गया वॉशरूम मे जाके देखा मोहित सिंहा

लद्दाख , पंगोग ,बाली , हंपता पास ट्रेक बोहोत सारे दोस्तो की भीड़ जिसमे पटाखे जेसी लड़कियां यू ट्यूब पे भी लगे उसके दो-तीन विडियो !

जानी-मनी कॉलेज से पढ़ाई ओर एलएलएम की डिग्री !

ओर दूसरी ही चीज़ दिमाग मे आई औकात के बाहर है बेटा !

लेकिन फिर भी उसका अपनापन ओर जमीन से जुड़ाओ देख वो कोई अमीर बाप का बिगड़ा बेटा नहीं लगता था, काफी सुलजा ,समजदार ओर अपने काम के प्रत्ये वफादार था !
अरे आपने लो किया है मैंने देखा आपके इंस्ता पे ?
क्या बात है मुजे भी बताओ आपका ID मे भी आपको फॉलो करता हूँ
हाँ वो मैंने सर को फॉलो किया तो आपका अकाउंट रेक्मंदेशन मे आया!
अच्छा ओर एक प्यारी सी स्माइल !
गाववालो स्तुति का बायो सुनो
I’m perfect combination of princess and warrior!
वाह ये एक रानी थी ओर ये एक राजकुमारी आ गई पूरा दरबार हमारे स्टुडियो मे ही सजा है! पूरी ऑफिस ठहाके मार हसने लगी ओर मोही को एसे खिलखिलाना स्तुति को ओर मोहने लगा !
तभी गाना बजा
बुलावा तुजे यारी आज मेरी गलियाँ, बसाउन तेरे संग मे अलग दुनिया !

वो दिन याद आया जब पहली बार वो इस दुनिया मे कदम रखा था हल्का सा ये ही गाना बज रहा था !

आरजे हंट है? वाव इसी बहाने कम से कम एक फाइदा तो होगा आरजे लोगो का स्टुडियो डबल्यूपी काँच की केबिन सब देखने का मौका मिलेगा लेकिन फिलहाल तो एकजाम चल रही है बीच मे एक दिन छुट्टी होजीआई तब ना रेडियो की ऑफिस जाके आऊँगी

येय.....

-दिवांगी जोशी की बातें
(यायावरगी)