Kuchh to tha tere mere darmiya in Hindi Love Stories by Lichi Shah books and stories PDF | कुछ तो था तेरे मेरे दरमियाँ...

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कुछ तो था तेरे मेरे दरमियाँ...

आप आज भी हर साल की तरह वैसे ही बूत बनी खड़ी हो इस पुराने स्कूल कम चर्च की बिल्डिंग के सामने मिस नजर। मानो शरीर ही मौजूद है और दिल तो कब का दस साल पहले आज ही के दिन मे जा बसा है। हा तो आज है 31 दिसंबर-क्रिसमस का और साल का आखिरी दिन। लेकिन इसमें नया क्या है? वो तो हर साल आता है !! हम लोगों के लिए ये आम दिनों मे से ही एक है लेकिन मिस नजर आपके लिए। आपके लिए तो ये चंद खास दिनों मे से एक है। जिसमे आपकी पूरी जिंदगी बसी है।

वोही स्कूल, वोही चर्च। वोही बेंच -सेकंड लास्ट रो वाली, वोही लॉर्ड इशू और वोही आप मिस नजर। पर एक है जो नहीं है। जो हर साल नहीं होते। दीदार। हा वो दीदार ही है जो दस साल पहले यहाँ थे पर उसके बाद जो यहाँ है वो है आप और दीदार की याद मिस नजर।

वैसे तो ये स्कूल कम चर्च काफ़ी पुराना है और शहर भी छोटा सा है। लेकिन आपका पूरा बचपन और जवानी के चंद लम्हे इसी जगह गुजरे हुवे है इसीलिए। हा मिस नजर, इसीलिए हर साल आप सक्सेसफुल वर्किंग लेडी जो की बड़े सिटी मे अपना नाम और कॅरिअर दोनों बना चुकी है वह आती है उन चंद लम्हो को फिर से जीने जिसमे दीदार की मौजूदगी छुपी है।

आज भी याद है आपको वह समय जब धीरे धीरे दीदार आपके दिलो दिमाग़ मे बसने लगा था बिना किराये दिए। दोनों कोचिंग क्लास मे साथ थे, दोनों होनहार और होशियार थे। बला की खूबसूरत थी आप मिस नजर तो दूसरी तरफ दीदार भी कुछ कम ना थे। तीखी नाक, धनुष की तरह पतले होंठ और आंखे खास लगती थी आपको दीदार की। जो क्लास मे हरबार आपको देखती थी। धीरे धीरे आपको भी अच्छा लगता पर शर्म की वजह से आप मुड़के देख ना पाती थी। बस मन ही मन खुश होती थी। आपको दीदार अच्छा लगता था, उनकी उपस्थिति पसंद थी आपको। छुप छुप के दीदार का दीदार करना पसंद था आपको मिस नजर।

बचपन छूटना और जवानी के आगमन का दौर था। आप काफ़ी स्वाभिमानी और गर्वित थी मिस नजर पहले तो आप इस फीलिंग्स को मानने को तैयार ही ना थी क्यूंकि इससे पहले आप कई लड़को का क्रश रह चुकी थी और सबको आपने रिजेक्ट किया था। प्यार शब्द आप समझना ही चाहती ना थी। एसे मे आपको कोई पसंद कैसे आ सकता है यही सोचकर आप यह अनुभूति टाल रही थी। लेकिन ना चाहते हुवे भी आपकी और दीदार की नजर एक दूसरे की ओर जुड़ रही थी लेकिन दिल जुड़े उससे पहले।। कुछ अनिवार्य संजोग के वश होते आपको शहर छोड़ना पड़ा।

लेकिन हर साल आप इस चर्च मे इसी दिन आती है क्यूंकि दस साल पहले इसी जगह और इसी दिन आखरी बार आपने दीदार को दोस्तों के साथ देखा था। उसने भी आपको सहेलियों के साथ देखा था मिस नजर। क्रिसमस की सजावट देखने आई थी आप। और चर्च के एग्जिट डोर के पास ही सेकंड लास्ट रो की बेंच पे आप येल्लो ब्लू मिक्स्ड कलर बैग देखती हो। "दीदार यहाँ कैसे हो सकता है? पर है तो दीदार के बैग जैसा ही। "ऐसा सोचके आप मूड ही रही थी की दीदार के दीदार बिलकुल नजदीक से हुवे आपको नजर। आपने तो शर्मा के नजर ही चुरा ली। लेकिन धड़कने असामान्य तरीके से बढ़ गई थी आपकी। ये आपको ज़ब शहर छोड़ना पड़ा तब फील हुवा के दीदार के दीदार बिना आपकी नजर खाली ही है मिस नजर। पर अब देर हो चुकी थी।

वर्तमान मे आज भी आप चर्च मे गई। बेंच पे देखा तो वो भी आपकी नजर की तरह खाली ही थी मिस नजर। हलकी सांस लिए लॉर्ड इशू के सामने मोमबत्ती जलाकर निकल गई आप नजर। अगले साल फिर आने को बोलके।

लेकिन एक बात बता दू मिस नजर, अगर थोड़ी देर रुक जाती तो आप देख सकती की आपकी मोमबत्ती के पास ही कोई मोमबत्ती जला रहा है और वो कोई और नहीं पर आपका दीदार ही है मिस नजर।